करोड़ों की दौलत छोड़ कर पूरे परिवार के साथ सन्यासी बन रहा है यह बिजनेसमैन, वजह जान चौंकिएगा नहीं
किस्मत का भी अजीब खेल होता है हर किसी को दौलत की चाह होती है और जिनके पास ये अमूल्य संपत्ति होती है उन्हें इसकी कद्र कम ही होती है. कुछ लोग इसे कमाने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं और कुछ लोग अपनी दौलत बांटने में लगे हुए हैं. कुछ ऐसा ही कर रहे हैं महाराष्ट्र के भिवंजी में रहने वाले एक बिजनेसमैन की पूरी फैमिली अब संसारिक मोहमाया को त्यागकर वैराग्य जीवन जीने का फैसला लिया है. जिनके पास करोड़ों की दौलत है उनका कहना है कि ‘दौलत से नहीं बल्कि साधू जीवन में ही मिल सकता है सुख’, और इसी के साथ वो अपने परिवार के साथ संसार का सारा सुख त्यागने को तैयार हो गए. अब इसके पीछे उनकी क्या माया है और वो ऐसा करके कहां जाएंगे चलिए इसके बारे में हम आपको बताते हैं.
‘दौलत से नहीं बल्कि साधू जीवन में ही मिल सकता है सुख’
महाराष्ट्र के भिवंडी में रहने वाले बिजनेमैन राकेश कोठाई उनकी पत्नी सीमा, बेटा मीत और बेटी शैली एक साथ गुजरात के संखेश्वर में जैन धर्म में दीक्षा लेने जा रहे हैं. इससे पहले इस कोठारी परिवार ने भिवंडी के गोकुलनगर में बहुत ही धूमधाम से ये ऐसान किया कि वो दीक्षा लेंगे और इसे उन्हें गाने-बजाने के साथ किया. इसमें जैन समाज के लोग भी शामिल हुए थे. इस बारे में राकेश कोठारी का कहना है कि शाश्वत सुख साधू जीवन में ही मिलता है. इन चारों के दीक्षा लेने के बाद उनके करोड़ों का कारोबार देखने वाला कोई नहीं रहेगा. दरअसल राकेश कोठारी का का टेक्सटाइल का बिजनेस है और उसका सालाना टर्नओवर करोड़ों में होता है. उनकी पत्नी सीमा हाउसवाइफ हैं, उनके बेटे मीत बीकॉम करके सीए की तैयारी कर रहा था और इन सबको अब संसार का कोई मोहमाया नहीं है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक राकेश की छोटी बेटी शैली हायर एजुकेशन के बाद धार्मिक शिक्षा ग्रहण कर रहीहैं. उन्हें सिंगिंग का बहुत शौक है और वो इंडियन आइडल में जाना चाहती हैं. हालांकि वो अपने पूरे परिवार के वैराग्य जीवन पर प्रवेश करने के बाद बिजनेस नहीं देखेंगे और फिर उनका करोड़ों का बिजनेस देखने वाला अब कोई नहीं है.
इस वजह से पूरी फैमिली ले रही है सन्यास
राकेश कोठारी के सन्यास लेते ही हर तरफ उनके बारे में बातें होने लगीं. एक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, राकेश कोठारी का कहना है कि जैन धर्म को उन्होंने बहुत करीब से समझा है और उन्हें लग गया है कि शाश्वत सुख संत जीवन जीने में ही है बाकि सब मोहमाया का जंजाल है. राकेश कोठारी ने इस बारे में आगे बताया, कि मोक्ष की प्राप्ति दीक्षा लेने मेंही है और यही वजह है कि मैंने जैन धर्म की दीक्षा लेने का फैसला किया है. संसार में सुखों को कम करने के लिए उनके पूरे परिवार ने वैराग्य जीवन जीने का निर्णय लिया जिससे वो खुश और अब वो उनके परिवार के साथ ऐसे ही रहेंगे.