56 साल बाद सामने आई तांबे की नदी की पहली तस्वीर, यहां देखिये कैसे छिपा हुआ है इसमें खजाना
यूं तो दुनिया में कई सारे रहस्मयी चीज़े मौजूद है, लेकिन हाल ही में एक तांबे की नदी का खुलासा हुआ है, जिसमें सोना ही सोना है। जी हां, तांबे की नदी में कई सारे धातु मौजूद है, जिसमें सोना भी भारी मात्रा में है। यह एशिया की सबसे पहली और 56 साल पुरानी तांब की भूमि, जिसे तांबे की नदी के नाम से जाना जाता है। यह पूरी दुनिया में मशहूर है। हाल ही में खुलासा हुआ कि इस नदी में भारी मात्रा में सोना समेत कई अन्य धातु मौजूद है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
तांबे की इस नदी के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं, क्योंकि यह 56 साल में धीरे धीरे विकसित हुई है और इसका दायरा अब बढ़ रहा है। यह नदी ढाई से लेकर तीन किलोमीटर है तो इसकी चौड़ाई एक किलोमीटर है। हालांकि, धीरे धीरे इसका दायरा बढ़ रहा है, जिसकी वजह से कई पहाड़ी क्षेत्र इस नदी में समाहित हो चुके हैं। साथ ही आपको बता दें कि इसकी गहराई 15.17 मीटर है। तो चलिए जानते हैं कि इस 56 साल पुरानी तांबे की नदी की पुरानी कहानी क्या है?
तांबे की नदी का अर्थशास्त्र
अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों की माने तो अगर इस नदी की मिट्टी बिकती है, तो कंपनी को करीब 200 करोड़ से अधिक आमदनी होगी। केसीसी के दो बड़े अधिकारियों ने तांबे की नदी की मिट्टी की जांच चीन की एक कंपनी से कराई है। इसके बाद केसीसी ने चैन्नई की एक कंपनी स्टार ट्रेस के साथ 17 जनवरी 2016 यहां एक प्रोजक्ट पर काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन बाद में बंद कर दिया गया। हालांकि, इस बात की पुष्टि भी की गई कि यहां कुदरत का खजाना मौजूद है, जोकि कभी भी खत्म नहीं हो सकता है।
तांबे की नदी का इतिहास
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सन 1975 में इस जगह को देश को समर्पित कर दिया था। बता दें कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस के जियोलॉजिस्ट ने इसकी खोज की थी। एचसीएल कंपनी ने यहां काम करना शुरू किया था, जिसमें 10 हजार कर्मचारी काम करते थे। हालांकि, जब इस तांबे के खदान से खराब मलबा निकलने लगा तो यहां काम बंद हो गया। ऐसे में अब यहां आसपास मौजूद पहाड़ इस नदी में धीरे धीरे समाहित हो रहे है और धंस रहे हैं।
तांबे की नदी का भूगोल
बताते चलें कि खेतड़ी कॉपर में केसीसी के इस प्रोजेक्ट से रोजाना करोड़ों रुपयों का तांबा निकलता है, जोकि अपने आप में ही एक बड़ी रकम है। रिपोर्ट के मुताबिक, तांबा निकालने के बाद जो भी अपशिष्ट द्रव बचते हैं, उसे इस नदी में एकत्रित किया जाता है। बता दें कि इस नदी का क्षेत्रफल करीब आठ फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा है। रिसर्च अधिकारियों का कहना है कि अगर दो साल से बंद प्रोजक्ट को शुरू किया गया तो इसमें कीमती धातु और खनिज रिकवरी, जिनमें सोना और चांदी दोनों शामिल है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस खदान की खुदाई अभी कई सालों तक होनी बाकी है।
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तांबे की नदी में कौन से धातु कितने प्रतिशत में है?
आपको बता दें कि कॉपर 0.13%, आयरन 16.96, सल्फर 1.31, एलुमिन 4.53, सिलिका 73.54, कैलशियम .7%, मैग्निशियम 1.65 पीपीएम, कोबाल्ट 40 पीपीएम, निकल 29 पीपीएम और लेड 17 पीपीएम आदि शामिल हैं। इतना ही नहीं, यह सोने की तस्वीर जो आप देख रहे हैं, उसे टीम ने 11 घंटे के प्रयास के बाद क्लिक की है।