स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) के उपयोग से होने वाले लाभ, औषधीय गुण और दुष्प्रभाव
Swarna bhasma benefits in hindi: आर्युवेद ने मनुष्य को कई ऐसी औषधियां दी हैं जो उसके लिए बहुत ही लाभकारी और उपयोगी साबित हुई है। वैसे तो हमने आपको बहुत सी ऐसी औषधियों के बारे में बताया है जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी हैं उन्हीं में से आज हम आपको एक ऐसे तत्व स्वर्ण भस्म (Swarna Bhasma) के बारे में बताएंगे जो प्राचीन आयुर्वैदिक दवा में सबसे पहले स्थान पर आता है।
आयुर्वेद के अनुसार Swarna bhasma एक ऐसी औषधि है जिसका उपयोग कई तरह के जटिल बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके उपयोग से ह्दय से संबंधित परेशानियां, बांझपन, दमा, टीवी, एनीमिया, पुरूषों की कमजोरी, फेफड़ों में संक्रमण, रक्त की शुद्धि, मानसिक बीमारी, कैंसर, यौन संबंधी बीमारियों और त्वचा संबंधित बीमारियों को ठीक करने में काम आता है। भस्म एक प्रकार का पाउडर होता है जो आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिए तैयार किया जाता है। यह शुद्ध धातुओं या खनिजों से बनाए जाते हैं।
स्वर्ण भस्म के घटक
स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma benefits in hindi) इसके नाम से ही पता है कि यह स्वर्ण अर्थात गोल्ड से बनाया गया है। 24 कैरेट सोने से तैयार इस भस्म में कई प्रकार के खनिज लवण मौजूद होते हैं। इन्हीं खनिजों की मौजूदगी की वजह से ही यह भस्म कई रोगों में अत्यंत लाभकारी साबित हुई है। इसमें मौजूद खनिज पदार्थ इस प्रकार हैं।
तत्व | मात्रा |
सल्फर | 3.3 % w/w |
कैल्शियम | 1.6 % W/W |
सोडियम | 0.9 % w/w |
पोटेशियम | 0.4 % w/w |
कॉपर | 17.2 % w/w |
फेरिक ऑक्साइड | 85 % w/w |
फेरस ऑक्साइड | 5.7 % w/w |
आयरन | 36 से 52 % w/w |
फॉस्फेट | 1.1 % w/w |
अघुलनशील अम्ल | 3.8 % w/w |
सिलिका | 3.8 % w/w |
स्वर्ण भस्म के आयुर्वेदिक गुण धर्म एवं दोष कर्म
रस (Taste) | मधुर, कषाय |
गुण (Property) | लघु, स्निग्ध |
वीर्य (Potency) | शीत |
विपाक (Metabolic Property) | मधुर |
दोष कर्म (Dosha Action) | त्रिदोषघ्न या त्रिदोष शामक, विशेषत: पित शामक |
स्वर्ण भस्म के लाभ और उपयोग
स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) एक ऐसी आर्युवेदिक औषधि है जो शरीर में होने वाले कई गंभीर रोगों में लाभदायी होती है। इसका सेवन आपके शरीर को स्वस्थ्य बनाएं रखने में बहुत ही मददगार साबित होता है। यह औषधि कई रोगों के इलाज में रामबाण का काम करती हैं, लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी बीमारियां हैं जैसे आँख निकलना, मधुमेह, गठिया, अस्थमा आदि जिनमें स्वर्ण भस्म का इलाज अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
ह्रदय रोग का स्वर्ण भस्म का उपयोग
स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) का उपयोग ह्रदय रोग में भी काफी लाभकारी है। इसके सेवन से ह्रदय और ह्रदय की मांसपेशियों को शक्ति मिलती है और जो दिल की पम्पिंग क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही रक्तचाप को सामान्य रखने में मददगारी साबित होती है।
रक्त शुद्धि में स्वर्ण भस्म का उपयोग
