हर धर्म के लिए है सूर्य नमस्कार, स्वस्थ जीवन के लिए प्रतिदिन करें ये योगासन
सूर्य नमस्कार : अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए इंसान हर कुछ करता है, एक्सरसाइज से लेकर बाजारों में मिलने वाली दवाइयों का भी सहारा लेते है जिससे वो स्वस्थ और सुंदर बने रहे। हालांकि बाजार में इस तरह के कई उत्पाद मिलते हैं लेकिन वो स्किन और स्वास्थय दोनों के लिए ही हानिकारक होते हैं। जिसके बाद हर कोई अब आर्युवेदिक चीजों का सहारा लेता है और इसी पुरानी चीजों में से एक है योग। प्राचीन काल में योग की मदद से लोग खुद को स्वस्थ रखते थे ठीक उसी तरह आज के समय में लोग योग का सहारा स्वस्थ जीवन जीने के लिए लेते हैं। ये ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी बेहद लोकप्रिय है। आपको बता दें कि आज समूचे विश्व में योग को समर्पित इंटरनेशनेल योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है।
योग में ऐसे कई आसन होते हैं जिनको करके आप खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं, योग में एक ऐसा आसन है जो बहुत से रोगों से निजात दिलाता है और प्रसिद्ध भी है, और वो आसन है सूर्य नमस्कार । सूर्य नमस्कार को लेकर ऐसा माना जाता है कि रोजाना सुबह इसे करने से शरीर को ब्रह्मांड से ऊर्जा मिलती है, जो की शारीरिक और मानसिक स्वास्थय के लिए लाभदायक होता है।
‘सूर्य नमस्कार’ दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सूर्य को नमस्कार करना। बता दें कि सूर्य नमस्कार 12 योग आसनों को मिलाकर बना है, जो शरीर और मन दोनों को तंदरूस्त रखता है।
सूर्य नमस्कार प्रातःकाल खाली पेट करना उचित होता है। आइए आपको अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार के इन सरल और प्रभावी आसनों के बारे में बताते हैं।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन
प्रणाम आसन | Prayer pose
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हस्तउत्तानासन | Raised Arms pose
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हस्तपाद आसन | Hand to Foot pose
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अश्व संचालन आसन | Equestrian pose
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दंडासन | Dandasana (Stick pose) |
अष्टांग नमस्कार | Ashtanga Namaskara (Salute With Eight Parts Or Points)
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भुजंग आसन | Bhujangasana (Cobra pose)
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पर्वत आसन | Parvatasana (Mountain pose)
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अश्वसंचालन आसन | Ashwa Sanchalanasana (Equestrian pose) |
हस्तपाद आसन | Hasta Padasana (Hand to Foot pose)
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हस्तउत्थान आसन | Hastauttanasana (Raised Arms pose) |
ताड़ासन | Tadasana |
कैसे करते हैं सूर्य नमस्कार के सभी आसन
प्रणाम आसन
अपने आसन (मैट) के किनारे पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। अपनी छाती फुलाएँ और कंधे ढीले रखें।श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ।
हस्तउत्तानासन
सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे की ओर ले जाएँ और बाइसेप्स को कानों के पास रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।
अपने कूल्हे को आगे की तरफ धकेल कर यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी उंगलियों के साथ ऊपर की ओर जा रहे हैं ना कि पीछे की तरफ मुड़ रहे हैं। अपने कूल्हे को आगे की तरफ धकेल कर यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी उंगलियों के साथ ऊपर की ओर जा रहे हैं ना कि पीछे की तरफ मुड़ रहे हैं।
हस्तपाद आसन
इस आसन में सांस को छोड़ते हुए व रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे झुकें। पूरी तरह सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों से पंजों को स्पर्श करें।यदि आप हाश से जमीन को छूने में असमर्थ हैं तो आप घुटनों को मोड़ सकते हैं, और धीरे-धीरे घुटनों को सीधा करने की कोशिश करें।
अश्व संचालन आसन
इस आसन में सांस लेते हुए दाहिना पैर पीछे ले जाएँ और सर को ऊपर आसमान की तरफ रखें। इस आसन को करते वक्त ध्यान रखें कि बायां पैर आपको दोनों पैरों के बीच में रहे।
