कमजोर पड़ रही है महागठबंधन की जड़ें,मायावती के बाद अब अखिलेश ने भी दिया संकेत
आने वाला लोकसभा चुनाव बीतते वक्त के साथ और दिलचस्प होता जा रहा है। पीएम मोदी के खिलाफ खड़ा हुआ महागठबंधन चुनाव होने से पहले ही टूटता नजर आ रहा है। जहां एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन पर अपना रुख साफ कर दिया है तो वहीं अब अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को साइकिल की ताकत दिखाने की बात कही है। अखिलेश यादव ने बातों बातों में जो चेतावनी दी है उससे जाहिर हो रहा है कि यह गठबंधन ज्यादा समय तक टिकने वाला नही है।
अखिलेश ने दी चेतावनी
अखिलेश यादव ने कहा है कि अगर साइकिल यानी सपा का चुनाव चिन्ह रोकोगे तो आपका हाथ यानी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हैंडल से हटा दिया जाएगा। बता दें कि पीएम मोदी का हराने के लिए सारे विपक्षी दल एकजुट हुए थे और अब धीरे धीरे महागठबंधन टूटता नजर आ रहा है। अखिलेश यादव ने भी बातों बातों में कांग्रेस को चेतावनी दे दी है।
अ शनिवार को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने यह बात बोली है। साइकिल को रोकोगे तो आपका हाथ हैंडल से हटा दिया ,जाएगा….कंट्रोल और किसी के साथ हो जाएगी। सपा अध्यक्ष ने यह साफ संकेत दे दिया है कि अगर थोड़ी सी भी गड़बड़ दिखी तो सपा अपने आप को महागठबंधन से अलग कर लेगी। अगर ऐसा होता है तो केंद्र सरकार के खिलाफ खड़ा हुए विपक्ष कमोजर प़ने लगेगा।
मायावती ने बताया था सांपनाथ नागनाथ
गौरतलब है कि इससे पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपना रुख साफ कर दिया है। मायवती ने कहा था कि गठबंधन ,को प्रदेश से बहुमत मिलने वाला है।उन्होंने कहा कि अगर हमारी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी और कांग्रेस के साथ गंठबंधन नहीं करेंगी। इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस को एक ही थाली का चट्टा बट्टा करार दिया।
मायावती ने कहा था कि कांग्रेस औऱ बीजेपी सांपनाथ और नाग नाथ हैं, जो आपको धीरे धीरे से डस जाएंगे, ऐसे में इनसे तो गंठबंधन का सवाल ही नहीं उठता है। उनका कहना था कि बीएसपी जनता, किसानों , मजदूरों और दलितों के लिए काम कर रही है, जबकि कांग्रेस और बीजेपी को बस अपना फायदा देखना होता है। कांग्रेस सिर्फ सत्ता में आने का ख्वाब देखती है, न की जनता के लिए काम करती है।
कमजोर पड़ रहा महागठबंधन
जिस तरह से धीरे धीरे पार्टी प्रमुखों के बयान सामने आ रहे हैं उनसे कांग्रेस की स्थिति कमजोर नजर आ रही है औऱ साथ ही महागठबंधन भी कमजोर होता नजर आ रहा है। सत्ता के गलियारों में यह चर्चा भी तेज है कि बसपा सीटों को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नही है और अब अखिलेश ने भी जाहिर कर दिया है कि वह चुनाव में अपने चुनाव चिन्ह के साथ किसी भी तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेंगे।
दरअसल अखिलेश अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बराबर हमलावर हैं। छत्तीसगढ़ की रैलियों में यह भी साफ तौर पर देखने को मिल गया है कि अखिलेश कहीं से भी इन चुनावों में कमजोर नही है। उन्होंने भी मायावती की तरह कांग्रेस और बीजेपी पर आरोप लगा दिया है।
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