क्रिसमस डे पर सांता और बाकी सजावट सिर्फ इन तीन रंगों से ही क्यों होती है, जानिए
25 दिसंबर का दिन दुनियाभर क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है और भारतीय मूल के हिसाब से आज से ही बडा़ दिन शुरु हो जाता है. ऐसे में हर तरफ क्रिसमस की धूम नजर आती है, फिर वो स्कूल-कॉलेज हो, मॉल हो या फिर मार्केट में दुकाने. सभी सांता क्लॉज और क्रिसमस से जुड़े रंग-बिरंगे सामान मिलने शुरु हो जाते हैं. ईसाई धर्म को मानने वालों के यहां एक आदमी सांता बनकर आता है और उसके साथ कई लोग होते हैं फिर वो 24 तारिख की रात 12 बजे यानी 25 दिसंबर लगते ही खुशी के गीत गाते हैं और प्रभु यीशू का जन्मोत्सव मनाते हैं लेकिन क्या आपने इन सब में ये सोचा है कि क्रिसमस डे पर सांता और बाकी सजावट सिर्फ इन तीन रंगों से ही क्यों होती है, इसके पीछे बहुत ही दिलचस्प रहस्य है.
क्रिसमस डे पर सांता और बाकी सजावट सिर्फ इन तीन रंगों से ही क्यों होती है
क्या आपको मालूम है कि क्रिसमस में जो भी सजाावट की जाती है उनमें तीन रंगों का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है. वो तीन रंग हरा, लाल और सुनहरा होता है,मार्केट में इन्हीं रंगो से बने क्रिसमस के सामान मिलते हैं और सांता भी कुछ ऐसा ही बनकर बच्चों का दिल बहलाता है. ऐसे में जीसस की हर बात याद आती है जो उन्होंने मानव जाति को समझानी चाही, दरअसल जीसस ने जो मानव समाज को शिक्षायें दी हैं उन्हें इन्ही तीन रंगों से प्रदर्शित किया जाता है तो चलिए बताते हैं आपको क्या हैं वो शिक्षायें और क्या हैं उन रंगों का मतलब.
लाल रंग
इसमें पहला रंग लाल है जिसे जीसस क्राइस्ट के खून का प्रतीक माना गया है. साथ ही उनके दूसरों के प्रति प्रेम को भी दिखाता है.क्योंकि वो हर किसी को बिना किसी शर्त के अपना बेटा मानते थे और उन्हें प्यार भी करते थे. ये रंग उस खुशी को दर्शाता है जो सिर्फ प्रेम से ही पायी जा सकती है. तभी आपने देखा होगा कि सांता की ड्रेस लाल ही होती है क्योंकि वो आम लोगों में प्रेम बांटने की मंशा से आते हैं.
हरा रंग
इसका दूसरा रंग हरा है और ये इस बात को दर्शाता है कि चाहे जितनी सर्दी पड़ जाये .ये रंग अपनी अस्तित्व बना के रखता है जैसे प्रभु यीशु को मार देने के बाद भी वो नहीं मरे. कुल मिलाके ये सकारात्मकता को दर्शाता है. हमें हमेशा हर दिशा में पॉजिटिव थिंकिंग रखनी चाहिए और यही बात आपको हर धर्म के पवित्र गंथों में पढ़ने को मिल जाएंगी.
सुनहरा रंग
ये रंग भेट का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यीशु के जन्म के समय एक राजा आए थें, उन्होंने भेंट में सोना दिया था. भगवान ने गरीब मरियम को अपने बेटे को जन्म देने के बाद मरियम और यूसुफ ने यीशु को बचाने के लिये सभी कठिनाइयों का सामना किया. कुल मिलाके प्रभु यीशु ईश्वर का एक उपहार थे जो भगवान ने मानवजाति को दिया ताकि मानव का भला हो सके.