अफसर दंपति ने गोद ली शहीद की बेटी, कहा इसे भी बनाएंगे IAS-IPS अधिकारी
अधिकारियों को लेकर आम जन के मन में एक ही भावना होती है और वह यह कि अधिकारी जब कुर्सी पर विराजमान होता है तो खुद को राजा समझता है। उसे दुनिया समाज के दुख दर्द की कोई परवाह नहीं होती है। उसे तो बस रौब झाड़ने आता है और पैसा ऐंठना आता है। लोगों के मन मे अधिकारियों को लेकर इस नकारात्मक छवि को तोड़ने का काम किया है देश के ही अधिकारियों ने। इन अधिकारियों ने असल में ऐसा काम किया है जो कोई नेता या मंत्री भी कर सकता था, लेकिन असल लालच तो उनके मन में है कुर्सी का। इन अधिकारियों की एक पहल ने लोगों के मन में छवि बदली है औऱ एक गौरव महसूस कराने वाला काम किया है।
शहीद की बेटी ली गोद
यह दो अधिकारी हैं IPS अंजूम आरा और उनके पति IAS युनूस। इन्होंने अपने काम से इतर एक शहीद जवान परमीज की 12 साल की बेटी को गोद लिया। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि वह अपनी इस बेटी को भी अधिकारी बनाएंगे। इस दंपति की ऐसी अनूठी पहल ने लोगों के मन में विश्वास की ज्योति जलाई है और लोगों को यकीन दिलाया है कि हर अधिकारी भ्रष्ट और संवेदनहीन नहीं होता है। दोनों अधिकारी और शहीद परमजीत एक ही काम कर रहे हैं औऱ वह है देश की सेवा, लेकिन परमजीत शहीद हो चुके हैं।
देश की सुरक्षा कर रहे पंजाब के वीर सपूत परमजीत एक लड़ाई के दौरान शहीद हो गए। पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन टीम के हमले में पंजाब के तरनतारन के परमजी शहीद हुए तो अंतिम संस्कार के लिए 12 साल की बेटी क सामने आना पड़ा। दिल भारी कर देने वाला दृष्य लोगों की आंखों की सामने तैर गया क्योंकि छोटी सी बेटी के हाथ से पिता का अंतिम संस्कार किया जा रहा था। जैसे इस शहीद की बेटी की खबर दंपति अधिकारी को मिली उन्होंने फौरन उसे गोद लेने का फैसला कर लिया।
बेटी को भी बनाएंगे अधिकारी
जिस समाज में आज भी कहीं ना कहीं लड़कियों को बोझ समझा जाता है और बेटे पैदा होने की प्रार्थना की जाती है वहां इन्होंने एक बेटी को गोद भी लिया और साथ ही प्रण भी किया की उसे भी अफसर बनाएंगे। बता दें कि अंजूम सोलन शिमला में सोलन जिला की एसपी हैं तो पति युनीस कुल्लू जिला के कलेक्टर हैं।
हालांकि इस दंपति की ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं थी की उनके इस काम का किसी को पता चला, लेकिन लोगों तक यह बात पहुंच गई और लोगो ने उनके इस कदम की जमकर तारीफ भी की। अफसर दंपति का कहना है कि वह बेटी की पढ़ाई लिखाई खुद कराएंगे। उन्होंने परमजीत की पत्नी और परिवार वालों को इस बात के लिए मना भी लिया है। उनका कहना है कि अभी तक उनके पास एक बेटा था और अब एक बेटी भी हो जाएगी।
साथ रहना ना रहने का फैसला उन्होंने बच्ची पर छोड़ रखा है। उनका कहना है कि यह बेटी का फैसला है कि वह चाहे तो उनके पास रहे या फिर अपनी मां के पास रहे, लेकिन पढ़ाई लिखाई हर चीज का सहयोग अफसर दंपति उसे देंगे। अगर वह आइएएस या आईपीएस बनना चाहती है तो मिलकर उसके लिए ये राह आसान बनाएंगे।
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