जानिए ऐसे अद्भुत काली मंदिर के बारे में जहाँ साल में एक बार कुछ समय के लिए सीधी होती है माँ काली की गर्दन!
भगवान की लीला अपरमपार है। वह क्या करते हैं और क्यों करते हैं, यह हर कोई नहीं समझ पाता है, लेकिन उसका कुछ मतलब होता है। आज हम आपको माँ काली की महिमा और चमत्कार के बारे में बताने जा रहे हैं। देश में माँ काली का एक ऐसा मंदिर हैं, जिसमे माँ काली के प्रतिमा की गर्दन टेढ़ी है, लेकिन साल में एक बार कुछ समय के लिए माँ के प्रतिमा की गर्दन अपने-आप सीधी हो जाती है।
खुद ही सीधी हो जाती है माँ के प्रतिमा की गर्दन:
दरअसल माँ काली का यह प्राचीन मंदिर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के गुढ़ावल गाँव में स्थित है। माँ काली के इस मंदिर को माँ कंकाली के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि साल में एक बार माँ काली अपनी गर्दन खुद ही सीधी करती हैं। माँ के इस रूप के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं।
दशहरे के दिन सीधी होती है गर्दन:
आपको बता दें यहाँ जो माँ काली की प्रतिमा बनी हुई है उसकी गर्दन टेढ़ी है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि दशहरे के दिन माँ काली के प्रतिमा की गर्दन अपने आप सीधी हो जाती है। इसी दिन माँ की झुकी हुई गर्दन कुछ समय के लिए सीधी होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी माँ काली के सीधी गर्दन के दर्शन कर लेता है, उसके जीवन के सारे दुःख दूर हो जाते हैं।
मंदिर में माँ काली की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा स्थापित:
आपको जानकर हैरानी होगी, इस मंदिर में माँ काली की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा स्थापित की गयी है। मंदिर में उनके साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। वैसे तो इस मंदिर में पुरे साल माँ के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन शारदीय नवरात्र के समय कुछ ज्यादा ही भीड़ होती है। दशहरे के दिन हज़ारों की संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं।
सबकी मनोकामना पूर्ण होती है इस मंदिर में:
यहाँ चैत्र नवरात्र में नवमी के दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। यहाँ के बारे में एक बात और प्रसिद्ध है कि जिसकी कोई संतान नहीं होती है, वह इस मंदिर में अपने उल्टे हाथ का छाप छोड़ देता हैं। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है और जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो भक्त अपने सीधे हाथ का भी छाप मंदिर में बना देते हैं। इसी वजह से मंदिर में बहुत सारे हाथ के निशान बने हुए हैं।