इन 3 जातियों के लोग ही करते हैं राष्ट्रपति की सुरक्षा, योग्यता होने पर भी नहीं कर सकते है ये आप
देश के प्रथम नागरिक के रूप में जाने जाना वाला राष्ट्रपति पद एक बार फिर से सुर्खियों में है। राष्ट्रपति को देश का पहला नागरिक माना जाता है। राष्ट्रपति के पास कई तरह के विशेषाधिकार होते हैं, लेकिन इस बार राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर घमासान मचा हुआ है। सवाल राष्ट्रपति की सुरक्षा का भी नहीं है, बल्कि सवाल तो उन लोगों पर है, जो राष्ट्रपति की सुरक्षा करते हैं। बता दें कि राष्ट्रपति की सुरक्षा केवल तीन जातियों के लोग ही कर सकते हैं, जिसकी वजह से यह मामला एक बार फिर से अपने उफान पर है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
राष्ट्रपति की सुरक्षा सिर्फ तीन जाति के लोग ही कर सकते हैं। ऐसे में अन्य जाति के लोगों के पास भले ही चाहे कितनी योग्यता क्यों न हो, लेकिन अगर तीन विशेष राशि से ताल्लुक नहीं रखते हैं, तो आप राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड नहीं बन सकते हैं। अब इसी मसले पर कई सालों से विवाद चल रहा है, जिसको लेकर दिल्ली की कोर्ट ने केंद्र सरकार और आर्मी से जवाब मांगा है। यह मामला 2017 से उफान पर है, लेकिन एक बार फिर से कोर्ट की सुनवाई के बाद चर्चा में आ गया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला प्रकाश में तब आया जब सिडकेंट बॉडीगार्ड ने ग्रुप्स के रिक्त 3 पदो पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे और उसमें लिखा कि सिर्फ तीन जाति के लोग ही इस पद के लिए आवदेन कर सकते हैं। इसमें जाट, राजपूत और सिख जाति का उल्लेख था। ऐसे में हरियाणा के रहने वाले गौरव यादव ने जनहित याचिका दायर की। इस याचिका में लिखा गया था कि राष्ट्रपति की सुरक्षा करने के लिए इस प्रक्रिया को खारिज किया जाए। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की एक याचिका खारिज कर दिया था।
दिल्ली की कोर्ट ने सरकार और आर्मी से मांगा जवाब
इस पूरे प्रकरण पर दिल्ली की कोर्ट ने सरकार, रक्षा मंत्रालय और आर्मी से जवाब मांगा है। जी हां, दिल्ली की हाईकोर्ट ने इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए इस पर सुनवाई की है और सरकार और आर्मी से यह पूछा है कि इस याचिका पर अपनी जवाब दें। दरअसल, याचिका में कहा गया है कि योग्यता होने के बावजूद हम राष्ट्रपति की सुरक्षा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि हम विशेष जाति के तहत नहीं आते हैं।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
बताते चलें कि राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए गार्ड की नियुक्ति पर फैसला 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सेना के अनुशंसा पर आदेश दिया था। इसके तहत जाट, राजपूत और सिख समुदाय के लोग ही राष्ट्रपति की सुरक्षा कर सकते हैं यानि उनके बॉडीगार्ड बन सकते हैं। ऐसे में अब इस प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है और इसे खारिज करने की मांग की जा रही है।