केंद्र की मोदी सरकार बीते समय हुए घोटाले को लेकर सख्त हो गई है। जी हां, सरकार अब घोटाले बाजों को किसी भी कीमत नहीं छोड़ना चाहती है, जिसको लेकर तैयारियां तेज़ हो चुकी है। बीती रात अगस्ता डील के कथित बिचौलिये को भारत लाया गया तो इससे देश की सियासत गरमा गई है। सियासत गरम होने के बाद जहां एक तरफ कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई है तो वहीं बीजेपी के लिए बल्ले बल्ले है। अगस्ता डील में हुए घोटाले को लेकर बीजेपी गांधी परिवार को नकाब करने की कोशिश कर रही है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
अगस्ता डील मामले में घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम मंगलवार देर रात को कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से भारत ले आई, जिसके बाद भारत की सियासत का रूख पहले की अपेक्षा बदलती हुई नजर आ रही है। जी हां, कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल ने दुबई में गिरफ्तारी के बयान दिया कि उसे इस मामले में आरोपी इसलिए बनाया जा रहा है, क्योंकि मौजूदा सरकार चाहती है कि मैं इस डील में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और गांधी परिवार का नाम लूं। मिशेल ने आगे कहा कि पिछली सरकार का नाम लेने के लिए मुझ पर दबाव बनाया जा रहा है।
पीएम मोदी ने चुनावी रैली से किया कांग्रेस पर वार
मिशेल के भारत आने के बाद पीएम मोदी ने चुनावी रैली से कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि अब नामदार ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएंगे, क्योंकि हेलिकॉप्टर घोटाले से निकली बात तो दूर तलक जाएगी। बीजेपी द्वारा मिशेल को भारत लाने पर बीजेपी का यह मानना है कि अब कांग्रेस जो बिल्कुल बची कुची है, वह भी खत्म हो जाएगी। पीएम मोदी ने इस दौरान सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह पर भी जमकर हल्ला बोला।
याद दिला दें कि मिशेल ने आगे कहा कि एक बार फिर उन्हें फिर से आरोपी बनाया गया है, क्योंकि मैंने पिछली सरकार के साथ रक्षा मंत्रालय को हेलिकॉप्टर सप्लाई करने में शामिल था और मैं तीन साल पहले भारत गया था। इसके अलावा मिशेल ने यह भी कहा कि उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के साथ काम किया और 2014 में सरकार बदल गई, जिसकी वजह से अब उन पर पिछली सरकार के खिलाफ बोलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
क्या था मामला?
याद दिला दें कि 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड और भारत सरकार के बीच करार हुआ था, लेकिन जनवरी, 2014 में भारत सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के करार को रद्द कर दिया, क्योंकि आरोप यह था कि इसमें 360 करोड़ रुपये का कमिशन लिया गया था।