राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से कर्जमाफी को लेकर किसान सड़क पर उतर गए हैं। कर्जमाफी और फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर किसान रामलीला मैदान से लेकर संसद तक प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान किसानों की सिर्फ यही मांग है कि सरकार उनकी मांग को पूरी करे और अपना वादा निभाए। किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक हो गए, क्योंकि इसमें तमाम विपक्षी दलों के नेताओं का साथ उन्हें मिल रहा है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
कर्जमाफी की मांग को लेकर सड़क पर उतरे किसानों का गुस्सा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ देखने को मिल रहा है। किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार ने अपना चुनावी वादा पूरा नहीं किया, जिसकी वजह से आज उनकी हालत बत्तर हो रही है, ऐसे में सरकार की उनकी मांग फौरन मांग लेनी चाहिए। किसान के इस आंदोलन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहुंचे, जहां उन्होंने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने इस दौरान किसानों का साथ देते हुए कहा कि सरकार को किसान का हक देना चाहिए।
तोहफा नहीं, हक मांग रहे हैं किसान
आंदोलन में मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश के किसान सरकार से तोहफा नहीं मांग रहे हैं, बल्कि अपना हक मांग रहे हैं, इसलिए पीएम मोदी को बिना किसी देर किए इनकी मांगो मान लेना चाहिए। इसके अलावा राहुल गांधी ने कहा कि किसानों का भविष्य बनाने के लिए अब देश के पीएम को बदलने का वक्त आ गया है, जिसे वे आगामी चुनाव में जनता के समर्थन के साथ बदलेंगे। इस दौरान पीएम मोदी को सलाह देते हुए राहुल ने कहा कि अगर किसानों की मांग पूरी करने के लिए कानून बदलना पड़े तो बदल देना चाहिए।
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किसान आंदोलन में दिखी विपक्षी एकता
किसान आंदोलन में राहुल गांधी, केजरीवाल, येचुरी, फारूक अब्दुल्ला और शरद यादव जैसे नेताओं ने मंच सांझा किया। इस दौरान केजरीवाल ने कहा कि अब मोदी सरकार के पांच महीने ही बाकी है, ऐसे में मैं मांग करता हूं कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करे नहीं तो 2019 में किसान कयामत ढा देंगे, जिसके बाद किसानों की इस हालत के सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार ही जिम्मेदार होगी, जोकि अभी भी है।