झूठी एफआईआर से बचने के लिए करें ये काम, पुलिस भी आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगी
एफआईआर (FIR) का मतलब होता है First Information Report. कोई भी क्रिमिनल ऑफेंस होने पर पुलिस में जाकर FIR लिखवाना पड़ता है. FIR लिखवाने के बाद ही पुलिस आगे की कार्रवाई करती है और शिकायत मिलने पर ही FIR लिखी जाती है. पीड़ित व्यक्ति पुलिस स्टेशन जाकर FIR लिखवाता है जिसके बाद पुलिस आरोपियों पर उचित कार्रवाई करती है. FIR एक प्रकार का लिखित दस्तावेज होता है जिसे शिकायत मिलने पर पुलिस तैयार करती है.
FIR कब लिखवाई जाती है?
बता दें कि कोग्निजेबल ऑफेंस होने पर ही FIR रजिस्टर करवाई जाती है. कोग्निजेबल ऑफेंस का मतलब एक ऐसा ऑफेंस जिसमें पुलिस को अरेस्ट करने के लिए वारेंट की जरूरत नहीं होती. इस स्थिति में पुलिस आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ कर सकती है. पुलिस के पास अधिकार होता है कि वह आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सके. वहीं, यदि ऑफेंस नॉन कोग्निजेबल है तो इस स्थिति में FIR दर्ज नहीं किया जाता. कोर्ट के दखल के बाद ही इस तरह के FIR दर्ज किये जा सकते हैं. कोर्ट के आर्डर के बिना पुलिस एक्शन नहीं ले सकती.
झूठी FIR के खिलाफ करें इस धारा का इस्तेमाल
लेकिन कई बार ऐसा होता है जब आपसी मतभेद के कारण लोग झूठी FIR लिखवा देते हैं. ऐसे में जिनके खिलाफ झूठी FIR दर्ज कराई गयी है वह फालतू के कानूनन तामझाम में फंस जाते हैं और उनका समय बर्बाद होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि झूठी FIR से आप कार्रवाई करके खुद को बचा सकते हैं. भारतीय संविधान में भारतीय दंड संहिता की धारा 482 C.R.P.C ऐसा ही कानून है जिसका इस्तेमाल करके आप फिजूल की परेशानियों से बच सकते हैं.
क्या है धारा 482?
यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी एफआईआर लिखवाई है तो आप इस धारा का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके तहत वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र लगाया जा सकता है जिसके अंतर्गत आप अपनी बेगुनाही के सबूत पेश कर सकते हैं. आप, वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स जैसे डॉक्युमेंट्स प्रार्थनापत्र के साथ अटैच कर के कोर्ट को दे सकते हैं.
कैसे करें धारा 482 C.R.P.C के तहत अपील
यदि आपको किसी ने चोरी, मारपीट, बलात्कार या अन्य किसी मामले में गलत फंसाया है तो आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. जब तक हाईकोर्ट में केस चलेगा तब तक पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती. इतना ही नहीं, यदि आपके खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया गया है तब भी केस चलने के दौरान पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकती. कोर्ट इन्वेस्टीगेटिंग ऑफिसर को जांच के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दे सकती है.
तैयार करें फाइल
यदि आपको इस धारा के तहत हाईकोर्ट में याचिका दायर करना है तो सबसे पहले एक फाइल तैयार करनी होगी. इस फाइल में एफआईआर की कॉपी के साथ सभी एविडेंस के जरूरी डाक्यूमेंट्स लगाने होंगे. आपका वकील एविडेंस तैयार करने में आपकी मदद कर सकता है. आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका भी जिक्र इस फाइल में होना चाहिए.
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