इन देशों में बैन है बच्चों का नामकरण करना, उल्लंघन करने पर हो सकती है माता-पिता को जेल
जब घर में कोई नन्हा मेहमान आता है, तो हर कोई खुशी से झूम उठता है। नन्हे मेहमान के स्वागत के लिए घर में छोटे बड़े फंक्शन रखे जाते हैं, जिसमें से नामकरण भी एक है। बच्चे का नामकरण करना माता पिता का अधिकार होता है, लेकिन कई देशो में इसे बैन किया गया है। जी हां, दुनिया में कई ऐसे देश मौजूद हैं, जहां माता पिता अपने बच्चे का नाम नहीं रख सकते हैं यानि नामकरण नहीं कर सकते हैं। इसके पीछे की अलग अलग वजह सामने आई है और इसे सरकार द्वारा बैन किया गया है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
बच्चे के जन्म के बाद नामकरण पहला फंक्शन होता है, जिसमें सभी मेहमानों को बुलाया जाता है। बच्चे का नाम बहुत ही धूमधाम से रखा जाता है, लेकिन कुछ देश के माता पिता को यह अधिकार नहीं मिला है। हालांकि, इसके पीछे उन देशों की अपनी अपनी वजह है, लेकिन अगर हम सुनते हैं तो हमे थोड़ा अजीब लगता है, क्योंकि हमारे देश में बच्चे का नाम तो माता पिता या फिर रिश्तेदार ही रखते हैं, लेकिन बाकी देशों में नामकरण पर ही बैन लगा हुआ है। तो चलिए जानते हैं कि इस कड़ी में कौन कौन से देश शामिल है।
सउदी अरब में बैन है नामकरण
यूं तो माता पिता को अपने बच्चे का नामकरण करने की पूरी आजादी होती है, लेकिन सउदी अरब के सरकार ने इस पर बैन लगा रखा है। दरअसल, इसके पीछे सरकार का कहना है कि कुछ नाम बहुत विदेशी, अधर्मी और देश विरोधी होते हैं, इसलिए नामकरण पर बैन है। हालांकि, इस देश में कुछ चुनिंदा नाम को नहीं रखने का प्रावधान है, जिसमें बिंयामीन, मल्लिका, मलक, लिंडा और माया आदि नाम शामिल हैं।
फ्रांस में नामकरण पर लेनी पड़ती है कोर्ट की मंजूरी
फ्रांस का एक कोर्ट बच्चों के प्रति बेहद जागरूक है। ऐसे में ये कोर्ट हमेशा बच्चों के स्वाभिमान के बारे में सोचता है। जी हां, इस कोर्ट के मुताबिक, जो भी माता पिता अपने बच्चे का नाम रख रहे हैं, उन्हें पहले जन्म प्रमाण-पत्र रजिस्ट्रार को अपने स्थानीय कोर्ट को दिखाना होता है, जिसके बाद कोर्ट तय करता है यह नाम सही है या नहीं। दरअसल, इसके पीछे का नियम यह है कि कोई भी ऐसा नाम न रखा जाए, जिससे बच्चे का ताउम्र मजाक बनाया जाए।
डेनमार्क में लेनी पड़ती है सरकार की अनुमति
डेनमार्क सरकार ने पहले से ही बच्चों के नाम तय कर रखे हैं। इसके लिए सरकार ने हजारों बच्चों के नाम की लिस्ट बना रखी है, जिसमें से ही माता पिता अपने बच्चे का नाम रखते हैं और अलग से रखते हैं तो उन्हें सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है। बता दें कि सरकार के इस लिस्ट में हर साल नये हजार नाम जोड़े जाते हैं, लेकिन कुछ नामों को लेकर सख्त पाबंदी है। इसलिए बच्चे का नामकरण माता पिता को सरकार द्वारा बताए गये नामों से ही करना पड़ता है।
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