जन्मदिन विशेष : गूंगी गुड़िया से बनी आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने 14 दिन में ही पाक के किये थे 2 टुकड़े
भारत की आयरन लेडी यानि इंदिरा गांधी का जन्म 19 अक्टूबर, 1917 में हुआ था। इंदिरा गांधी धीरे धीरे किस कदर भारत के दिल में बसती गई, इसका बयां तो शब्दों में नहीं किया जा सकता है। इंदिरा गांधी अपने कड़े फैसले के लिए मरने के बाद भी भारत की जनता के बीच मशहूर है। जहां एक तरफ इंदिरा गांधी को देश में अपार लोकप्रियता मिली थी, तो वहीं कुछ फैसलों की वजह से उन्हें सत्ता खोना पड़ा, लेकिन इंदिरा ने कभी हार नहीं मानी और अपनी आखिरी सांस तक इस देश के लिए खड़ी रही। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक करियर में एक से बढ़कर एक फैसले लिया है। इंदिरा गांधी अक्सर कई विवादो से जूझी,जिनमें आपातकाल सबसे बड़ा विवाद था। जी हां, इंदिरा गांधी पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने सत्ता के लिए देश में आपातकाल लगा दिया, जिसमें कई मीडिया घरानों के पत्रकारों को जेल जाना पड़ा और देश में त्राही त्राही मच गई थी। आपातकाल को देश के इतिहास का काला दिवस कहा जाता है, जोकि इंदिरा गांधी की ही देन है।
गूंगी गुड़िया से बनी आयरन लेडी इंदिरा
इंदिरा गांधी ने जब भारत की राजनीति में कदम रखा था, तो देश का नेतृत्व बड़े संकट से जूझ रहा था और उस इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की बात पर कई नेताओं ने उन्हें गूंगी गुड़िया कहकर चिढ़ाया था। जी हां, समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता राम मनोहर सिंह लोहिया ने इंदिरा को लेकर कहा था कि ये क्या देश संभालेंगी, ये तो गूंगी गुड़िया हैं। हालांकि, इंदिरा गांधी ने इस बात को दरिकनार करते हुए अपने चमत्कारिक नेतृत्व से न केवल देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि विश्व मंच पर भी भारत की धाक जमा दी।
गूंगी गुड़िया से धीरे धीरे इंदिरा ने पूरे विश्व पर अपनी धाक जमाने में सफल रही। इंदिरा गांधी अपने कड़े फैसले के लिए जानी जाती है, जिसमें उनका पाकिस्तान को दो टुकड़े में करना सबसे बड़ी उपलब्धि है। जी हां, 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी विमानों ने भारत के कुछ शहरों पर बमबारी करने की गलती कर दी, जिसका खामियाजा उसे इंदिरा के पक्के इरादों से भुगतना पड़ा। हमले की खबर सुनते ही इंदिरा गांधी तुरंत मैप रूम पहुंची और उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े करने का फैसला लिया।
14 दिन में ही किया पाकिस्तान के दो टुकड़े
जब 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान ने भारत के कुछ शहरों में बमबारी की तो इंदिरा गांधी गूंगी गुड़िया से आयरन लेडी बन गई। जी हां, इंदिरा गांधी ने तुरंत सैना प्रमुख और कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और पाकिस्तान को सबक सिखाने की तैयारी शुरू कर दी। पाकिस्तान के हमले के एक दिन बाद यानि चार दिसंबर, 1971 को आपरेशन ट्राइडेंट शुरू हुआ, जिसमें भारतीय नौसेना ने भी युद्ध के दो मोर्चे संभाल रखे थे। इनमें से एक था बंगाल की खाड़ी में समुद्र की ओर से पाकिस्तानी नौसेना को टक्कर देना और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का मुकाबला करना। भारतीय सेना ने अपने जज्बे और इंदिरा के नेतृत्व से पाकिस्तान को घेर लिया।
इसी बीच इंदिरा ने बांग्लादेश को मान्यता देने का एलान कर दिया, ताकि युद्ध विराम के बाद यह मसला यूनाइटेड नेशन्स में लटक न जाए। वहीं पाकिस्तान की मदद के लिए अमेरिका ने अपनी सेना को बंगाल की खाड़ी भेज दिया, लेकिन इंदिरा के हौसले पस्त नहीं हुए। बता दें कि 14 दिसंबर को भारतीय सेना ने ढाका में पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर हमला किया और उसके बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तान के सेना ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिये।
बताते चलें कि भारत ने सिर्फ 14 दिन में पाकिस्तानी फौज को हथियार डालने के लिए मजबूर कर दिया और इस तरह इंदिरा ने पाकिस्तान को तोड़ दिया उसके 2 टुकड़े कर दिए और फिर इंदिरा की लोकप्रियता भारत ही नहीं, पूरे विश्व में बढ़ती गई। इंदिरा गांधी को आज भी मजबूत इरादों के लिए जाना जाता है। इनके बारे में स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने कहा था कि ये तो दुर्गा हैं।