भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को दिया था श्राप, जिसके बाद वो बन गई थी नौंकरानी
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की जोड़ी सबसे पवित्र मानी जाती हैं। भगवान विष्णु जग का पालन करते हैं तो माता लक्ष्मी सुख समृद्धि देती हैं। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को सदैव एक साथ ही देखा गया है, लेकिन एक समय आया था जब भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को धरती पर छोड़ कर बैकुंठ वापस आ गए थे और उन्होंने माता लक्ष्मी को एक माली के घर में नौकरानी बनकर रहने का श्राप दे दिया था।
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने धरती पर जाने का विचार बनाया, लेकिन जब वह धरती पर आने लगे तो माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ धरती पर आने की जिद की और बोली की उनकों भी धरती की सैर करनी हैं। माता लक्ष्मी के काफी मनाने के बाद भगवान विष्णु और अपने साथ धरती पर लेकर जाने को राजी हो गए। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि धरती पर जाकर तुम उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखोगी ना ही उस दिशा में जाओगी। माता लक्ष्मी मे छठ ही भगवान विष्उम की शर्त मान ली और उनके साथ धरती लोक पर चली आई।
जब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी धरती पर आए तो सूर्य देव उदय ही हुए थे और उसेक एक रात पहले ही बारिश हुई थी जिस वजह से चारों ओर हरियाली ही हरियाली छाई थी और धरती और खूबसूरत नजर आ रही थी। धरती की यह सुंदरता देख लक्ष्मी जी इतना मंत्र मुग्ध हो गई कि वो भूल गई कि उन्होंने विष्णु जी से कोई वचन लिया था। और माता लक्ष्मी उतर दिशा की तरफ मुड़ गई और एक सुन्दर बगीचे में चली गई । जहां सुंदर – सुंदर फूल खिले हुए थे। माता लक्ष्मी ने बगीचे से एक फूल तोड़ा और वो वापस भगवान विष्णु के पास आ गई, जब वो वापस लौंटी तो उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु की आंखों में आंसू थे।
यह देखकर माता ने उनसे प्रश्न किया कि वो दुखी क्यों हैं तब विषणु जी बोले कि बिना किसी से पूछे उसकी चीज को हाथ नहीं लगना चाहिए और उन्होंने माता लक्ष्मी को अपने वचन को याद दिलाया। मां लक्ष्मी को उनकी गलती का आभास हुआ और उन्होंने अपनी भूल के लिए क्षमा भी मांगी । तो विष्णु जी ने कहा कि तुमने गलती की है तो अब तुम्हे उसकी सजा अवश्य मिलेगी । तब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी की श्राप दिया कि तुम जिस माली के खेत से तुम ये फूल बिना पूछे तोड़कर लाई हो तुम्हें उसी के घर में नौकर बन कर रहना होगा और उसके बाद ही तुम बैकुंठ वापस आ सकती हो।
भगवान विष्णु के आदेश के अनुसार मां लक्ष्मी ने एक गरीब सी महिला का वेष धारण किया और उस माली के घर गई ।माली का नाम माधव था वो एक झोपड़े में अपनी पत्नी दो बेटे और तीन बेटियों के साथ रहता था। मां लक्ष्मी जब एक गरीब औरत बनकर माधव के झोप़ड़े के पास पहुंची तो माधव ने उनसे पूछा कि बहन तुम कौन हो? तो मां लक्ष्मी ने कहा कि मैं एक गरीब औरत हूं, और मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, मैंने कई दिनों से खाना भी नहीं खाया है, मेरा कोई सहारा नहीं हैं। मैं तुम्हारे घर का काम कर दूंगी और इसके बदले में आप मुझे अपने घर के एक कोने में आसरा दे दो।
उस महिला की बात सुनकर माधव को दया आ गई और उसने मां लक्ष्मी को अपनी बेटी समझकर अपने साथ रख लिया। कथा के अनुसार जिस दिन से मां लक्ष्मी माधव के झोपड़ें में रहने आई थी तब से उसे बहुत फायदा हुआ । पहले तो उसके सारे फूल बिकने से इतनी आमदनी हुई की उसने शाम तक एक गाय खरीद ली । कुछ समय बाद जमीन खरीद ली और सबके लिए अच्छे – अच्छे कपडे़ भी बनवाए। कुछ समय बीत जाने के बाद माधव ने एक बड़ा पक्का मकान खरीद लिया। माधव को हमेशा ये लगता था कि ये सब इस महिला के आने के बाद मिला हैं।
एक दिन माधव काम करके वापस अपने घर आया तो उसे अपने घर के बाहर गहनोॆ से लदी और चेहरे पर तेज लिए एक देवी स्वरूप महिला दिखी। जब वह उनके निकट गया तो उन्हे पता लगा कि वो महिला उसकी मुंहबोली चौथी बेटी हैं। तत्पश्चात उसे पता लगा कि उसकी चौथी बेटी स्वयं मां लक्ष्मी थी।
यह जानकर माधव बोला, “हे मां हमें क्षमा करें, हमने आपसे अनजाने में ही घर और खेत में काम करवाया, हे मां यह कैसा अपराध हो गया, हे मां हम सब को माफ़ कर दे।”
यह सुन मां लक्ष्मी मुस्कुराईं और बोलीं, “हे माधव तुम बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्त्ति हो, तुमने मुझे अपनी बेटी की तरह रखा, अपने परिवार का सदस्य बनाया, इसके बदले मैं तुम्हें वरदान देती हूं कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियों की और धन की कमी नहीं रहेगी, तुम्हें सारे सुख मिलेंगे जिसके तुम हकदार हो। जिसके बाद मां लक्ष्मी वापस विष्णु जी के पास चली गई।
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