दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करने से होगी हर मनोकामना पूरी, बस ध्यान रखें इन 5 बातों का
हिंदू धर्म में दुर्गा माँ और दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस पाठ का सच्चे मन से जाप करने से दुर्गा माँ को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. दुर्गा माँ को उनके नौं रूपों के लिए जाना जाता है. अपने हर रूप में दुर्गा माँ ने दुष्टों का नाश करके बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की है. इसी के कारण हर साल भारत में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ (Durga Saptashati Path) करने का विधान है. महिषासुर जैसे राक्षस का अंत करने वाली दुर्गा माँ के इस पाठ के जाप से हर प्रकार के संकटों और दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है. कहा जाता है कि जो भी भक्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, उससे माँ प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा का पात्र बना लेती हैं.
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का महत्व
जब भी धरती पर पाप बढ़ जाता है तो माँ दुर्गा अवतार लेकर सभी दुष्टों का नाश करती हैं. दुर्गा सप्तशती पाठ (Durga Saptashati path) के जाप से आत्मिक सुख और संपन्नता प्राप्त की जा सकती है. दुर्गा सप्तशती मंत्रों अर्थात श्लोकों से सजाया गया एक ऐसा पाठ है, जो अपने आप में ही बहुत शक्तिशाली है. पाठ में मौजूद दुर्गा सप्तशती मंत्रों (Durga Saptashati Mantra) से हर प्रकार के टोने टोटके, गुप्त साधना, तांत्रिक साधना को सुचारू रूप से नष्ट किया जा सकता है. दुर्गा सप्तशती पाठ में कुल 13 अध्याय हैं. इसका नवरात्रि में जाप करने से अचूक फल मिलता है. दुर्गा सप्तशती एक किताब की तरह है जिसमे माँ दुर्गा के सभी अवतारों की जानकारी प्राप्त होती है.
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) सिद्धिकरण विधि
नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati Mantra) के मंगलकारी मंत्रों को बोलना बेहद अचूक उपाय माना गया है. इससे दुर्गा माँ अपने भक्तों पर सुख-समृद्धि बरसाए रखती हैं. दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि विधान से करने के नियम बनाए गए हैं. इसके पाठ (Durga Saptashati Path) के लिए मन में किसी तरह की क्रूरता, भेद-भाव, ईर्ष्या, द्वेष आदि नहीं होना चाहिए. इसके लिए आप सुबह स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्रों को धारण कर लें और लाल वस्त्र पर विराजित माँ दुर्गा की तस्वीर पर कुमकुम, अक्षत, लाल पुष्प आदि अर्पित करें. इसके बाद आप उन्हें गाय के घी से बने पकवानों का भोग लगाएं और धुप एवं दीपक जला कर हाथ में लाल फूल व अक्षत लेकर मंत्रों का जाप करें.
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) में इन बातों का रखें ध्यान
1. दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ एक लय में ही करना चाहिए. पाठ का उचारण साफ़ करें ताकि उसे ठीक से सुना और समझा जा सके.
2. पाठ करते समय शुद्धता का ख़ास ख्याल रखें और हाथ पैरों को स्पर्श ना करें.
3. दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करते समय कुश आसन का इस्तेमाल करें लेकिन अगर यह आसन ना हो तो ऊनी चादर या कंबल का इस्तेमाल करें.
4. पाठ करने से पहले बिना सिले हुए वस्त्र धारण करें. पुरुष धोती और महिलाएं साड़ी पहनें.
5. दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करते समय मन में कोई आलस नहीं रहना चाहिए और ध्यान पाठ पर केंद्रित होना चाहिए.