हैप्पी बर्थडे: जानिए एक ‘वेट्रेस’ से ‘कांग्रेस अध्यक्ष’ तक कैसा रहा सोनिया गांधी का सफर!
नई दिल्ली – आज देश कि सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी कि अक्ष्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन है इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को शुभकामनाएं दीं और उनकी दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। पीएम मोदी ने लिखा – ईश्वर उन्हें अच्छा स्वास्थ्य एवं दीर्घायु दे। आपको बता दें कि सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को हुआ था। गौरतलब है कि कांग्रेस ने नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है ऐसे समय में पीएम मोदी का सोनिया गांधी को बधाई देना वाकई देशवासियों को एक अच्छा संदेश देता है। Congress president Sonia Gandhi birthday.
‘एडविग एंटोनिया’ से ‘सोनिया गांधी’ तक का सफर –
सोनिया गांधी वर्तमान में उत्तर प्रदेश के रायबरेली संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। सोनिया स्व. इंदिरा गांधी की बहू और स्व. राजीव गांधी की पत्नी हैं। सोनिया गांधी का असली नाम एडविग एंटोनिया अलबिना मायनो है। उनका बचपन टूरिन, इटली से 8 किमी दूर स्थित ओर्बसानो में बीता। राजीव गांधी से एंटोनियो अलबिना (सोनिया) की मुलाकात कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान हुई थी। दोनों के बीच प्यार हुआ और 1968 में शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद एडविग एंटोनिया अलबिना मायनो को सोनिया गांधी के नाम से जाने जाने लगा।
पॉकेट मनी के लिए किया वेट्रेस का काम –
वर्ष 1964 में जिस वक्त सोनिया कैंब्रिज में अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं। उस वक्त वह पॉकेट मनी के लिए वैर्सिटी नाम के रेस्त्रां में बतौर वेट्रेस काम किया करती थीं। 1968 में राजीव गांधी के साथ शादी के बंधन में बंधने के बाद वह भारत में रहने लगी। राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। सोनिया गांधी ने 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके 62 दिनों बाद ही 1998 में वे कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं।
सोनिया गांधी ने अक्टूबर 1999 में उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2004 के चुनाव में यूपीए को अनपेक्षित 200 से ज़्यादा सीटें मिली। सोनिया गांधी रायबरेली, उत्तर प्रदेश से सांसद चुनी गईं। सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने 10 साल तक देश कि कमान संभाली। 30 वर्षों के बाद 2014 के आमचुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को आश्चर्यजनक रूप से स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ।