क्या आपके बच्चे को भी है हकलाने की समस्या, जानें क्या है इसका कारण और इलाज
हर बच्चा अलग होता है और सभी के किसी काम को सीखने औऱ करने की क्षमता एकदम अलग होती है। अगर बोलने की बात करें तो कुछ बच्चे 2-3 साल की उम्र में एक दम साफ साफ बात करने लगते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को खुलकर बात करने में 8 से 10 साल की उम्र लग जाती है। देर से बोलने वाले बच्चों की मानसिक क्षमता दूसरे बच्चों से अलग होती है। अगर आपका बच्चा देरी से बोलना शुरु कर रहा है तो इसका मतलब यह नही है कि वह दिमागी रुप से कमजोर है या फिर उसका विकास नहीं होगा। कई बार बच्चों के लेट बोलने से माता पिता घबरा जाते हैं, लेकिन इसमें घबराने जैसा कुछ भी नही है।
क्यों हकलाते हैं बच्चे
अगर आपका बच्चा बोलने से पहले कुछ ज्यादा वक्त लेता है या फिर बहुत ही रुक रुक कर बोलता है तो यह हकलाने की समस्या हो सकती है। एक शोध में ये बास सामने आई है कि जो बच्चे जन्म के बाद 6 महीने ज्यादा नही रोते हैं या फिर बहुत कम परेशानी होने पर ही रोते हैं वह भविष्य में हकलाने की समस्या से गुजर सकते हैं। हालांकि यह जरुरी नही है कि वह बच्चे आगे हकलाएं ही क्योंकि कुछ बच्चे देर से बोलना सीखते हैं।
कई बार बच्चों के हकलाने की समस्या के लिए मां भी जिम्मेदार होती है। ऐसा होता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिला को पीलिया की बीमारी हो गई हो तो ऐसे बच्चों में हकलाने की समस्या हो जाती है।
कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान मां को पेट में लगने वाले झटके चोट या किसी दबाव के कारण बच्चे को बोलने और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। ऐसे में हकलाना या देर से बोलने की समस्या सामने आती है।
मां के बोलने से पड़ता है प्रभाव
बच्चे को कनेक्शन के बारे में जानकर आपको काफी हैरानी हो सती है। बच्चों के ब्रेन सेल कनेक्शन्स को सिनेप्सिस कहते हैं। अगर बच्चे जिन कनेक्शन का इस्तेमाल नहीं करते है वह धीरे धीरे खत्म हो जाता है। ऐसे में यह मां पर निर्भर करता है कि वह अपने बच्चे का कैसे ख्याल रखती है और उससे कितना बात करती है। ऐसा कहा जाता है कि जो माएं अपने बच्चों को दुलारती हैं और ज्यादा बातें करती हैं उनके बच्चे जल्दी बोलना सीख जाते हैं। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है कि 6 महीने तक के बच्चे 17 प्रकार की आवाजों पहचान लेते हैं और ऐसे में जो जो उनसे जल्दी बातें करता है वह उनकी आवाजें पहचानने लगते हैं।
क्या है बच्चों में हकलाने के लक्षण
बच्चे जब भी किसी शब्द को बोलने से पहले एक लंबा विराम ले, किसी शब्द को बोलने से पहले हिचकिचाहट महसूस करें, किसी शब्द या आवाज या फिर शंब्द को बार बार दोहराएं तो इसे हकलाने की समस्या कह सकते हैं।
साथ ही बोलते समय तेजी से आंखे बंद कर लेना. होंठ का कांपना, जबड़े का हिलना भी इस समस्या के लक्षण होते हैं।
हकलाने का इलाज
इस बात को समझ लें कि इस परेशानी को किसी दवा से नहीं दूर कर सकते। इसके लिए आप बच्चे को किसी स्पीच थेरेपिस्ट औऱ मनोवैज्ञानिक की मदद से ठीक कर सकते हैं। बच्चे के हकलाहटके कारण को जानने की कोशिश करें। अगर बच्चा किसी बात से डर के हकला रहा हो तो यह दूसरी समस्या है। बच्चे के अंदर आत्मविश्वास पैदा करने की कोशिश करें। उसे कभी यह ना जताएं की उसके अंदर किसी चीज की कमी है। बच्चों को खेलने और दूसरे लोगो से बात करने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहें।
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