विश्वामित्र और मेनका की प्रेम कहानी , जब विश्वामित्र के तप को भंग करने धरती पर आईं मेनका…
एक स्त्री को ईश्वर ने वह सभी गुण दिए हैं जिससे वह अगर चाहे तो पूरी दुनिया पर सिर्फ अपनी सुंदरता औऱ विवेक से राज कर सकती है। स्त्रियों को कमजोर समझने वाले यह नहीं समझ पाते कि अगर वह अपनी खूबसूरती का जादू चला दे तो वह खुद उसके आगे कमजोर हो जाएंगे। इस बात का प्रमाण मिलता है एक पौराणिक कथा से जिसमें विश्वामित्र की तपस्या अप्सरा मेनका ने भंग कर दी थी। आपको बताते हैं विश्वामित्र और मेनका की प्रेम कहानी। vishwamitra menka love story in hindi
विश्वामित्र और मेनका की प्रेम कहानी
विश्वामित्र एक ऋषि थे और वह वन में घोर तपस्या में लीन थे। उनकी तपस्या का उद्देश्य एक नए संसार का निर्माण करना था। उनकी तपस्या इतनी कठोर और इतनी दृढ़ थी कि वन में रह रहे भयावह जीवों का भी उन्हें ध्यान ना था। पानी बह रहा था, जानवर चल रहे थे, मानव अपने समाज में व्यस्त थे, लेकिन विश्वामित्र एक ही स्थान पर बैठे घोर तप में लीन थे। नारद मुनि को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने यह बात स्वर्गलोक देवता महारा इंद्र को बताई। नारद मुनि की बात सुनकर इंद चिंता में पड़ गए। विश्वामत्र के तप से उन्हें अपना सिंहासन हिलता हुए प्रतीत होने लगा।
धरती पर भेजी मेनका
इंद्र को अपनी गद्दी से बहुत मोह था। वह किसी भी कीमत पर अपनी गद्दी नहीं छोड़ना चाहते थे। विश्वामित्र की घोर तपस्या से उन्हें अपने सिंहासान खो जाने का भय सताने लगा। उन्होंने विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की योना बनाई और इसके लिए उन्होंने इंद्र की सबसे खूबसूरत अप्सरा मेनका को बुलाया र धरती पर जाने का आदेश दिया। अप्सरा की खूबसूरती ऐसी थी की देवता भी उस पर मोहित हो जाते थे, फिर मनुष्य की क्या बात थी। उन्होंने अप्सरा को धरती पर जाने को कहा जिससे वह अपनी खूबसूरती से उनकी तपस्या भंग कर दे।
कामदेव ने की मेनकी की मदद
जब अप्सरा धरती पर विश्वामित्र के पास पहुंची तो वह तप में लीन थे। वह इतने वर्षों से तपस्या कर रहे थे कि उनका शरीर वज्र के समान कठोर हो गया था। जंगल के जानवर का भय उन्हें हिला नहीं पाया था तो किसी की खूबसूरती कैसे उन्हें विवश कर पाती। वह तप में लीन रहे और अप्सरा की खूबसूरती का का उनपर कोई असर नहीं पड़ां। वह काम या रति क वश में कर चुके थे।
अप्सरा को कोई साधारण मनुष्य़ देख लेता तो उसकी खूबसूरती देखकर पागल हो जाता, लेकिन विश्वामित्र का इस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। मेनका की मदद के लिए कामदेव आगे आए और विश्वामित्र पर अपने तीर चलाए। उनका तीर विश्वामित्र पर चल गया। आखिरकार विश्वामित्र थे तो एक मनुष्य ही। मेनका के सौंदर्य में मंत्रमुग्ध हो गए। अप्सरा की तरफ उनका ऐसा आकर्षण हुआ कि वह अपनी तपस्या भूल गए। उनके दिल मे मेनका के लिए प्रेम आने लगा।
टूट गई विश्वामित्र की तपस्या
मेनका अपनी योजना में सफल हुईं, लेकिन विश्वामित्र को लुभाते लुभाते वह खुद उन पर मोहित हो चुकी थीं। वह विश्वामित्र की तरफ आकर्षित होने लगीं। मेनका ने सोचा कि अगर उसने अपना सच विश्वामित्र को बताया तो वह बहुत क्रोधित होंगे, लेकिन वह उन्हें छोड़कर भी नहीं जा सकती थी। ऐसा करने पर विश्वामित्र फिर से तपस्या पर बैठ सकते थे। मेनका ने विश्वामित्र से विवाह कर लिया।
इंद्र हुए प्रकट
मेनका के साथ विश्वामित्र गृहस्थ जीवन बिताने लगे। वह भूल गए कि किस उद्देश्य के साथ वह तप करने बैठे थे। वह पूरी तरह से मेनका पर मोहित हो चुके थे। कई वर्षों तक साथ रहने के बाद मेनका ने एक पुत्री को जन्म दिया। मेनका भी पूरी तरह भूल गई कि वह कोई साधारण स्त्री नहीं बल्कि स्वर्ग की अप्सरा है। वह अपनी पुत्री के साथ खेल रही थी कि इंद्र देव उसके सामने प्रकट हो गए। उन्होंने अप्सरा से कहा कि तुम्हारा काम खत्म हो चुका है और अब तुम स्वर्ग में जा सकती हो।
विश्वामित्र को बताया सच
मेनका यह सुनते ही बिखर गई। उसके मन में अपने पति और पुत्री के लिए बहुत प्रेम था। उन्हें छोड़कर जाना उसके लिए आसान नही थी। वह रोने लगी और इंद्र देव से विनती की की वह उसे छोड़ दें, लेकिन इंद्र ने उसे धमकी दी की वह अगर साथ नहीं चली तो उसे पत्थर का बना दिया जाएगा। अब मेनका कुछ नहीं कर सकती थी।
मेनका ने विश्वामित्र को सच बताया। उसने कहा कि वह स्वर्गलोक की अप्सरा है और उसे धरती पर उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा गया था। विश्वा मित्र यह सुनकर बहुत दुखी हुए। मेनका ने पुत्री को विश्वामित्र के पास सौंपा और इंद्र के साथ चली गई। विश्वामित्र ने उस बालिका को जंगल में एक ऋषि के आश्रम पर छोड़ दिया। यह वही बालिका थी जो आगे चलकर शंकुतला बनी और उसका विवाह दुष्यंत कुमार से हुआ।
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