कुंवारी लड़कियों को नहीं छूना चाहिए शिवलिंग, जानिए इस मान्यता की क्या है वजह
हिंदू धर्म में शिवलिंग का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि शिवलिंग स्वयं बगवान शिव के वजूद का प्रतीक है इसलिए वर्षों से लोग शिवलिंग की पूजा करते आए हैं. वहीँ शिवलिंग पर दूध या जल अर्पित करने को लेकर भी लोगों के अपने अलग मत हैं. शिवपुराण के अनुसार यी एक प्रकार की शिव की ज्योति का प्रतीक है. ऐसे में जो मनुष्य इसकी पूजा करता है, उसे भगवान शिव का आशीर्वाद आवश्य ही प्राप्त होता है. शिवलिंग को लेकर शास्त्रों में कईं धारणाएं प्रचलित हैं. लेकिन आज तक इस सवाल का जवाब कोई नही जान पाया है कि आखिर कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग छूने से या उसकी पूजा करने से क्यूँ रोका जाता है? यह एक ऐसा सवाल है जो अपने आप में ही लाखों और सवाल पैदा करता है. लेकिन आज हम आपको इसके पीछे के कुछ सत्य बताने जा रहे हैं, जिनसे शायद आप भी वाकिफ नहीं होंगे.
कब हुई शिवलिंग की पूजा करने की शुरुआत?
पुराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया. जिसे सुलझाने के लिए एक दिव्या ज्योति को प्रकट किया गया. इसी ज्योति को बाद में ज्योतिलिंग मान कर ब्रह्मा और विष्णु जी को शिव के परब्रह्म रूप का आभास हुआ था. जिसके बाद दोनों ने भगवान शिव को जगत गुरु मान कर उनके ज्योतिर्लिंग की पूजा की. हालाँकि हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा खंडित है लेकिन शिव के शिवलिंग और शालिग्राम के पूजन को शुभ माना जाता है.
कुंवारी लड़कियां नहीं छू सकती शिवलिंग
जहाँ एक तरफ हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए शिवलिंग को सर्वश्रष्ठ माना गया है, वहीँ दूसरी और यह धारणा भी सदियों से निभायी जा रही है कि कुंवारी लड़कियां शिवलिंग को नहीं छू सकती. शिवलिंग के पूजन का अधिकार खासतौर पर मर्दों को दिया गया है और कुंवारी कन्याओं के लिए इसका पूजन वर्जित रखा गया है. इसके पीछे कईं वजह हैं, जिन्हें हम में से अधिकतर लोग नही जानते. चलिए जानते हैं इन वजहों के बारे में.
क्या है इसका कारण?
-एक पुरानी कहानी के अनुसार यह माना जाता है कि भगवान शिव बहुत कठोर और पवित्र तपस्या में लीन रहते थे. ऐसे में कोई भी आदमी या औरत उनके आस पास जाने से कन्नी कतराते थे. इतना ही नहीं बल्कि उस समय में देवी देवता और सुंदर अप्सराएं भी इस बात का खास ध्यान रखती थी कि भगवान शिव की तपस्या उनकी गलती से भंग ना हो जाए. यहां तक कि उनकी वजह से भगवान का ध्यान ना बंट जाए और वह उन पर क्रोध ना बरसा दें. शायद यही वजह है कि तब से लेकर आज तक कोई भी औरत या कुंवारी लड़की शिवलिंग को ना तो छू सकती है और ना ही उसका पूजन कर सकती है.
-आप में से बहुत से लोग यह सोचते होंगे कि कुंवारी लड़कियां भगवान शिव को नहीं पूज सकती लेकिन यह बात पूरी तरह से सत्य नहीं है दरअसल लड़कियों को भगवान शिव की अकेले पूजा करना मना किया गया है लेकिन वह अगर शिव -पार्वती की एक साथ पूजा करती हैं तो इसके लिए उन्हें वर्जित नहीं किया जाता.
-एक अन्य धारणा के अनुसार सभी पुरुष भगवान शिव का ही अंश है जबकि लड़कियां मां पार्वती जी का, इसलिए सभी लड़कियों को शिवलिंग को हाथ लगाने से मना किया गया है लेकिन उस पर जल चढ़ाने की उन्हें कोई मनाही नहीं है.