जानिए क्यों? ब्राह्मण होने के बावजूद जयललिता को जलाया नहीं, दफनाया गया!
चेन्नई/नई दिल्ली – अन्नाद्रमुक की प्रमुख जयराम जयललिता का मंगलवार कि शाम चेन्नई के मरीना बीच पर अंतिम संस्कार किया गया लेकिन गौरतलब बात यह है कि जयललिता के ब्राम्हण होने के बावजूद उन्हें हिंदू रीति से दाह संस्कार करने के बजाय उन्हें उनके राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास ही चंदन के ताबूत में दफनाया गया। अम्मा के नाम से मशहूर करिश्माई नेता के अंतिम संस्कार की सभी रस्में उनकी करीबी रहीं शशिकला नटराजन ने पूरी की। आपको बता दें कि शशिकला पर जयललिता को जहर देकर मारने की साजिश रचने का आरोप भी लगा चुका है। Jayalalithaa buried near mgr memorial.
इस मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई नेताओं ने चेन्नई जाकर जयललिता को श्रद्धांजलि दी।
जयललिता को इसलिए दफनाया गया –
तमिलनाडु में आयंगर ब्राह्मणों में दाह संस्कार के रिवाज के बावजूद तमिलनाडु सरकार और जयललिता की सहयोगी शशिकला नटराजन ने उन्हें दफनाने का फैसला किया। कुछ लोग जयललिता जोकि एक ब्राम्हण थीं उनको इस तरह दफनाएं जाने को द्रविड़ आंदोलन से जोड़ रहे हैं। आपको बता दें कि पेरियार, अन्नादुरई और एमजी रामचंद्रन जैसे द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेताओं को भी दफनाया गया था। हालांकि जयललिता इन बड़े नेताओं के विपरीत आस्तिक थीं। दफनाने की एक बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि बड़े नेताओं को दफनाए जाने के बाद उनकी समाधि के निर्माण करने का चलन है।
दाह संस्कार के लिए रिश्तेदार की जरूरत –
जयललिता को दफनाने की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि दाह संस्कार के लिए एक ऐसे रिश्तेदार की जरूरत होती है, जिसका रिश्ता खून का हो। परन्तु जयललिता के ऐसे रिश्तेदारों में सिर्फ बड़े भाई की बेटी दीपा जयकुमार ही बची हैं। गौरतलब है कि ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में मीडिया एवं संचार विभाग में शोध कर रहीं दीपा को अपोलो अस्पताल में घुसने भी नहीं दिया गया था।