भारत के इस पवित्र मंदिर में भगवान देते हैं साक्षात दर्शन, पूरी दुनिया में है इसकी मान्यताएं
भारत देश में मान्यताओं और धर्म की कोई कमी नहीं है. भारत एक हिंदू प्रधान देश है और यहां पर इंसान की तरह ही मंदिर भी स्थापित किए गए है जिसमें संस्कृति और विरासत से संबंधित कई मंदिर बनाए गए हैं. भारत में एस ऐसा अद्भुत मंदिर का निर्माण किया गया है जिसके गर्भगृह में स्थापित सूर्य भगवान खुद ही दर्शन देते हैं. भारत के इस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्कों ने विश्व धरोहर के रूप में संजोकर रखा गया है. कोणार्क का मतलब होता है कोना और आर्क जिसका असल मतलब सूर्य ही होता है. यह पूर्वोत्तर से जुड़े पूरी या चक्रक्षेत्र उड़िसा में स्थापित है. भारत के इस पवित्र मंदिर में भगवान देते हैं साक्षात दर्शन और इस अद्भुत नजारे को देखने के लिे देश-विदेश से लोग यहां पर आते हैं.
भारत के इस पवित्र मंदिर में भगवान देते हैं साक्षात दर्शन
यह भारत का एक एकलौता ऐसा मंदिर है क्योंकि यहां सूर्य स्वंय देव हैं जिनके बिना इस सृष्टि का संचालन ही नहीं है. इस मंदिर में स्थापित भगवान वहां जाने वालों को दर्शन देते हैं. प्राचीन वास्तुकला की कई तरह की विशेषताओं से बना उड़िसा का कोणार्क सूर्य मंदिर यूनेक्सो की विश्व धरोहर माना जाता है.
ये मंदिर बहुत ही खूबसूरत बनाया गया है और पूरे मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी वाले चक्रों, सात घोड़ों से खींचे जाने वाले सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया गया है. मंदिर अपनी कामुक मुद्राओं वाली शिल्पा कृतियों के लिए भी बहुत फेमस है. आज के समय में इसके कई भाग ध्वस्त हो चुके हैं जो मुगल शासकों के द्वारा किया गया था. पूरे मंदिर में को सूर्य देव को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था. साल 1255 में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव ने 1200 कलाकारों की मदद से इसे बनवाया था. वास्तुकला की इस भव्यता को बनने में लगभग 12 साल का समय लगा था. कोणार्क मंदिर को 24 पहियों पर खूबसूरती के साथ सजाया गया है. रथ का हर पहिया व्यास से लगभग 10 फुट चौड़ा है और रथ 7 शक्तिशाली घोडो़ं से खींचा जा रहा है.
आकर्षक है मंदिर के पूरे भाग की बनावट
कोणार्क मंदिर को समुद्र तट पर बनाया गया है लेकिन समुद्र जाने के बाद यह समुद्री तट से थोड़ा दूर हो गया है. मंदिर के पगोड़ा का काला रंग होने के कारण ही अब बहुत से लोग इसे काला पगोड़ा भी कहने लगे हैं. इस मंदिर में हर दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है. कोर्णाक मंदिर में जो रथ के पहिए बनाए गए हैं मानो वो पहिये नहीं बल्कि घड़ी के पहिए हैं, इसकी कलाकृति कुछ ऐसी ही है. मंदिर के ऊपरी हिस्सों में चुंबरों को इस तरह से स्थापित किया गया है जिससे कि मंदिर की मुख प्रतिमा हवा में तैरती रहे. कोणार्क मंदिर के हर एक हिस्से पर देवी-देवताओं, नृतकों के जीवन को दर्शाते हुए चित्र बनाए गए हैं. यही इस मंदिर के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. कोणार्क मंदिर के प्रवेश द्वार में दो शेर बने हुए हैं जो दो हाथियों को अपने नीचे दबाए हैं और उनक हाथियों के नीचे मनुष्य की दबी हुई प्रतिमा नजर आती है.