उज्जैन के दर्शनीय स्थल में से ये 4 जगहें हैं बेहतरीन, 2020 में घूमने का बनाए प्लान
भारत में ऐसे कईं तीर्थ स्थल है जो अपने आप में ढेरों राज समोय हुए हैं. इन्ही में से आज हम आपको उज्जैन के दर्शनीय स्थल में मौजूद मंदिरों से परिचित करवाने जा रहे हैं, जिससे आप में से कईं लोग वाकिफ होंगे. यदि आप बच्चों और परिवार के साथ कईं छुट्टियाँ बिताने की सोच रहे हैं तो उज्जैन के दर्शनीय स्थल आपके लिए उत्तम विकल्प साबित हो सकते हैं. मध्य प्रदेश की धरती पर बसा उज्जैन महाकाल की धरती कहलाता है. यहाँ हर साल लाखों भक्त महादेव के दर्शनों के लिए पहुँचते हैं. उज्जैन को लेकर एक तथ्य काफी प्रचलित है कि, “यदि एक बैलगाड़ी भर कर अनाज उज्जैन नगरी में लिजाया जाए और यहाँ के हर मंदिर में एक मुट्ठी चढाया जाए, आनाज ख़तम हो जाएगा लेकिन तीर्थ स्थल खत्म नहीं होंगे”.
शिप्रा नदी के किनारे बसे उज्जैन अपने तीर्थ स्थलों के लिए जाना जाता है. उज्जैन में घूमने के लिए आप यहाँ की बस सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं. यह बस 37 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से हर रोज़ देवास गेट से सुबह 7 बजे और दोपहर 2 बजे चलती है. इसके इलावा आप उज्जैन दर्शनीय स्थल को टेम्पो, रिक्शा आदि जैसे वाहनों से भी घूम सकते हैं. उज्जैन के दर्शनीय स्थल पर जाने का यदि आप विचार बना रहे हैं तो बता दें कि यहाँ घूमने के लिए आपके पास कम से कम 3 दिन का समय होना अनिवार्य है. उज्जैन के प्रसिद्ध स्थल में से कुछ फेमस दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं-
महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन के दर्शनीय स्थल में से सबसे पहला नाम महाकालेश्वर मंदिर का आता है. उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. यह उज्जैन के रेलवे स्टेशन से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जोकि दक्षिण मुखी है. इसी के कारण इस स्थान का तांत्रिक विद्या में विशेष महत्व है.
इस मंदिर में भगवान शिव का एक स्वयंभू शिवलिंग है जो अपने आप इस जगह पर प्रगट हुआ था. यहाँ होने वाली आरती में सिले हुए कपड़े पहनना वर्जित है इसलिए पुरुष धोती पहन कर इस आरती में शामिल होते हैं जबकि महिलाएं साड़ी पहनती हैं. भस्म आरती में शामिल होने के लिए बुकिंग करवाना अनिवार्य है. एक बार आप भी उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर ज़रूर जाएं।
देवी हरिसिद्धी मंदिर
उज्जैन के दर्शनीय स्थल में दूसरा अहम स्थान देवी हरिसिद्धी मंदिर का है. बता दें कि शिव भगवान ने स्वयं चंडी देवी को हरिसिद्धी का नाम दिया था. मान्यता है कि दक्ष प्राप्ति के यज्ञ कुंड से जब शंकर भगवान माँ सती को ले जा रहे थे तो सती माँ की कोहनी यहाँ गिर गई थी. इसलिए इसे 52 शक्तिपीठों में से एक माना गया है.
एक मान्यता के अनुसार यहाँ के शासक राजा विक्रमादित्य को देवी द्वारा यह वरदान हासिल था कि उनके राज्य में यदि कोई दूसरा शासक आता है तो वह रात्रि में विश्राम नहीं कर सकेगा. इसलिए आज भी उज्जैन के प्रसिद्ध स्थल में कोई मुख्यमंत्री या अन्य शासक रात्रि में विश्राम के लिए नहीं ठहरता.
मंगलनाथ मंदिर
मंगलनाथ मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध स्थल में से तीसरा महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शंकर के एक अंश के गिरने से मंगल ग्रह का जन्म हुआ था. वहीँ दूसरी और कर्क रेखा भी इसी मंदिर से हो कर गुजरती है. मंगल गृह पर शांति बनाए रखने के लिए यहाँ हर साल विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है. इस अति प्राचीन मंदिर के दर्शन करके भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. बता दें यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.
चिंतामन गणेश मंदिर
भगवान गणेश का चिंतामन गणेश मंदिर उज्जैन के दर्शनीय स्थल में से चौथा महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त जाता है, उसकी हर प्रकार की चिंताएं दूर हो जाती है. भगवान शिव शंकर ने एक समय में गणेश जी को वरदान दिया था कि कोई भी शुभ कार्य गणेश भगवान के पूजन के बिना आरंभ नहीं किया जा सकता इसलिए इस मंदिर से गणेश भगवान के आशीर्वाद को ले कर ही यात्रा का प्रारंभ किया जाता है.