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कौन थी रानी पद्मावती, क्या है उनका इतिहास, जानिए विस्तार से

हमारा इतिहास इतना बड़ा और इतना ज्यादा विस्तृत है की इसे जानने के लिए बहुत सारी किताबें आदि पधनी पद जाएगी और शायद उसके बाद भी शायद आप बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें या फिर चर्चित हस्तियों से परिचित नही हो पाएंगे। ऐसे में हमारा बॉलीवुड समय समय पर इतिहास से जुड़ी कई ऐसी मशहूर और चर्चित घटनाओं और व्यक्तियों से अवगत करता है, कभी किसी फिल्म के माध्यम से तो कभी डाक्यूमेंट्री के माध्यम से। शायद यह एक बेहतर तरीका भी है देश की जनता को देश से जुड़े इतिहास से परिचित करती है। अभी हाल ही में बॉलीवुड की एक बेहद ही चर्चित और विवादित फिल्म “पद्मावती” काफी ज्यादा लोकप्रिय हुई थी। फिल्म में चित्तौड़ की रानी पद्मावती की शौर्य और बलिदान तथा सुंदरता का वर्णन किया गया है हालांकि कई वजहों से यह फिल्म काफी विवादों में भी रही।

रानी पद्मावती के बारे में कहा जाता है की वे चित्तौड़गढ़ की रानी थीं और उन्हे पद्मिनी नाम से भी जाना जाता था। उनके बारे में बताया जाता है की खिलजी वंश का शासक अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ की रानी पद्मावती की सुंदरता से बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था और उसे पाना चाहता था। बाद में जब रानी को खिलजी की इस मंशा की जानकारी हुई तो उन्होंने कई अन्य राजपूत महिलाओं के साथ जौहर कर लिया।

कौन थी रानी पद्मावती

पूरा नाम – रानी पद्मिनी
जन्म स्थान – सिंघाला
माता का नाम – चम्पावती
पिता का नाम – गंधर्भसेना
पति का नाम – राजा रावल रतन सिंह
मृत्यु – 1303 (चित्तोर)

बेहद खूबसूरत थी पद्मावती

बता दें की पद्मावती, राजा गन्धर्व और रानी चम्पावती की बेटी थी जो कि सिंघल प्रान्त के राजा थे। बताया जाता है की पद्मावती के पास एक बड़ा ही अनोखा बोलने वाला तोता था जिसका नाम उन्होने ‘हीरामणि’ रखा हुआ था और खास बात तो ये थी की वो उनके बेहद करीब था। पद्मावती बहुत ही सुंदर राजकुमारी थी और उनकी खूबसूरती की चर्चा दूर-दूर तक थे।

रानी पद्मावत की सुंदरता के चर्चे इतने ज्यादा थे की पद्मावत कविता में कवी ने भी उनके रूप का बहुत ही शानदार तरह से वर्णन किया है। कवि के अनुसार पद्मावती के पास सुंदर तन था, अगर वे पानी भी पीती तो उनके गले के अंदर से पानी देखा जा सकता, अगर वे पान खाती तो पान का लाल रंग उनके गले में नजर आता कुछ इस प्रकार थी उसकी सुंदरता।

रानी पद्मावती का स्वयंवर

बचपन से बेहद सुंदर पद्मावती के बड़े होने पर उनके पिता ने उसका स्वयंवर आयोजित किया जिसमे उन्होने सभी हिन्दू राजाओं और राजपूतों को आमंत्रित किया था। इस स्वयंवर में एक छोटे प्रदेश का राजा मलखान सिंह भी आए हुए थे। बता दें की पहले से ही विवाहित राजा रतन सिंह ने स्वयंवर में हिस्सा लिया और मलखान सिंह को स्वयंवर में हराकर पद्मावती से विवाह कर अपनी दुसरी पत्नी पदमिनी के साथ चित्तौड़ लौट आए।

क्यों की अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर चढ़ाई

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की प्रजा प्रेमी और न्याय पालक राजा रावल रत्न सिंह चित्तौड़ राज्य को बड़े कुशल तरीके से चला रहे थे। उनके शासन में वहाँ की प्रजा हर तरह से सुखी समपन्न थीं। सिर्फ इतना ही नहीं चित्तौड़ के राजा रावल रत्न सिंह रण कौशल और राजनीति में निपुण थे। उनका भव्य दरबार एक से बढ़कर एक महावीर योद्धाओं से भरा हुआ था। चित्तौड़ की सैन्य शक्ति और युद्ध कला दूर-दूर तक मशहूर थी। पद्मवाती की सुंदरता के चर्चे यहाँ पर भी फैलने लगे और बहुत ही जल्दी इसकी खबर अलाउद्दीन खिलजी को लगी जिसके बाद खिलजी ने तुरंत ही चित्तौड़ पर आक्रमण करने की तैयारी कर ली।

मगर सेना के साथ पहुंचे खिलजी को उस वक़्त निराशा हाथ लगती है जब वह देखता है कि चित्तोर में सुरक्षा व्यवस्था बहुत पुख्ता है। मगर इसके साथ ही पद्मावती को देखने की उसकी चाह आर भी प्रबल होती जा रही थी, जिस वजह से वो रावल रतन सिंह को एक सन्देश भेजता है और कहलवाता है कि वो रानी पद्मावती को एक बहन की हैसियत से मिलना चाहता है।

बता दें की किसी औरत से मिलने की इच्छा रखना, ये बात किसी राजपूत को बोलना बेहद ही शर्म की बात माना जाता है और उनकी रानी को बिना परदे के देखने की इजाज़त उसके पति के अलावा अन्य किसी को नहीं होती है। वैसे तो अलाउद्दीन खिलजी एक बहुत ही ताकतवर शासक था, जिसकी किसी भी बात को नकारने का हौसला किसी में नहीं थी और राजा रतन सिंह भी सुल्तान के रोष से बचने और अपने राज्य को बनाए रखने के लिए उनकी यह बात मान लेते है। मगर रानी पद्मावती ने भी एक शर्त राखी की वो उन्हे सीधे नहीं बल्कि आईने के प्रतिबिंब से देखेगा और इसपर खिलजी राजी हो गया, इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी अपने कुछ चुनिन्दा ताकतवर सैनिकों के साथ किले में प्रवेश करता है। बता दें की जैसे की खिलजी, रानी पद्मावती को आईने में देखता है वो एकदम मदहोश सा हो जाता है और मन ही मन यह निश्चय कर लेता है कि वो उनको पाकर ही रहेगा।

रानी पद्मावती ने कर लिया जौहर

बताया जाता है की अपनी नापाक इरादों को पूरा करने और किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करने के लिए अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। लेकिन कुलीन रानी ने लज्जा को बचाने के लिए जौहर करना बेहतर समझा और बाकी की राजपूत महिलाओं के साथ आग में कूदकर जान दे दी। यही है वो घटना जो इतिहास में रानी के जौहर के रूप में प्रस्तुत की जाती है। आज भी चित्तोड़ की महिलाओ के जौहर करने की बात को लोग गर्व से याद करते है। जिन्होंने दुश्मनों के साथ रहने की बजाये स्वयं को आग में न्योछावर करने की ठानी थी।

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