दिलचस्प

करवाचौथ पर नहीं रखा व्रत, तो चली गई पति की जान

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: करवाचौथ का व्रत पत्निया अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से आपके पति की उम्र लंबी होती है और उन पर आने वाले संकट टल जाते हैं। यह दिन सभी सुहागिनों के लिए काफी खास होता है। पूरे दिन वो भूखी-प्यासी रहकर भगवान से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और शाम को चांद भगवान को देखकर उनकी पूजा कर के अपने पति के हाथों से पानी पीकर उपवास खोलती हैं।

कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि किसी कारणवश महिला ये व्रत नहीं रख पाती, लेकिन अब हम जो आपको बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आपका मुंह खुला का खुला रह जाएगा। एक महिला ने अपने खराब स्वास्थय के चलते करबाचौथ का व्रत नहीं रखा लेकिन उसके बाद जो हुआ उसे देखकर वो भी आज पछता रही होगी की काश उसने ये व्रत कर लिया होता तो उसके साथ ऐसा ना हुआ होता।

मामला मथुरा के एक गांव का है जहां पर एक महिला के करवाचौथ का व्रत नहीं रखने का खामियाजा उसे अपने पति की जान देकर भुगतना पड़ा। उस महिला के व्रत ना रखने की वजह से उसके पति की जान चली गई, सुनने में आपको थोड़ अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन ऐसा सच में हुआ है।

बात उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर के गांव मघेरा की है, जहां पर 21 साल के एक व्यक्ति (दीप चंद) ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली और उसकी वजह थी कि उसकी पत्नी ने उसके लिए करवाचौथ का व्रत नहीं रखा था। उसकी शादी को महज चार माह ही हुए थे।

दीपचंद की शादी को चार महीने ही हुए थे, दीप चंद चाहता था कि उसकी पत्नी उसके लिए करवाचौथ का व्रत रखे, लेकिन खराब तबीयत के चलते उसकी पत्नी ने व्रत रखने से इंकार कर दिया, दोनों में इस बात को लेकर काफी बहस भी हुई। यहां तक की महिला की सास यानि उस व्यक्ति की मां ने भी बहू का साथ देते हुए उसे व्रत रखने से मना कर दिया।

दीप चंद को यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और वह गुस्सा कर अपने कमरे में चला गया और गेट को अंदर से बंद कर लिया। काफी देर तक गेट ना खुलने पर जब कमरे का गेट तोड़ा गया तो देखा कि दीपचंद ने खुद को फांसी के फंदे पर लटका लिया है, और उसकी मौत हो चुकी थी।

एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, वृंदावन पुलिस स्टेशन इंचार्ज राम पाल सिंह भाटी ने बताया कि उस जगह से अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। रिपोर्ट में यही लिखा गया है कि करवाचौथ के व्रत को रखने को लेकर कपल में विवाद हुआ था। जिसके चलते दीप चंद ने आत्महत्या कर ली।

करवाचौथ को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं जिनमें इस तरह की बातों का वर्णन किया गया है लेकिन यह केस सच में काफी चौंकाने वाला है। अगर उस महिला को पता होता कि उसके व्रत ना रखने से ऐसा कुछ हो जाएगा तो वह ये व्रत जरूर रखती।

करवाचौथ को लेकर पौराणिक कथा

बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।

उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।

सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।

इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।

अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।

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