नैयर विशेषः बॉलीवुड का सबसे महंगा संगीतकार जिसने लता रफी सबसे दुश्मनी कर ली थी
पाकिस्तान के लाहौर में 16 जनवरी साल 1926 क जन्में ओपी नैयर हिंदी सिनेमा और संगीत का मशहूर चेहरा रहे। वह संगीत के दुनिया के बादशाह थे और इस बात के सिर्फ गायक ही नहीं बल्कि आम लोग भी जानकार थे। उन्होंने अपने संगीत से लोगों को प्यार करना सिखाया था। उनके संगीत और ताल की पूरी दुनिया दीवानी थी। हालांकि जितने वह संगीत के लिए दीवाने थे उतने ही सख्त रवैये के भी माने जाते थे और ऐसे एक दो नहीं बल्कि कई किस्से हुए जहां इस बात का सबूत मिला।
गुरुदत्त की फिल्मों से मिली पहचान
1952 में फिल्म आसमान से ओपी नैयर ने अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन लोगों के जेहन में उनकी पहचान नहीं बनीं। वह पहचान उन्हें मिली गुरुदत्त की फिल्मों से जिनमें आरपार, मिस्टर एंड मिसेज 55, सीआईडी और तुम सा नहीं देखा शामिल थे। इन फिल्मों के साथ ही ओपी नैयर एक बड़ा चेहरा बन गए और अपने संगीत से लोगों का दिल जीता।
माना जाता है कि ओपी नैयर की जोड़ी गीत के मामले में सबसे ज्यादा मशहूर गायिका बेगम के साथ जमती थी। दोनों के साथ गाए गाने कभी आर कभी पार, लेके पहला प्यार कजरा मोहब्बत वाला, कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना सुपरहिट रहे। इन गानों का जादू कुछ ऐसा था की नए समय में इन्हीं गानों का रिमिक्स भी बनाया गया औऱ वह गाने भी सुपरहिट रहे।
लता से कभी नहीं गवाया गाना
ओपी नैयर एक दिग्गज संगीतकार थे, लेकिन गाना गवाने के लिए उनकीपसंद बाकी संगीतकारों से काफी अलग थी। जिस चली की आवाज की दुनिया दीवानी थी उस लता से ओपी नैयर ने कभी गाना नहीं गवाया। ओपीन नैयर मानते थे कि उनके संगीत के हिसाब से लता की आवाज फिट नहीं बैठेगी। यह भी किस्सा तब का है जब लता से गाना गवाने के लिए हर छोटा बड़ा संगीतकार परेशान रहता था क्योंकि लता के गाए गाने सुपरहिट हुआ करते थे।कुछ लोग मानते थे कि ओपी अपने सख्त रवैये के चलते ऐसा फैसला लेते हैं। बात सिर्फ यहीं तक नहीं थीं। एक बार एक गीत के लिए मोहम्मद रफी को स्टूडियो में आना था, लेकिन उन्होंने आने में देरी कर दी थी। इस बात से ओपी नैयर इतने नाराज हो गए थे कि उन्होंने रफी जी को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था और किसी और सिंगर से वह गाना गवाया था। उनकी यह लड़ाई लगभग तीन साल तक चली थी। इसके बाद रफी साहब एक बार खुद ही नैयर साहब के घर पहुंच गए औऱ दुश्मनी भुलाकार दोनों ने दोस्ती कर ली।
दुनिया को अलविदा कह गए ओपी
ओपी नैयर को काफी विद्रोही स्वभाव का माना जाता था। इसके पीछे यह वजह थी की उनके पिता काफी अनुशासित व्यक्ति थे और बचपन में ओपी साहब को अनुशासनहीनता दिखाने पर मार पड़ती थी। इसके बाद से वह मार उनके दिल में इस कदर बैठ गई कि वह खुद नियम के पक्के बन गए। हालांकि उनका यही रवैया उनके काम के प्रति समर्पण भी दिखाता था। पहले गीतसे 12 रुपए कमाने वाले ओपी नैयर बहुत जल्द लाखों में खेलने लगे थे। अपनी 81 साल की जिंदगी में उन्होंने संगीत के प्रति गजब का लगाव दिखाया और 28 जनवरी 2007 में उन्होने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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