शरीर में कई तरह के विषाक्त पदार्थ बनते हैं जिनकी वजह शरीर में हो रहा संक्रमण और अपच होता है। इन्हीं सब की वजह से शरीर कई तरह के रोगों से ग्रसित हो जाता है। स्वर्ण भस्म का सेवन करने से शरीर में उत्पन्न होने वाले विषाक्त पदार्थ दूर होते है, जिससे हमारा शरीर निरोग हो जाता है। स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) के सेवन से वात पित और कफ की समस्याओं को भी दूर करने में काफी सहायक और लाभदायी होता है।
त्वचा रोग में स्वर्ण भस्म के उपयोग
स्वर्ण भस्म को बनाने में प्रयोग किए गए खनिज लवण त्वचा संबंधी कई परेशानियों से भी निजात दिलाते हैंष जिनमें जीर्ण त्वचा रोग, सूजन, लालिमा, जलन और खुजली जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। इसके सेवन से इन सब रोगों से निजात तो मिलता ही है साथ में त्वचा में चमक और निखार भी आता है।
मानसिक रोग में स्वर्ण भस्म के उपयोग
स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) के सेवन से हमारी एकाग्रता और स्मृति में भी बढ़ोत्तरी होती है। यह कई मानसिक रोगों जैसे अल्जाइमर, पार्किसन्स जैसे रोगों से ठीक करने और उनको बढ़ने से रोकने में काफी कारगर साबित होती है। यह मस्तिष्त में होने वाली सूजन को भी कम करती है।
रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में स्वर्ण भस्म का उपयोग
स्वर्ण भस्म में पाए जाने वाले खनिज लवण शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता को भी बढ़ाते हैं, जिससे हमारे शरीर में किसी भी तरह के वायरल संक्रमण के खिलाफ लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। स्वर्ण भस्म कैंसर जैसी भयावह बीमारी के इलाज में भी काफी लाभकारी होता है।
आंख आने में स्वर्ण भस्म के उपयोग
आंखों में होने वाले किसी तरह के संक्रमण जैसे आंख आना, आंखों में खुजला, जलन होना, सूजन आना इस तरह के रोगों के उपचार में भी स्वर्ण भस्म काफी फायदेमंद साबित होती है।
मधुमेह रोग और पौरूष रोगों में स्वर्ण भस्म के उपयोग
स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) का उपयोग मधुमेह जैसे रोग से लड़ने में भी काफी कारगारी साबित हुआ है, साथ ही मधुमेह के कारण पुरूषों में आई शारीरिक शक्ति में हुई कमी को भी दूर करता है। इसके साथ ही पुरूषों में शीघ्रपतन, शिथिलता जैसी परेशानियों में भी स्वर्ण भस्म का उपचार काफी लोकप्रिय है। मधुमेह जैसे रोग में शरीर की नसें काफी कमजोर हो जाती हैं, इस मामले में भी स्वर्ण भस्म के बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।
बांझपन दूर करने में स्वर्ण भस्म का उपयोग
स्वर्ण भस्म में उपयोग किए गए खनिज महिलाओं में होने वाली अन्य परेशानियों के साथ बांझपन जैसी समस्याओं को दूर करने में भी काफी लाभदायी होते हैं।
स्वर्ण भस्म की सेवन विधि और मात्रा
किसी भी प्रकार की शारीरिक बीमारी में स्वर्ण भस्म की मात्रा उस रोग पर निर्भर करती है। लेकिन आप इसके सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। हालांकि स्वर्ण भस्म की सामान्य खुराक इस प्रकार है।
आयु वर्ग | मात्रा |
0 से 5 वर्ष तक | 5 मिलीग्राम प्रति दिन |
5 से 10 वर्ष तक | 10 मिलीग्राम प्रति दिन |
10 से 16 वर्ष तक | 15 मिलीग्राम प्रति दिन |
