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मात्र 500 रुपये से खड़ा कर दिया 75,000 करोड़ का साम्राज्य, कुछ ऐसी है धीरुभाई अंबानी की कहानी

अंबानी परिवार का नाम दुनिया के सबसे मशहूर और अमीर उद्योगपतियों में आता है. अपनी मेहनत के बलबूते पर अंबानी खानदान ने दुनियाभर में एक अलग पहचान बनायी है. देश-विदेश के लोग मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को पहचानते हैं. इतने अमीर और सफल होने के बावजूद उनमें जरा सा भी घमंड नहीं है. इस खानदान का एक-एक व्यक्ति जमीन से जुड़ा हुआ है. धीरुभाई अंबानी के 4 बच्चे हैं जिनका नाम मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, नीना कोठारी और दीप्ति सालगांवकर है. जहां मुकेश और अनिल अंबानी हर तरफ मीडिया में बने रहते हैं वहीं उनकी दोनों बहनें लाइमलाइट से दूर रहती हैं. आज अंबानी परिवार को कौन नहीं जानता. बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी उनके बारे में जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं मुकेश और अनिल अंबानी यूं ही दुनिया के सबसे अमीर और मशहूर उद्योगपति नहीं बन गए. उन्हें मशहूर और अमीर बनाने में सबसे बड़ा हाथ उनके पिताजी धीरुभाई अंबानी का है. आज जिस मुकाम पर दोनों भाई हैं वहां पहुंचाने में इनके पिताजी का बड़ा हाथ है. आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे 500 रुपये लेकर मुंबई आने वाले धीरुभाई अंबानी 75000 करोड़ के मालिक बन गए.

दुनिया के सामने मनवाया लोहा

कहा जाता है कि जब धीरुभाई अंबानी गुजरात से मुंबई आये थे तब उनकी जेब में केवल 500 रुपये थे. धीरे-धीरे लगातार संघर्ष करने के बाद उन्होंने अरबों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया. धीरुभाई का मानना था कि यदि आप अपने सपने को खुद नहीं बुनेंगे तो आपके सपने कोई और बुनने लग जाएगा. धीरुभाई ने जो सपना देखा उसे पूरा करके भी दिखाया. उन्होंने पूरी दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया और साबित कर दिया कि अगर व्यक्ति मेहनत और संघर्ष करने के लिए तैयार हो तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. अपनी कड़ी मेहनत और कई सालों के संघर्ष के बाद वह देश के जाने-माने व्यवसायी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बन गए.

पिता को दिया श्रेय

मुकेश अंबानी ने रिलायंस की 40वीं सालाना बैठक के दौरान कंपनी की उपलब्धियों के बारे में बताया और कहा कि इसकी सफलता का सारा श्रेय उनके पिताजी धीरुभाई अंबानी को जाता है. इस बात में कोई दो राय नहीं कि धीरुभाई की वजह से ही भारत में कारोबार के तरीकों में बदलाव आये हैं. धीरुभाई अंबानी की वजह से ही लोगों को व्यवसाय की समझ आई और एक अच्छा व्यापारी कैसे काम करता है ये पता चला.

भजिया बेचने वाला बन गया बिज़नेस टाइकून

आपको जानकर हैरानी होगी कि धीरुभाई पहले भजिया तलने का काम किया करते थे. धीरुभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को एक बेहद ही साधारण शिक्षक परिवार में हुआ था. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें 10वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. वह पढ़ाई छोड़ने के बाद गुजरात के जूनागढ़ में माउंट गिरनार आने वाले तीर्थयात्रियों को भजिया बेचा करते थे. लेकिन इस काम से उन्हें ज्यादा पैसे नहीं मिल रहे थे इसलिए बाद में वह यमन के एडेन शहर में ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ के साथ काम करने लगे. यहां उन्हें 300 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता था.

500 रुपये लेकर आये थे मुंबई

जब वह मायानगरी मुंबई आये तब उनके पास केवल 500 रुपये थे. लेकिन मुंबई शहर ने उनकी किस्मत पलट दी. मात्र 500 रुपये लेकर आने वाले व्यक्ति ने साल 1966 में गुजरात के नारौदा में पहली टेक्सटाइल मिल खोल ली. सिर्फ 14 महीनों में उन्होंने 10,000 टन पॉलिएस्टर यार्न संयंत्र स्थापित करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जिसे बाद में उन्होंने बड़े टेक्सटाइल एम्पायर के रूप में बदल डाला. उन्होंने खुद का ब्रांड लांच किया जिसका नाम ‘विमल’ रखा गया. भले ही आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए पर उनमें बिज़नेस की अच्छी खासी समझ थी. उन्हें समझ आ गया था कि कैसे शेयर मार्केट को अपने पक्ष में किया जा सकता है.

70 करोड़ से 70 हजार करोड़ का सफर

अपने मेहनत के दम पर ही धीरुभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्री को आज इस मुकाम पर पहुंचाया है. 1976 में 70 करोड़ की कंपनी साल 2002 आते-आते 75000 करोड़ की बन गयी. कंपनी की ग्रोथ इतनी जबरदस्त हुई कि आज रिलायंस टॉप 500 कंपनियों में शामिल है. आपको बता दें फोर्ब्स ने साल 2002 में अमीर उद्योगपतियों की लिस्ट जारी की थी जिसमें धीरुभाई अंबानी 138वें स्थान पर थे. उस समय उनके पास कुल 2.9 बिलियन डॉलर संपत्ति थी और उसी साल 6 जुलाई को उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया.

पढ़ें : मुकेश अंबानी की बायोग्राफी, शून्य से शिखर तक का सफर जानिये कैसा रहा

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