मोदी सरकार के बड़े फैसलों के लिस्ट में नोटबंदी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। नोटबंदी के फैसले को भले ही दो साल हो गये हो, लेकिन इसकी चर्चाएं अभी खत्म नहीं होती है। जी हां, नोटबंदी को लेकर विपक्ष आए दिनों सरकार पर हमलावर रहती है तो सरकार सफाई देती हुई नजर आती है। इन सबके बीच कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की पोल खोलती हुई नजर आ रही है। सरकार और विपक्ष के बीच नोटबंदी को सही और गलत फैसले की लड़ाई तो जारी ही थी, लेकिन कृषि मंत्रालय के रिपोर्ट ने मोदी सरकार की पोल खोल दी। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
केंद्र सरकार के ही कृषि मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में माना कि नोटबंदी का असर किसानों पर बहुत बुरा पड़ा। जिस समय नोटबंदी की गई उस समय किसानों को कैश की बहुत ज्यादा ज़रूरत थी, लेकिन कैश न होने की वजह से उनपर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ा। बता दें कि वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में कृषि मंत्रालय का कहना है कि कैश की कमी के चलते लाखों किसान, रबी सीजन में बुआई के लिए बीज-खाद नहीं खरीद सके, जिससे उनकी आय पर भारी असर पड़ा और फसलों पर भी।
कैश की किल्लत की वजह से किसानों पर बुरा असर पड़ा
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस समय नोटबंदी हुई उस समय किसान या तो अपनी खरीफ की पैदावार बेच रहे थे या फिर रबी फसलों की बुआई कर रहे थे और ऐसे में उन्हें कैश की बहुत ही ज्यादा ज़रूरत पड़ती है, लेकिन कैश की किल्लत की वजह से वो खाद और बीज नहीं खरीद पाएं और ऐसे में उनके साथ बहुत बुरा हुआ। इसके अलावा कृषि मंत्रालय ने यह भी कहा कि कैश की किल्लत के चलते राष्ट्रीय बीज निगम के लगभग 1 लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए थे।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने बाद में किसानों को गेंहू के बीज खरीदने के लिए 1000 और 500 रुपए के पुराने नोटों के इस्तेमाल की छूट दे दी थी, लेकिन इसके बावजूद बीज खरीदने में तेज़ी नहीं दिखी, जिसकी वजह से भारतीय कृषि और किसानों पर बुरा असर पड़ा। वहीं, दूसरी तरफ श्रम मंत्रालय ने कहा कि नोटबंदी के बाद के क्वार्टर में रोजगार के आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।