पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच भारत के 23वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में सुनील अरोड़ा पदभार संभालेंगे, लेकिन पद संभालते ही उन्हें ईवीएम से संबंधित गड़बड़ियों की शिकायतों से जूझना पड़ेगा। जी हां, ईवीएम पर लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि उससे छेड़छाड़ की जा रही है, लेकिन चुनाव आयोग हर बार यही कहता है कि छेड़छाड़ नहीं हुआ है। ईवीएम से संबंधित शिकायते इस बार वोटिंग के दौरान ही चुनाव आयोग जा पहुंची, तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
मध्यप्रदेश में वोटिंग के दौरान कांग्रेस ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया तो चुनाव आयोग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इस पर बयान जारी किया कि ईवीएम सही है, लेकिन अधिकारी गलत हैं। चुनाव आयोग के बयान को सही समझा जाए तो यानि साफ है कि मध्यप्रदेश के चुनाव में अधिकारियों से गलती हुई है, जिसकी वजह से चुनाव आयोग को इस तरह का बयान देना पड़ा। दरअसल, मध्यप्रदेश में एक बिना नंबर के बस से ईवीएम पहुंचाए जाने की खबर के वायरल होने के बाद कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी जनादेश को पलटने की कोशिश कर रही है।
अधिकारियों से हुई गलती
मध्यप्रदेश में ईवीएम से जुड़ी शिकायतों पर चुनाव आयोग का कहना है कि दो जगह अधिकारियों ने नियम का पालन नहीं किया, लेकिन ईवीएम से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, क्योंकि यह गलती सीमित हद तक ही हुई है। बता दें कि प्रदेश में ईवीएम से जुड़ा यह मामला तब सामने आया जब वोटिंग के 48 घंटे बाद एक बिना नंबर प्लेट लगी ईवीएम से भरी बस सागर जिला कलेक्टर दफ्तर पहुंची, तो कांग्रेसियों ने चुनाव आयोग में इसकी शिकायत की।
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बताते चलें कि ईवीएम से जुड़ा नियम यह कहता है कि अगर किसी मतदान केंद्र पर किसी ईवीएम का प्रयोग नहीं हुआ है, तो उसे अगले दिन तक संबंधित अधिकारी के पास जमा करनी होती है, लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं हुआ और वोटिंग में नहीं इस्तेमाल हुई मशीने 48 घंटे के बाद संबंधित अधिकारी के पास पहुंची, जिसकी वजह से जमकर बवाल मच गया। हालांकि, इस पूरे प्रकरण पर चुनाव आयोग ने सफाई दी और यह विश्वास दिलाया कि ईवीएम से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। याद दिला दें कि मध्यप्रदेश के चुनावी नतीज़ें 11 दिसंबर को घोषित होंगे।