अध्यात्म

कलयुग का अंत होगा इस घर से शुरू, 5000 साल पहले खुद श्रीकृष्ण ने कही थी ये बात

धरती पर जब भी पाप बढ़ जाता है और धर्म की हानि होने लगती है, तब तब स्वयं भगवान ने धरती पर जन्म लेकर दुष्टों का विनाश किया है. शास्त्रों के अनुसार धरती पर कुल चार युग हैं. जिनमे से सबसे पहला युग सतयुग था. यह युग सच्चाई और अच्छाई का प्रतीक था. लेकिन धीरे धीरे इंसान के पाप इतने बढ़ गए कि कलयुग का समय आ गया. इस कलयुग को बाकी तीनों युगों के मुकाबले सबसे निकृष्ट माना गया है. श्रीमद् भगवत गीता श्री कृष्ण ने कहा था कि जब धरती पर पाप दुगुना हो जाएगा और इंसान एक दुसरे के दुश्मन बन जाएंगे तो वह युग कलयुग का दौर कहलायेगा. ऐसे में बाकी तीनों युगों की तरह ही कलयुग की अवधि भी हज़ार वर्षों की होगी जिसका अंत एक बार फिर से भगवान खुद करेंगे.

श्रीकृष्ण ने गीता में बताया कि भगवान विष्णु ने कभी परशुराम, कभी मत्स्य अवतार और कभी श्रीराम का अवतार धारण करके धरती पर पाप का अंत किया है. ऐसे में जब पाप, अनैतिकता, लोभ, अधर्म अपनी चरम सीमा को पार कर जाएंगे तो एक बार फिर से विष्णु भगवान कल्कि अवतार धारण करके धरती पर जन्म लेंगे. बता दें कि सतयुग से लेकर अभी तक विष्णु भगवान ने धरती पर नौ अवतारों में जन्म ले लिया है ऐसे में इस कलयुग का अंत करने के लिए उनके दसवें अवतार कल्कि की बारी है. हर व्यक्ति इस युग का अंत देखने को उनके कल्कि रूप का इंतज़ार कर रहा है.

शात्रों और पुराणों के अनुसार कलयुग का अंत करने के लिए और नए युग की स्थापना करने के लिए भगवान विष्णु अपना कल्कि अवतार लेंगे. इसके लिए वह कलयुग के अंतिम समय में सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचिमी को जन्म लेंगे. शायद यही वजह है जो हर साल भारत देश में सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचिमी को कल्कि जयंती के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. पुराणों में 5000 साल पहले ही लिखा गया था कि भगवान कल्कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल नामक स्थान पर विष्णुयशा ब्राह्मण परिवार के घर में जन्म लेंगे और एक घोड़े पर सवार होकर दुष्टों और पापियों का नाश करेंगे.

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि श्रीमद् भगवत गीता के 12 वें स्कन्द के 24 वें श्लोक में कहा गया है कि जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा ग्रह एक साथ पुष्य नक्षत्र में दाखिल होंगे तो भगवान कल्कि यानि विष्णु ने दसवें अवतार का जन्म होगा. उनके जन्म लेते ही एक बार फिर से संसार में सतयुग के दौर की शुरुआत होगी. शास्त्रों के अनुसार कलयुग की अवधि 4 लाख 32 हज़ार वर्ष की है जिसमे से अभी केवल 5,119 साल ही पूरे हुए हैं. ऐसे में कलयुग का अंत अभी बेहद दूर है.

सतयुग को एक समय में स्वर्ग युग माना जाता था लेकिन इस युग के बाद इंसान धीरे धीरे पतन की और बढ़ता चला गया और आज समय इस कदर बीत चुका है कि लोग अपनों के ही दुश्मन बनते जा रहे हैं. लालच और क्रोध ने इंसान के अंदर की इंसानियत को खत्म कर दिया है. लेकिन जब विष्णु का दसवां अवतार धरती पर जन्म लेगा तो एक बार फिर से इंसानों की बुद्धि लौट आयेगी और बुराई का अंत हो जाएगा. पुराणों की यह सभी बात कलयुग के अंत में आवश्य ही सत्य होंगी क्यूंकि चरों और बिलकुल वैसा ही हो रहा है, जैसा कि वेदों और ग्रंथों में लिखा गया था.

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