जब घर से भाग कर हिमालय पहुँच गए थे मोदी जी और एक साधु की मुलाक़ात बनी राजनीति में एंट्री की वजह
2014 में हुआ लोकसभा का चुनाव का इस दशक का सबसे खास चुनाव था। इसके पीछे वजह यह थी कि बहुत साल बाद एक ऐसा चेहरा जनता का सामने आया जिसे देकर लोग उत्साहित हुए थे। पीएम मोदी जो उस वक्त गुजरात के सीएम थे जब प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए खड़े हुए तो जनता ने उन्हें हाथों हाथ ले लिया। उस वक्त प्रचंड बहुमत से बीजेपी की जीत हुई औऱ पीएम मोदी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री बनकर उभरे। उनके प्रति लोगों की दीवानगी कुछ ऐसी थी कि रैली किसी भी नेता की हो नाम मोदी मोदी ही सुनाई देता था। यह मुकाम जहां आज पीएम मोदी विराजमान है उसके पीछा लंबा संघर्ष छिपा है।लोगों को उनकी लोकप्रियता पता है, लेकिन वह संघर्ष नहीं पता जिसने उन्हें यहां तक पहुंचाया है।
गौने के दिन भाग गए पीएम मोदी
पीएम मोदी का यह संघर्ष तब शुरु हुआ जब उनकी शादी जशोदा बेन से कर दी गई। पीएम मोदी की उम्र सिर्फ 17 साल थी और उनकी होने वाली पत्नी की उम्र महज 15 साल थी। मोदी जी की बारात गुजरात के पास उंझा के पास ब्रम्हाडा में गई थी। उनकी बारात दो दिन तक उनके ससुराल में रुकी थी। उनकी शादी हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई। मोदी जी ने शादी तो कर ली, लेकिन वह गृहस्थ जीवन जीने की कोई मंशा नहीं रखते थे। उस समय शादी पहले कर दी जाती थी और गौना बाद में होता था जिसमें दुल्हन को बाद में उसके मायके से लाते थे। परिवार वालों ने गौना लाने की तैयारी कर दी। मोदी जी घर छोड़कर रवाना हो गए।
संतों के बीच रहने लगे मोदी
मोदी जी विवाहित होकर घर से भागे और हिमालय पहुंच गए। वह वहां साधु संतों के बीच रहने लगे। गृहस्थ जीवन का सोचकर उन्हें शांति नहीं मिलती थी, लेकिन साधुओं के साथ रहकर उन्हें असल में शांति मिली। एक साधु ने उनसे पूछ लिया तुम्हारा यहां आने का मकसद क्या है। मोदी ने कहा कि मैं ईश्वर को पाना चाहता हूं। उनकी खोज में यहां आया हूं। साधु ने उनसे कहा कि तुम समाज की सेवा करके भी ईश्वर की प्राप्ती कर सकते हो। तुम जाओ समाज की सेवा करो, समाज का कल्याण करो। इसी के साथ पीएम मोदी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।
बीजेपी कार्यकर्ता के रुप में शुरु किया काम
हिमालय में दो साल बीताने के बाद पीएम मोदी घर लौट आए। 1967 में कोलकाता के बेलूर मठ पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात स्वामी माधवानंद से हुई। इसके बाद उन्होंने प्रण किया कि वह समाज कल्याण में अपनी सारी मेहनत लगा देंगे। मोदी उस वक्त आरएसएस से जुड़ गए। संघ से जुड़ने के बहा ही वह बीजेपी के कार्यकर्ता के रुप में कार्य करने लगे। जैसा मोदी ने सोचा था और जैसा नियति को मंजूर था वह गुजरात के सीएम बने। वह पूर्व पीएम अटल जी के बेहद करीब रहे। उनके निधन पर उन्होंने कहा था कि अटल जी का जाना पितातुल्य संरक्षक का साया सिर से उठने जैसा है।जब मोदी की अटलजी से मुलाकात हुई थी तब वह बीजेपी के कार्यकर्ता के रुप में काम कर रहे थे। अटल जी उनसे बहुत स्नेह रखते थे।
चला पीएम मोदी का जादू
गुजरात के सीएम बने मोदी ने अपने बातों का जादू चलाया औऱ भारत को दिखा की देश मे बड़ा बदलाव आने वाला है। कई साल से लगातार कांग्रेस सत्ता में थी और लोगों का बदलाव चाहिए था। वह एक ऐसी पार्टी एक ऐसे शख्स को पीएम बनते देखना चाहते थे जिसकी सोच अलग हो , जो देश को दूसरी ऊंचाईयों पर ले जाए। जब मोदी पीएम पद के दावेदार के रुप में खड़े हुए तो उन्हें हराने के लिए कोई विकल्प ही लोगों को नहीं दिखा। ऐसा लगा पूरा देश एक साथ सिर्फ कमल पर अपनी ऊंगली रख रहा है और इसके साथ ही मोदी सीएम से पीएम की कुर्सी पर विराजमान हो गए। उनके कार्यकाल 5 साल पूरे हो गए हैं और अगले साल चुनाव होने हैं। लोगों को आज भी पीएम मोदी से उम्मीदें है। देखना होगा पीएम एक बार फिर अपना जादू कैसे चलाते हैं।
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