इस मंदिर में पूजा करने के हैं अनोखे नियम, प्रसाद घर ले जाना है मना और जानें होता है क्या क्या
भारत में कई मंदिर हैं और कहा जाता है कि हर सात किलोमीटर के स्थान पर भी आपको कोई ना कोई मंदिर देखने को मिल जाएगा। छोटे मंदिरों के अलावा कुछ बड़े और विशेष मंदिर होते हैं जहां जाकर पूजा करने से विशेष कृपा मिलती है। इनमें से एक खास मंदिर है मेंहदीपुर बालाजी का मंदिर जो विशेष रुप से भूत प्रेत भगाने के लिए जाना जाता है। यह मदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित हैं।
बालाजी की है मान्यता
इस मंदिर में वह परिवार आते हैं जिनका कोई सदस्य किसी भूत प्रेत के साये से परेशान हो रहा हो। अगर आप यहां जाएंगे तो यहां का नजारा देखकर हैरान रह जाएंगे क्योंकि यहां की चीजें किसी दूसरे मंदिर की अपेक्षा बिल्कुल अलग तरह की होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में प्रवेश करते ही भूत प्रेत खुद डरकर भागने लगते हैं। जो जिद्दी प्रेतआत्माएं होती हैं उन्हें शरीर से मुक्त करने के लिए बहुत दंड दिया जाता है।
मेंहदीपुर बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा से छेद देखने को मिलता है जिससे लगातार पानी बहता रहता है। ऐसा मालते हैं कि यह बालाजी का पसीना है। इस मंदिर में तीन देवता का वास है। एक बालाजी दसरे प्रेतराज और तीसरे भैरों जिन्हे कप्तान कहा जाता है। यहां पर प्रसाद भी अलग अलग तरीके से चढ़ता है। बालाजी को लड्डू का प्रसाद चढ़ाते है, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाते हैं।
दर्शन के हैं सख्त नियम
बालाजी के प्रसाद की यह महिमा है कि खाने वाले के अंद भूत प्रेत जो भी होता है वह एक दो लड्डू में ही तड़प कर बाहर निकलने लगता है। वह तरह तरह की हरकते करने लगता है जिसके बाद उस व्यक्ति का वहीं इलाज किया जाता है। अगर इस मंदिर में दर्शन करने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो इसके कुछ कड़े नियम भी जान लें।
मेहंदीपुर बाला की दर्शन करने वालों के लिए नियम बहुत ही सख्त होते हैं। यहां आने वाले परिवार को कम से एक हफ्ते पहले से लहसुन, प्याज, अंडा, मांस शराब का सेवन बिल्कलुल छोड़ना होता है। एक हफ्ते एकदम सात्विक भोजन करने के बाद ही इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आ सकते हैं।
प्रसाद साथ ना लाएं
अगर मेंहदीपुर बालाजी गए हैं तो वहां का प्रसाद वहीं खाकर तभी बाहर निकलें। आम तौर पर लोग प्रसाद पाते हैं तो खुद खाने के बाद आस पड़ोस में बांटने के लिए भी लाते हैं, लेकिन बालाजी के प्रसाद के साथ ऐसा ना करें। इस मदिर के प्रसाद को भूलकर भी घर नहीं लाना चाहिए। ऐसा मानते हैं कि अगर यह प्रसाद मंदिर से बाहर आपके साथ निकला तो प्रेत का साया भी आपके साथ जाएगा।
बालाजी के दर्शन कर घर लौटते समय अपना बैग और जेब सबकुछ अच्छे से चेक कर लें। देख लें कि खाने पीने की कोई वस्तु आपके साथ तो नहीं आ गई हैं। यह इस मंदिर का नियम है कि खाने पीने का कोई सामान बाहर नहीं जाना चाहिए। यहां पर चढ़ने वाले प्रसाद को दर्खाव्सत और अर्जी कहते हैं। दर्खावस्त का प्रसाद लगने के बाद वहां से तुरंत निकलना होता है जबकि अर्जी का प्रसाद लेते समय उसे पीछे से फेंकना होचा है। प्रसाद फेंकते समय पीछे नहीं देखना चाहिए। आरती के वक्च आरती के छींटे लेने से शरीर हर रोग से मुक्त हो जाता है।
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