जानें किसने शुरु की थी नए साल मनाने की परंपरा, हर धर्म में अलग दिन होता है नया साल
बस कुछ घंटे और इसके बाद साल 2018 पीछे छूट जाएगा और नए साल का आगमन हो जाएगा। 1 जनवरी को लोग नए साल यानी 2019 का जश्न मनाएंगे साथ ही नए साल की खुशियों औऱ उम्मादों का स्वागत करेंगे। आपके मन में भी ख्याल आता होगा कि 1 जनवरी को ही नया साल मनाने की परंपरा क्यों शुरु हुई और किसने इसे पहली बार मनाया होगा। हमारे भारत वर्ष में नया साल अप्रैल से मना ते हैं। आपको बताते हैं कि कैसे शुरु हुई नए वर्ष मनाने की परंपरा।
कब शुरु हुई नए साल मनाने की परपंरा
दरसअल नए साल मनाने की परंपरा 4000 साल पुरानी है। इससे पहले नया साल 21 मार्च को मनाया जाता था। ऐसा इसलिए थाम क्योंकि यह वसंत की शुरुआत होती थी और सर्दियां खत्म हो गई रहती थी जिसके बाद से इस दिन को नए साल के तौर पर मनाया जाता था। हालांकि इसके बाद रोम के डिक्टेटर जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की और उसके बाद पहली बार 1 जनवरी को नया साल मनाया गया।ईसाई धर्म के लोग 1 जनवरी को नया साल मनाने लगे। इसके बाद ग्रेगेरियन कैलेंड र आया जो कि जूलियन कैलेंडर का ही रुंपातरण है। इसे पोप ग्रेगारी ने लागू किया था।
हिंदू नववर्ष
हिंदू धर्म में भी नववर्ष मनाने की अलग परंपरा रही है। यहां पर चैत्र मास की शुकल प्रतिपदा को नया साल मनाते हैं। यानी 1 अप्रैल। हिंदु धर्म में मानते हैं कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना की थी। इस दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत हती है। भारत में यह गुड़ पड़वा,उगादी नाम से जाना जाता है।
जैन नववर्ष
जैन धर्म में नववर्ष दीवाली के अगले दिन मनाते है। ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर स्वाम दीपावली के अगले दिन मोक्ष प्राप्त किए थे। उसके बाद से जैन धर्म को मानने वाले इस दिन को ही नया साल मानने लगे कुछ व्यापारी भी दीवाली के अगले दिन नए साल की शुरुआत करते हैं।
इस्लामी नववर्ष
इस कैलेंड के अनुसार मोहर्रम की पहली तारीख को मुस्लिम समाज में नया साल मानाया जाता हैय़ इस्लामी कैलेंडर या हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित होता है। दुनियाभर के मुस्लिम देशों में इस दिन का इंतजार नया साल मनाने के लिए किया जाता है। मुस्लिम लोग इस्लामिक धार्मिक पर्व को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं।
सिंधी नववर्ष
यह चैत्र शुक्ल की द्वितियी को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताओं को माने तो इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था और वह वरुण देव के अवतार थे। इस वजह से सिंधी नववर्ष चेटीचंड उत्सव से शुरु करते हैं।
सिक्ख नवनर्ष
पंजाब में नए साल की शुरुआत वैशाखी पर्व के रुप में होती है। यह त्यौहार अप्रैल में आता है। उनके अनुसाल होली के दूसरे दिन होला मोहल्ला को नया साल मनाते हैं।
पारसी नववर्ष
पारसी में नया सा नवरोज के रुप में मनाते हैं। यह आमतौर पर 19 अगस्त को होता है। इसकी शुरुआत 3000 वर्ष पूर्व जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी।
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