आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को हराने के लिए तमाम विपक्षीय दलों ने कमर कस ली हैं। इसी सिलसिले में आंध्र के मुख्यमंत्री नायडू ने विपक्षीय नेताओं से मुलाकात का सिलसिला जारी रखा है। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने के बाद नायडू लगातार अपना प्रयास जारी रखे। नायडू बीजेपी को हराने के लिए हर संभव कोशिश करते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन गठबंधन की गाड़ी वहीं रूक जा रही है, जहां बात नेतृत्व की आ रही है। विपक्ष भले ही इसे हल्के में ले रहा हो, लेकिन गठबंधन होने के बाद इस मुद्दे की वजह से मामला गड़बड़ा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
देश की राजधानी दिल्ली में 22 नवंबर को सभी विपक्षीय दलों की बैठक होगी। इस बैठक में आगामी चुनाव के लिए महागठबंधन पर चर्चा होगी। इसके साथ ही अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि इस बैठक में यह भी तय हो जाएगा कि आखिर महागठबंधन के नेतृत्व की चाभी किसके हाथों में होगी। हालांकि, इस मुद्दे को लेकर कई लोगों के विचार असहमत हो सकते हैं, लेकिन विपक्षीय दलो का मुद्दा बीजेपी को हराना है। इसलिए इस मुद्दे पर बहस से शायद विपक्ष को कोई नुकसान न हो।
महागठबंधन को मजबूत करने के लिए गहलोत से मिले नायडू
बताते चलें कि चंद्रबाबू नायडू ने नेताओं से मिलने के सिलसिले में शनिवार को कांग्रेस नेता अशोक गहलोत से मुलाकात की है। नायडू का कहना है कि अशोक गहलोत राजस्थान के बड़े नेता है, ऐसे में उनकी मौजूदगी महागठबंधन को और मजबूत बनाएगी। याद दिला दें कि इससे पहले शुक्रवार को उन्होंने चेन्नई में डीएमके चीफ एमके स्टालिन से उनके घर जाकर मुलाकात की थी। इसके अलावा नायडू ने कहा कि वह बीजेपी विरोधी मोर्चे का चेहरा नहीं हैं, क्योंकि फिलहाल हमारा एजेंडा देश को बीजेपी से बचाना है।
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नायडू ने कहा कि मैं सभी विपक्षीय नेताओं से मिलकर यही कह रहा हूं कि हमेश देश को बीजेपी के हाथों से बचाना है। नायडू ने आगे कहा कि हम देश को बचाना चाहते हैं और राष्ट्रहित में काम करना चाहते हैं। नायडू ने कहा कि हमारे लिए देश और प्रजा महत्वपूर्ण है। याद दिला दें कि इससे पहले नायडू मायावती और अखिलेश यादव से भी मुलाकात और बातचीत कर चुके हैं।