दंडासन
इस आसन में सांस श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और पूरे शरीर को सीधी रेखा में रखें। ध्यान दें कि इस आसन को करते समय अपने हाथ को ज़मीन के सीधे रखें।
अष्टांग नमस्कार
इस आसन में दोनों घुटनों को ज़मीन पर रखें और सांस छोड़े। फिर अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर से थोड़ा उठाएँ और पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँ और अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुआएं।
भुजंग आसन
इस आसन को करते समय दोनों हाथों को जमीन पर रखें और अपने आधे शरीर को ऊपर उठाकर आसमान की तरफ देखें।
पर्वत आसन
तस्वीर को देखकर आप समझ गए होंगे कि शरीर को किस अवस्था में रखना हैं, इस आसन के दौरान आपको सांस छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएं और छाती को नीचे झुकाकर खड़े हो जाएं।
हस्तपाद आसन
इस आसन को करते समय सांस को बाहर की तरफ छोड़ें और पूरे शरीर को आगे की ओर झुकाएं और हाथों ले जमीन को छुएं।
हस्तउत्थान आसन
इस आसन को करते समय सांस को अंदर की ओर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, कुल्हों को आगे की तरफ धकेलें।
ताड़ासन
इस आसन को करते समय सांस को बाहर की ओर छोड़ते हुए सीधी अवस्था में सावधान की स्थिती में खड़े हो जाएं।
सूर्य नमस्कार करने के फायदे
हाई ब्लड प्रैशर और मोटापा
सूर्य नमस्कार करने से शरीर में रक्त प्रवाह की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे शरीर का मोटापा तो कम होता ही है साथ ही यह हाई ब्लड प्रैशर को भी कंट्रोल करता हैं।
ऊर्जा का संचार
अपनी दिनचर्या में सूर्यनमस्कार को शामिल करने से शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, जो शरीर को बीमारियों से बचा कर रखती है।
मजबूत हड्डियां
रोजाना सूर्य नमस्कार करने से शरीर की मांसपेशियां और हड्डियां भी मजबूत होती है।
शरीर में पानी की मात्रा
रोजाना 5-10 मिनट नियमित रूप से इस आसन को करने से शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रहती है और इससे शरीर में होने वाले अनावश्यक तत्व भी बाहर निकल जाते हैं।
भूख लगना
इस आसन को करने से पाचन क्रिया भी सुधरती है और भूख लगती है, इसके साथ ही यह स्मरण-शक्ति को भी बढ़ाता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद
सूर्य नमस्कार करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन डी मिलता है जो कि त्वचा के लिए काफी लाभकारी होता है। इस आसन को करने से चेहरे में चमक आती हैं और सिर के बाल भी स्वस्थ और मजबूत होते हैं।
बेहतर पाचन तंत्र
सूर्य नमस्कार में 12 तरह के आसन होते हैं जिससे शरीर के हर अंग की स्ट्रेचिंग होती है और इस वजह से शरीर का पाचन तंत्र ठीक रहता हैं। सुबह खाली पेट सूर्य नमस्कार करने से कब्ज, अपच या पेट में जलन की शिकायत भी दूर हो जाती है।
तनाव
सूर्य नमस्कार करने से नर्वस सिस्टम शांत होता है। जिससे आपके मानसिक तनाव की समस्या दूर हो जाती है।
मासिक-धर्म रेगुलर
रोजाना सूर्य नमस्कार करने से अनियमित मासिक धर्म की समस्या से भी निजात मिलता है ।
शरीर को डिटॉक्स करना
सूर्य नमस्कार के समय आप सांस खींचते और छोड़ते हैं, जिससे हवा आपके फेफड़ों तक और ऑक्सीजन खून तक पहुंचती है। इससे आपके शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड और बाकी जहरीली गैस निकल जाती है और आपकी बॉडी डिटॉक्स हो जाती है।
सूर्य नमस्कार में सावधानियां
सूर्य नमस्कार को करते समय कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना भी अति आवश्यक होता है, जिनमें से एक है कि सूर्य नमस्कार करते समय हर आसन को उचित समय और धीमी गति से करना चाहिए, इसके साथ ही यह आसन कोमल, अधिक गद्देदार मैट पर करना चाहिए।
नोट- बता दें कि स्लिप डिस्क और हाई ब्लड प्रैशर के मरीजों को भी यह योग नहीं करना चाहिए।
कुछ वक्त पहले सूर्यनमस्कार को लेकर काफी विवाद हुए थे कुछ लोगों का मानना था कि ये हिंदू धर्म से प्रेरित है और ऐसे में अन्य धर्म के लोगों ने इसे अपनाने से इंकार कर दिया था। लेकिन आपको बता दें कि सूर्य नमस्कार किसी धर्म या संप्रदाय से प्रेरित आसन नहीं है बल्कि पूर्ण रूप से आध्यात्मिक है और इसका मुख्य कारण सिर्फ और सिर्फ स्वास्थय से जुड़ा हुआ है।
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