बेटे की चाह में इस परिवार ने उठाया ये कदम, जानकर आप भी पकड़ लेंगे सर
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: आज के समय पर एक तरफ सरकार ना जाने कितनी तरह की योजनाएं ला रही हैं, बेटी बचाओ से लेकर के सुकन्या धन योजना ना जाने कितनी तरह की योजनाएं सरकार लेकर आ रही हैं जिससे लोगों के दिमाग में इतने सालों से चली आ रही रूढ़ीवादी समाज के एक बड़े वर्ग में आज भी बेटे को अहमियत देना जारी है। आज जब बेटियां हर क्षेत्र में अपनी बढ़त बना रही हैं और पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं इसके बावजूद भी कई लोग बेटों की चाह में ऐसा कुछ करते जा रहे हैं जिसे जानकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे।
बेटे की चाह में लोग क्या कुछ कर रहे हैं इसका एक उदाहरण देखने को मिला है मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले और अंचल जिले में जहां पर दो परिवारों ने बेटे की चाह में ऐसा कुछ कर दिया जिसे जानकर आप भी भौचक्का रह जाएंगे।
पहला मामला है पोहरी के गंगूरीपुरा का जहां पर विनोद शर्मा नाम के युवक की पत्नी माया बेटे की चाह में 11 बार गर्भवती हुई लेकिन 10 बार उन्होंने बेटियों को ही जन्म दिया। माया और उनके पति के बेटे की चाह इस कदर थी कि 10 बार बेटियों के जन्म के बाद भी उन्होनें बेटे की लालसा नहीं छोड़ी और 11वीं बार गर्भवती होने पर उनके घर बेटे का जन्म हुई, माया ने 24 अप्रैल 2018 को एक बेटे को जन्म दिया। बता दें कि 10 बेटियों में से 2 बेटियों ने तो जन्म के समय ही दम तोड़ दिया था। विनोद के परिवार की आर्थिक स्थिति के बात करें तो वो एक टीवी रिपेयर हैं और घर में कमाई करने वाले एक मात्र सदस्य हैं। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि बेटे की चाह ने उनको 9 बच्चों का पिता तो बना दिया लेकिन अब वो उनका भरण-पोषण कैसे करेंगे?
दूसरे बेटे के लिए दिया 7 बेटियों को जन्म
बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं हैं जब बेटे की चाह ने लोगों को इस तरह की हरकत की हो। एक मामला सामने आया है अंचल से जहां पर एक दंपत्ति के एक बेटा था लेकिन एक और बेटे की चाह में उन्होंने 7 बेटियों को जन्म दे दिया। जामखो के रहने वाले राकेश गोस्वामी की पत्नी ने सबसे पहले एक बेटी को जन्म दिया लेकिन दूसरी बार जब वो गर्भवती हुईं तो उनके यहां एक बेटे का जन्म हुआ और तब उनका परिवार पूरा हो गया, लेकिन बेटे की लालसा ने राकेश और उनकी पत्नी को इस तरह जकड़ रखा था कि एक बेटा होने पर उनको दूसरे बेटे की चाह हुई और इन्ही सबके चलते राकेश की पत्नी ने 6 बेटियों को जन्म दिया। 8 बच्चों के माता-पिता बनने के बाद भी राकेश और उसकी पत्नी को एक बेटे की लालसा है जो 7 बेटियों के पिता और 1 बेटे के पेरेंट्स बनने के बाद भी बरकरार है।
इन दोनों परिवार को देखकर यही लग रहा है कि सरकार चाहे जो भी कर ले लेकिन भारत देश में बेटे और बेटियों को लेकर ये फर्क और इस रूढिवादी सोच के चलते उनकी सभी तरह की योजनाएं बेकार ही साबित हो रही हैं। सोचने वाली बात ये है कि जिस परिवार ने सिर्फ बेटे की चाह में इतनी बेटियों को जन्म दिया है वो बेटियों के लिए क्या करेंगे। उनका भविष्य क्या होगा ?