एक भाई ने बहन को दिया ऐसा तोहफा की पिता भी हो गए भावुक
घर में खुशी का माहौल है। शादी के बाद घर की लाडली बेटी रश्मि अपने मायके आ रही है। परिवार में उत्साह है। पिताजी के ना कदम रुक रहे हैं औऱ ना जुबान। क्या कर दें, कैसे कर दें कि बेटी खुश हो जाए। इतने में पिताजी जोर से अपने बेटे को बुलाते हैं। घर का इकलौता लड़का है प्रिंस। पिता के बुलावे पर आता है और पूछता है क्या बात है।पिता परेशान हैं और हैरान भी। यह क्या सवाल है- क्या बात है, कहते हैं- तूझे पता नही है कि आज तेरी बहन आ रही है, उसका जन्मदिन है। वह हमारे साथ अपना जन्मदिन मनाएगी। वह स्टेशन पहुंचने वाली होगी, जल्दी से जा और अपनी बहन को लेकर आ।
बहन का घर आना
प्रिंस थोड़ा परेशान दिखता है। अपने पिता से कहता है- मेरी गाड़ी तो मेरा दोस्त ले गया सुबह ही और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर ले गया। उसका ब्रेक खराब था तो बनाव कर ही लाएगा। पिताजी एक बार फिर परेशान हो जाते हैं फिर भी बेटी को तो घर ना हैं कहते हैं –ठीक है तो तू स्टेशन जा और किसी की गाड़ी ले लेना या किराए की गाड़ी ले लेना। उसे खुशी मिलेगी। पिताजी को बेटी की खुशी कि चिंता है। चाहते हैं कि बेटी गाड़ी से घर आए ताकी खुश दिखे।
भाई प्रिंस परेशान है। छील्लाकर कहता है- अरे वह बच्ची है क्या जो आ नहीं सकेगी आ जाएगी, आप चिंता क्यों करते हैं। कोई टैक्सी या गाड़ी मिल जाएगी। पिताजी की परेशानी गुस्से में बदल जाती है। बेटे को डांटते हुए कहते हैं- तुझए शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए। घर में इतना गाड़ी होते हुए भी बेटी क्या की टैक्सी या ऑटो से आएगी। पिता के गुस्से का भी प्रिंस पर कोई असर नहीं पड़ता है। वह कहता है- आप चले जाइये मुझे काम है मैं नहीं जा सकता।
पिता का उठा हाथ
पिताजी प्रिंस के इस व्यवहार से खीज जाते हैं, पूछते हैं- तूझे अपनी बहन की थोड़ी भी फिकर नहीं, शादी हो गई तो क्या बहन पराई हो गई, क्या उसे हम सबका प्यार पाने का हक नही है, तेरा जितनी अधिकार है इस घर में उतना ही तेरी बहन का भी है। कोई भी बेटी या बहन मायके छोड़ने के बाद पराई नहीं होती। प्रिंस से यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ तपक कर बोला- मगर मेरे लिए वह पराई हो चुकी है और इस घर पर मेरा हक है बस।
इतना ही सुनना था कि पिताजी का हाथ प्रिंस पर उठ जाता है। थप्पड़ की आवाज सुनकर मां दौड़ी चली आती हैं। मां कहती है- कुछ तो शर्म करिए, ऐसे जवान बेटे पर हाथ उठाते हैं। पिताजी तिलमिलाए हुए मां से कहते हैं- तुमने सुना नहीं इसने क्या कहा…अपनी बहन को पराया कहता है, वही बहन जो इससे एक पल के लिए भी जुदा नहीं होती है, हर पल इसका ख्याल रखती है। पाकेट मनी बचाकर इसके लिए कुछ ना कुछ खरीद कर लाती था। विदाई के वक्त हमसे ज्यादा इससे लिपटकर रोई थी, उसी बहन को यह आज पराया कहता है।
बुआ भी तो बहन है
प्रिस मुस्करा देता है। कहता है- पापा, आज तो बुआ का भी जन्मदिन है, वह कई बार हमारे घर आई है मगर हर बार ऑटो में आई है और आप उन्हें कभी भी गाड़ी लेकर लेने नहीं गए। माना की आज वह तंगी में है मगर कल तक वह भी अमीर थीं। आपके लिए मेरे लिए उन्होंने हमेशा दिल खोलकर सहायता की। बुआ भी इसी घर से विदा हुई हैं और फिर रश्मि दी और बुआ में यह फर्क क्यों है। रश्मि अगर मेरी बहन है तो बुआ भी तो आपकी बहन हैं।
प्रिंस ने आगे कहा कि पापा आप मेरे मार्गदर्शक है, आप मेरे हीरो है, मगर बस इसी बात से मैं हरपल अकेले में रोता हूं। इतनी सारी बात हो रही होती है कि तभी एक गाड़ी आकर रुकती है। पिताजी की आंखों में आंसू है, प्रिंस ने कितनी सही बात कही थी।रश्मि दौड़कर आती है और अपने मम्मी पापा के गले लग जाती है। पापा की आंखों में आंसू देखकर रश्मि पूछती है क्या हुआ पापा। पिताजी कहते हैं- आज तेरा भाई मेरा भी पापा बन गया।
मायके मेंं मिलती है पहचान
रश्मि- ए पागल ,नआई गाड़ी है ना, बहुत ही अच्छी है मैंने ड्राइवर को पीछे बिठाकर आई हूं औऱ कलर भी मेर पसंद का है। प्रिंस अपनी बहन को देखकर खुश हो जाता है, कहता है- हैप्पी बर्थडे टू यू दी यह आपका गिफ्ट है मेरी तरफ से। बहन की खुशी देखने लायक बनती है, तभी बुआ भी अंदर आती है। बुआ कहती हैं- भैय्या आप भी ना, अचानक गाड़ी भेज दी….पिताजी की आंखों में आंसू है वह कुछ कहना चाहते हैं लेकिन प्रिंस इशारे से उन्हें चुप रहने को कहता है।
आगे बुआ कहती हैं – मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसा भाई मिला तो एक पिता के समान है ईश्वर करे मुझे हर जन्म में आप जैसा ही भाई मिले…मम्मी पापा जान गए की यह सब प्रिंस ने किया है। उसवने एक बार फिर रिश्तों को मजबूत कर दिया। पिताजी को यकीन हो गया कि उनकी परवरिश सही थी, प्रिंस उनके जाने के बाद भी रिश्ता अच्छे से रखेगा।
बेटी और बहन दो अनमोल रिश्ते हैं। शादी के बाद बेटी औऱ बहन किसी की पत्नी भाभी, बहू बन जाती है। लड़कियां इसलिए मायके आती होंगे क्योंकि यहीं उनके उनके रिश्ते याद आते हैं। कोई बहन बुलाता है कोई बेटी औऱ वह फिर से जी उठती हैं।
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