कुंभ 2019 : नागा और अघोरी साधु के बीच होते हैं ये 5 बड़े अंतर, ज़रूर जाने
इन दिनों कुंभ नगरी में साधु संतो का मेला देखने को मिल रहा है। कुंभ में साधु संत बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इसी बीच कुंभ में नागा साधु और अघोरी साधु को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। साधु बनने के लिए इंसान को बड़े ही तप करने पड़ते हैं और कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, तब जाकर कोई साधु बनता है। यूं तो हिंदु धर्म में कई प्रकार के साधु होते है, जिनमें से एक नागा और अघोरी साधु हैं। जी हां, नागा और अघोरी साधुओं को लोग एक जैसे मानते हैं, लेकिन इनके बीच कई मुख्य अंतर है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
कैसे बनते हैं नागा और अघोरी साधु?
नागा और अघोरी साधु बनने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, लेकिन दोनों को साधु बनने के लिए 12 साल लगते हैं। दोनों को खूब मेहनत और तप करनी पड़ती है, तब जाकर साधु बनते हैं। बता दें कि जहां एक तरफ नागा साधु को अखाड़ो में दीक्षा लेनी पड़ती है, तो वहीं अघोरी साधु बनने के लिए श्मशान में रहना पड़ता है। श्मशान में रहकर सालो तप करने के बाद कोई अघोरी साधु बनता है।
कौन होते हैं ये नागा और अघोरी साधु के गुरू?
हर किसी का कोई न कोई गुरू ज़रूर होता है, ठीक इसी तरह से नागा और अघोरी साधु के भी गुरू होते हैं। जहां एक तरफ नागा साधु के गुरू अखाड़े के प्रमुख होते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अघोरी साधुओं के गुरू स्वंय भगवान शिव होते हैं। अघोरियों को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना गया है और माना जाता है कि इनमें देवी देवताओं की शक्ति होती है। अघोरी साधु श्मशान में मुर्दों के पास बैठकर तप करते हैं, जिनसे इन्हें देवी दैत्य की शक्ति प्रदान होती है।
कैसे कपड़े पहनते हैं नागा और अघोरी साधु?
तन ढकने के लिए कपड़ो की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार नागा और अघोरी साधु भी अपना तन ढकने के लिए कपड़े पहनते हैं। बता दें कि तन ढकने के लिए जहां एक तरफ नागा साधु कपड़े पहनते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अघोरी साधु जानवरो की खाल पहनते हैं। अघोरी साधु कभी भी प्रचलित कपड़े नहीं पहनते हैं, वे हमेशा जानवरो की खाल ही पहनते हैं।
कैसा भोजन करते हैं नागा और अघोरी साधु?
जीने के लिए इंसान को भोजन की ज़रूरत होती है। नागा साधु अपना पेट पालने के लिए शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते हैं, लेकिन अघोरी साधु सिर्फ मांसाहारी भोजन करते हैं। ये जानवरो ही नहीं, इंसानों के मांस भी खाते हैं। बता दें कि अघोरी साधु मुर्दे के मांस को खाते हैं, जिससे अपना पेट पालते हैं।
कैसे जीवन यापन करते हैं नागा और अघोरी साधु?
बता दें कि नागा साधु अपना जीवन यापन करने के लिए इधर उधर धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं, लेकिन अघोरी साधु ताउम्र श्मशान में ही रहते हैं। यही वजह है कि कुंभ में आपको नागा साधु दिखेंंगे, लेकिन अघोरी साधु नहीं दिखेंगे, क्योंकि ये हमेशा श्मशान में ही रहते हैं और वही अपना जीवन यापन करते हैं।