16 वर्ष से बड़े | 15-30 मिलीग्राम प्रति दिन |
अनुपात (किसके साथ करें स्वर्ण भस्म का सेवन)
- शहद (मधु) 1 छोटी चम्मच
- पिप्पली चूर्ण 500 मिलीग्राम + शहद 1 छोटी चम्मच
- मक्खन ½ चम्मच + मिश्री पाउडर ½ चम्मच
- गिलोय सत्व 500 मिलीग्राम + शहद 1 छोटी चम्मच
- दूध
- घी
- वच चूर्ण
- आंवले के चूर्ण
स्वर्ण भस्म (Swarna bhasma) को दिए गए अनुपान के साथ ही लेना चाहिए, लेकिन कुछ रोगों में इसका सेवन चिकित्सक द्वारा बताए गए अनुपना के साथ लेना चाहिए। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
रोग | अनुपान |
मानसिक रोग | वच चूर्ण 500 मिलीग्राम + शहद 1 छोटी चम्मच या ब्राह्मी चूर्ण 500 मिलीग्राम + शहद 1 छोटी चम्मच |
रसायन | आंवला चूर्ण 2 ग्राम |
आंखों के रोग | पुनर्नवा चूर्ण 2 ग्राम |
स्वर्ण भस्म सेवन में सावधानियां और दुष्प्रभाव
चूंकि स्वर्ण भस्म सोने से बना हुआ है अत: इसका सेवन बहुत ही सावधानी से किया जाना चाहिए। यदि इसके सेवन में इसकी मात्रा का ध्यान ना रखा जाए तो इससे शरीर में कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं।
- स्वर्ण भस्म का सेवन अधिक मात्रा में करना पेट की कई तरह की समस्याओं को दावत देता है। जिसमें पेट में दर्द, आंतो की सूजन, पेट में ऐंठन, शारीरिक कमजोरी और थकान आदि शामिल हैं।
- पौरूष संबंधी रोगों में स्वर्ण भस्म बहुत उपयोगी है, लेकिन अगर इसका सेवन सही मात्रा में नहीं किया जाए तो यह पुरषों में नपुंसकता का कारण भी बन सकती है।
- इसका सेवन हमेशा चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए साथ ही इसके सेवन की अवधी पर भी ध्यान रखना अतिआवश्यक है, यदि 9 महीने से ज्यादा इसका सेवन किया जाता है तो यह हानिकारक हो सकता है।
- स्वर्ण भस्म को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए, क्योंकि यदि इसका उपयोग गलत तरीके से किया जाए तो यह उनकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है।
याद रखें कि इसका सेवन हमेशा चिकित्सक की सलाह से ही करें। स्वर्ण भस्म एक ऐसी विशिष्ट आयुर्वेदिक औषधि है जिसके उपयोग से और उससे शरीर पर होने वाले प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगो पर होते हैँ। यह आर्युवेद की तरफ से दी गई एक विशेष औषधि है साथ ही शरीर को कई गंभीर बीमारियों से भी बचा कर रखती है।
बता दें कई ऐसी कंपनियां हैं जो आर्युवेदिक दवाओं को बनाती हैं। अगर आप किसी भी तरह की आयुर्वेदिक दवा से अपनी बीमारी का उपचार करना चाहते हैं तो इस कंपनियों से आप ये औषधियां ले सकते हैं।
पतंजलि स्वर्ण भस्म
योग गुरू बाबा रामदेव भी कई तरह की औषधियों का निर्माण करते हैं, उनकी कंपनी पतंजली में आपको हर तरह की औषधियां मिल जाएंगी। पतंजलि में आपको स्वर्ण भस्म भी आसानी से प्राप्त हो जाएगा। इसके सेवन से प्राय: सभी रोगों में चमत्कारिक लाभ होता है।
डाबर स्वर्ण भस्म
डाबर कंपनी भी काफी पुरानी और विख्यात कंपनी हैं जो अपने आयुर्वेदिक और औषधियों के लिए जानी जाती है। डाबर कंपनी में भी आपको स्वर्ण भस्म आसानी से प्राप्त हो जाती है।
स्वर्ण भस्म का प्राइस
स्वर्ण भस्म | प्राइज |
पतंजलि स्वर्ण भस्म | 6500 रू |
डाबर स्वर्ण भस्म | 998 रू (1mg) |
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