कुछ लड़कियां ज्यादा खाने के बाद भी दिखती हैं स्लिम, ऐसा होने के पीछे छिपा है ये कारण
आपने बहुत सी ऐसी लड़कियों को देखा होगा जो दिनभर खाती हैं, फिर भी उनकी फिटनेस बनी रहती है. वो जितना भी फास्ट फूड, ऑयली फूल, या पिज्जा-बर्गर खा लें लेकिन वो स्लिम की स्लिम ही दिखती हैं. ऐसा कैसे हो जाता है जबकि ज्यादातर लड़कियों को यही समस्या रहती है कि ज्यादा खा लेंगी तो मोटी हो जाएंगी और उन्हें खाना तो खाना हवा पानी भी लग जाता है. इस बात को ध्यान में रखकर कुछ डायटीशियन्स ने इसपर रिसर्च किया और हैरान करने वाला रिजल्ट सामने आया. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि कुछ लड़कियां ज्यादा खाने के बाद भी दिखती हैं स्लिम ऐसा कैसे हो जाता है तो आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे जो हर उस मोटी और स्लिम लड़कियों के लिए जरूरी है जो अपनी फिटनेस के लिए कुछ भी कर जाती हैं.
कुछ लड़कियां ज्यादा खाने के बाद भी दिखती हैं स्लिम
मेटाबॉलिज्म हेल्दी रहने पर वो आपके वेट को कंट्रोल में रखता है. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मेटाबॉलिज्म के घटने या बढ़ने से व्यक्ति का वेट बढ़ता-घटता है और ज्यादातर लोग वेट के लिए स्लो मेटाबॉलिज्म को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. जब बॉडी का बी.एम.आई यानी बेसल मेटाबॉलिक रेट बहुत कम होता है और बॉडी में फैट जमा हो जाता है. बहुत देर तक भूखे रहने के बाद हम कुछ भी खाते हैं तो भूख के कारण हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं लेकिन हमारी बॉडी उस खाने को फूड एनर्जी में हनी बदल पाती और फैट बॉडी में जमा होने लगता है. मगर ये जमा हुआ फैट किसी किसी को मोटापा बना देता है तो किसी किसी को ये जमा हुआ फैट मोटा नहीं बना पाता और इस वजह से स्लिम लोग स्लिम ही दिखते हैं जबकि कुछ लोग इसकी वजह से मोटे ही होते हैं. ये सारा खेल मेटाबॉलिज्म का है जो किसी को मोटा बनाता है तो किसी को स्लिम रखता है.
क्या है ये मेटाबॉलिज्म ?
जब हम खाना खाते हैं और खाना डायजेशन के बाद उस रूप में बदल जाता है जो बॉडी के सेल्स और टिश्यू इस्तेमाल करते हैं. इस प्रोसेस को मेटाबॉलिज्म कहते हैं. मेटाबॉलिज्म के दौरान खाना एनर्जी, एंजाइम्स और फैट में बदल जाता है. मेटाबॉलिज्म हमारी बॉडी का एनर्जी प्रोवाइडर है जो बॉडी के सेल्स को बनाने में हेल्प करता है और इस प्रोसेस में ऐसा माना जाता है कि जो फूड को एनर्जी, एंजाइम और फैट में बदलता है तो मेटाबॉलिज्म अच्छा हो से बॉडी में फैट जमा नहीं होने देता. बॉडी सेल्स में हो रही इन केमिकल एक्टिविटी को पाने के लिए जितनी एनर्जी की जरूरत होती है उसकी सबसे कम मात्रा ही मेचाबॉलिज्म कहलाता है. इन एक्टिविटी यानी मेटाबॉलिज्म में हमारी बॉडी हर दिन जितनी भी एनर्जी लेता है उसका 50 से 70 प्रतिशत खर्च भी कर देता है. मेटाबॉलिज्म के कम होने पर मोटापा, थकावट, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है.