विश्व एड्स दिवस : हर कोई एड्स का नाम सुनकर हैरान क्यों हो जाता है, जानिए इसके बारे में खास बातें
हम सभी बचपन से एड्स का नाम सुनते आए हैं लेकिन कभी किसी ने हमें इसके बारे में पूर्ण रूप से जानकारी नहीं दी. इसका नाम अगर कोई लेता है तो उसे अजीब निगाहों से देखा जाता है जबकि एड्स एक बीमारी मात्र है जो किसी को भी हो सकती है. फिर भी हमारे समाज में एड्स से पीड़ित व्यक्ति को शक की निगाहों से देखा जाता है. पता नही क्यों, लोग ऐसी बाते करने से कतराते हैं.
हर कोई एड्स का नाम सुनकर हैरान क्यों हो जाता है, लेकिन आज हम आपको एड्स से जुड़ी अहम बातें बताएंगे जिससे आपको पता चले कि आखिर ये बीमारी है क्या और ये आई कहां से. इसके अलावा एड्स में अगर हम सतर्कता बरतें तो इससे बचा जा सकता है.
हर कोई एड्स का नाम सुनकर हैरान क्यों हो जाता है ?
1. दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाता है. इसे सभी एचआईवी के नाम से भी जानते हैं. एड्स का इंटरनेशनल सिंबल क्रॉस किया हुआ लाल रिबन होता है जिसे साल 1991 में अपनाया गया था. एड्स ऐसी बीमारी है जिसमें अब तक ढाई करोड़ लोग मारे गए है.
2. एड्स चार शब्दों से मिलकर बना है, जिसका फुल फॉर्म Acquired – जो आप ने प्राप्त किया, Immuno = शरीर की प्रतिरक्षा, Deficiency = कमी और Syndrome = संलक्षन है. इसका पूरा मतलब ये होता है कि वह बीमारी जो आपके शरीर की खुद की रक्षा करने की पावर को कम कर देती है.
3. एचआईवी का फुल फॉर्म होता है – Human = मानव, Immuno deficiency = जो प्रतिरक्षा को कम करे और Virus = विषाणु. इसका मतलब वह विषाणु कण जो किसी शरीर के अंदर उसकी रक्षा करने की शक्ति को कम करे.
4. एड्स का पहला केस साल 1959 में अफ्रीकी देश कॉंगो में सामने आया था. वहां जब एक व्यक्ति की मौत हो गई और उसके खून की जांच की गई तो पता चला कि उसे एड्स था.
5. एचआईवी से संबंधित सबसे सरल सिद्धांत को “Hunter Theory” कहते हैं. इसके अनुसार साल 1930 में अफ्रीका में किसी व्यक्ति को बंदर ने काट लिया था, उसने बंदर का मास खा लिया जिससे वो व्यक्ति HIV पीड़ित हो गया. इसके बाद उसने दूसरों से शारीरिक संबंध बनाए और ये फैलता चला गया.
6. WHO के मुताबिक, दुनिया में 3 करोड़ 26 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं. एड्स पीड़ितों के मामले में साऊथ अफ्रीका पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है. यहां कुल जनसंख्या में से दस प्रतिशत से ज्यादा लोग एड्स से पीड़ित हैं और यहां हर रोज एड्स की वजह से 4300 लोग मरते है. आंकड़ों की मानें तो यहां 56 लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं.
7. HIV विषाणु कमरे के तापमान ( 25 डिग्री C) पर भी सूखे खून में 10-15 दिन तक जीवित रह सकते है. जैसे के उपयोग किए हुए टीके या सुई में.
और HIV विषाणु 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर मारे जाते है.
8. बिल्लियां व्यक्ति की बहुत ही अच्छी दोस्त मानी जाती हैं. इन्हें एड्स के समान ही एक बीमारी होती है, जिसे एफआईवी कहते हैं. एचआईवी और एफआईवी में यह समानता है कि इनमें इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है.
9. भारत में एड्स का पहला केस साल 1986 में चेन्नई में सामने आया था, जहां का निवासी एक विदेशी टूरिस्टों के संपर्क में आने और सही सुरक्षा ना बरतने की वजह से एड्स हुआ. आपको बता दें कि इस मामले के एक साल के अंदर भारत में एड्स से जुड़े 135 दूसरे मामले सामने आए थे.
10. स्विट्जरलैंड में अगर कोई लड़की मरती है तो 80% पूरे चांस होते हैं कि वो एड्स की बीमारी से ही मरी होगी.
11. अमेरिका में एड्स का 5 में से 1 मरीज ऐसा होता है कि उन्हें पता ही नही है कि वह इस बीमारी से पीड़ित है.
12. ग्रीस में पुलिस के पास ये अधिकार है कि वो किसी को भी एचआईवी होने के शक में गिरफ्तार कर सकती है. इतना ही नहीं वो उनका टेस्ट भी करा सकती है और घर से बेघर भी कर सकती है.