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एक लड़की की कहानी जिसकी जिंदगी उसके भाई ने बर्बाद की और उसे प्रेमी ने फिर से बसा दी…..

आपने फिल्म विवाह देखी है?  वही फिल्म जिसमें पूनम का शरीर शादी के एक दिन पहले आग से झुलस जाता है और उसकी शादी रुक जाती है। इसके बाद वहां प्रेम आता है औऱ उसके जले हुए शरीर को देखे बिना उसकी मांग में सिंदूर भरता है औऱ कहता है कि मेरा प्यार इस परीक्षा का मोहताज नही है।…यह फिल्म देखने के बाद आपने भी सोचा होगा कि यह फिल्मों में ही होता है। असल जिंदगी में लड़की के चहरे या शरीर पर हलका सा भी दाग धब्बा दिख जाए तो लोग रिश्ता तोड़ कर चले जाते हैं फिर जली हुई लड़की से कौन शादी करेगा, लेकिन ऐसा हकीकत में हुआ है। एक ऐसा बंधन सच में बंधा है जिसे जानकर आप भी यकीन नहीं करेंगे। प्यार सच है औऱ इसकी दास्ता खुद उस लड़की ने अपने जुबान से बयां की है।

शादी में गई थी ललिता

ललिता भी किसी आम लड़की की तरह थी जिसको शादी को लेकर कुछ सपने थे और जिंदगी से कुछ उम्मीदें। उसके दिल में भी जोश था और जीवन जीने के लिए आशा, लेकिन एक घटना ने उसकी पूरी जिंदगी ही बदल दी। ललिता ने बताया कि 2012 में वह आजमगढ़ एक कजिन की शादी में गई थी। घर की बड़ी लड़की है इस नाते बहुत सारे काम की जिम्मेदारी उसके ऊपर थी। वह शादी वाले दिन तक जी जान से काम कर रही थी और इस काम के अलावा उसे कोई सुध ना थी।इसी शादी के माहौल में एक दिन उसने अपने छोटे भाई और दूसरी कजिन को आपस में लड़ते देखा। पता नहीं किस बात पर दोनों की बहस हो रही थी। हालांकि बहस इतन बढ़ गई की ललित को बीच बचाव करने आना पड़ा। वह दोनों को समझा रही थी पर कोई भी शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। ललिता को काम करना था और दोनों परेशान कर रहे थे इसलिए उसने गुस्से में एक एक थप्पड़ जड़ दिए। लड़ाई फौरन रुक गई। दोनों शांत हो गए और फिर ललिता भी अपने काम में व्यस्त हो गई। बूरा तो लगा, लेकिन बड़ी बहन थी तो इतना हक तो था ही। वह शादी अच्छे से संपन्न हो गई, लेकिन इसके बाद ललिता का बूरा वक्त आ गया।

कजिन ने किया एसिड अटैक

ललिता ने कहा कि उस शादी के ठीक पांच महीने बाद मेरी शदी होनी थी, लेकिन शादी के ठीक 15 दिन पहले मेरे उसी कजिन नें मुझपर एसिड फेंक दिया। यह एसिड उस थप्पड़ का बदला था। मेरा चेहरा पिघलने लगा। सिर्फ दर्द और दर्द बाकी कोई एहसास नहीं बचा। मैं चीख रही थी और परिवार वाले मुझे फौरन अस्पताल लेकर गए। महीनों तक मुझे अस्पताल में रहना था। कहां 15 दिन बाद ललिता की दूसरी दुनिया बसती , कहां आज उसकी दुनिया ही उजड़ गई थी।ललिता ने आगे बताया कि जब अस्पताल से छूटी तो सबसे पहले अपना चेहरा देखा। आईने में जो देखा उसे देखकर फूट फूट कर रोई। वह चेहरा ही बदल चुका था। अब मैं कोई और ललिता हो चुकी थी। वह चेहरा जो बचपन में मेरी पहचान था। गांव में अब नहीं रह सकती थी इसलिए मुंब आ गई। जान पहचान के लोग थे तो मुझे काम मिल गया। काम पर तो रोज जाती लेकिन सबकी चीरती नजरों के बीच काम करनी भी मुश्किल था। हर कोई मुझे देखता था और मेरा दिल करता की मैं कहींग गढ़ जाऊं।

रान्ग नंबर से बदली दुनिया

ललिता की जिंदगी बदल तो चुकी थी, लेकिन उसमें एक नया मोड आना बाकी था। ललिता ने बताया कि का के ए वह कोई नंबर मिला रही थी औऱ फोन गलत जगह लग गया। मिनटभर की बात से पता चल गया कि रॉन्ग नंबर ही है। कुछ दिन बीते और रॉन्ग नंबर वाला किस्सा भी मैं भूल गई। कुछ दिन बाद एक फोन आया। आवाज सुनी हुई सी लगी। वही रॉन्ग नंबर था जिससे कुछ दिन पहले बात की थी। उसने बताया कि उसका नाम रवि शंकर है।रवि ने उससे फोन पर कहा कि उनृसने गलती से फोन नहीं किया है। मुझे अजीब लगा। वो रोज फोन करने लगा और हर रोज मुझसे बात करने की कोशिश। मैं भी उससे बात करने लगी। उसकी बातें मुझे अच्छी लगती और उससे बात करना मुझे अच्छा लगता। जब मुझे एहसास हुआ कि उसका दिल मुझसे जुड़ सकता है मैंने सच्चाई बताना ही ठीक समझा। मैंने उसे सच बताया कि मेरा चेहरा जला हुआ है और मुझे इस बात का बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा अगर वह इसके बाद मुझसे बात ना करें। वह सारी बातें सुना औऱ फिर मैंने फोन रख दिया औऱ रोने लगी। मुझे वह अच्छा लगा था और मैं उसे पसंद करने लगी थी। मैं जानती थी की मेरे चेहरे का सच जानने के बाद वह कभी भी मुझसे बात नहीं करेगा।

रवि ललिता की शादी

अगली सुबह उसने फिर फोन किया। मैंने फोन उठाया तो वह शांत था औऱ मैं बदहवास। कुछ दिन बाद उसने मेरे सामने प्यार का इजार कर दिया।मैंने उसे समझाया कि बिना चेहरे देखे तो तुम मुझसे प्यार कर सकते हो , लेकिन जला हुआ चेहरा देखकर तुम प्यार नहीं कर पाओगे। बदले में उसने कहा कि वह मुझसे प्यार करता है, मेरे चेहरे से नहीं। ऐसे कितने ही रिश्ते होते हैं जो खूबसूरत चेहरे को कारण जुड़ते हैं औऱ फिर एक वक्त के बाद खत्म हो जाते हैं। उसे मेरी आवाज , मेरे दिल और मेरी जिंदादिली से प्यार था। मैंने भी आखिर उसे हां कर दी। इसके बाद हमारी शादी हो गई।ललिता ने आगे कहा कि मेरे मायके में कोई आईना नहीं था क्योंकि मेरे परिवार वालों को लगता था कि मैं चेहरा देखकर तकलीफ में आ जाऊंगी,लेकिन मेरे नए घर में मैंन बहुत बड़े बड़े शीशे लगवाए हैं।हम एक साथ खुद को उस शीशे में देखते हैं। प्यार की खूबसूरती से मेरे सारे जख्म भर चुके हैं।

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