कैसे करें दीपावली में गणेश-लक्ष्मी की पूजा, जानें सही विधि और शुभ मुहुर्त
हिंदू धर्म में दीपावली (दिवाली) के त्यौहार का खास महत्व है। कार्तिक मास की अमावस्या वाले दिन ये त्यौहार पूरे देश में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को रोशनी का पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान राम चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के वापस आने की खुशी में पूरे अयोध्या के नगरवासियों ने पूरे नगर को दीपकों से सजाया था। इस दिन सभी लोग अपने घर, ऑफिस और अपने कार्य करने वाले स्थानों में गणेश-लक्ष्मी व मां सरस्वती की पूजा करते हैं। जिससे उनके घर में सुख-शांति और समृद्धि आए। दीपावली पूजन में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है, जो निम्न प्रकार है। Deepawali (Diwali) Pujan vidhi in hindi with shubh muhurt and mantra for Deepwali 2019
दीपावली पूजन विधि, शुभ मुहुर्त, सामग्री
लक्ष्मी माता के साथ गणेश भगवान के पूजन का महत्व
दीपावली परंपराओं का त्यौहार हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन में माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गणेश भगवान की पूजा के बिना कोई भी पूजन अधूरा माना जाता है, इसलिए इसमें गणेश जी की पूजा का भी एक विशेष महत्व है। इसके साथ ही माता सरस्वती की पूजा भी की जाती है। धन व सिद्धि के साथ ज्ञान भी की पूजा भी की जाती हैं.
दीपावली पूजन (दिवाली पूजन विधि) सामग्री
माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार करनी चाहिए। लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं। यदि आप पूजन में उन सभी का उपयोग करते हैं तो माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
वस्तुएं- लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती माता की मूर्ती, रोली, कुमकुम, चावन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप,कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे का दीपक, रूई, कलावा, नारियल शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील , बताशे, गंगाजल, जनेऊ, श्वेतवस्त्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी के सिक्के, मिठाई।
दीपावली पूजन कैसे करें?
प्रातः स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब निम्न संकल्प से दिनभर उपवास रहें-
मम सर्वापच्छांतिपूर्वकदीर्घायुष्यबलपुष्टिनैरुज्यादि-
सकलशुभफल प्राप्त्यर्थं
गजतुरगरथराज्यैश्वर्यादिसकलसम्पदामुत्तरोत्तराभिवृद्ध्यर्थं
इंद्रकुबेरसहितश्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये।
दीपावली पूजन से पहले तैयारी
सबसे पहले चौकी पर एक सफेद वस्त्रबिछाेएं, इसके बाद चौकी पर लक्ष्मी व गणेश व सरस्वती की मूर्तियां या प्रतिमा इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। ध्यान रखें कि लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। इसके बाद हाथ में गंगाजल लेकर मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रतिमाओं पर छिड़कें। बाद में गंगाजल से पूजा के आसन पर और खुद पर भी छिड़कें।
मंत्र- ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें-
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
दीपावली पूजन पर थालियों की निम्नानुसार व्यवस्थित करें
1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इन थालियों के सामने बैठे। और आपके परिवार के सदस्यों को आपकी बाईं ओर बैठाएं।
आचमन
पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ केशवाय नमःऔर फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद अंग न्यास करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंग न्यास से पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।
दीपावली पूजन से पहले संकल्प
अपने हाथ में अक्षत, पुष्प और कुछ धन लीजिए। ये सब हाथ में लेकर संकल्प कीजिए कि मैं देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश की पूजा करनी चाहिए।
इसके बाद हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। सोलह माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजन की सामग्री चढ़ा दीजिए। इसके बाद मौली को लेकर पहले भगवान को अर्पण करें और फिर स्वयं के हाथों और घर वालों के हाथों में बांध दीजिए। इसके बाद सभी के तिलक लगाएं और महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।
सबसे पहले भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन करें और उनकी प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं और दोनों भगवानों का श्रृंगार करें। भगवानों को भोग लगाने के बाद,सबसे पहले गणेश भगवान की आरती करें, उसके बाद माता लक्ष्मी की आरती करें। फिर सरस्वती मां की आरती करें।
ध्यान रखें कि जब आप पूजा कर रहे हों तब आपके घर के मुख्य द्वार खुले हों, ऐसा माना जाता है कि पूजा के वक्त माता लक्ष्मी के आगमन के लिए घर के दरवाजों को खुला छोड़ देना चाहिए। आरती के बाद सबको प्रसाद दें।
दीपावली पूजन के बाद क्षमा याचना
पूजा के पश्चात माता से क्षमा याचना करनी चाहिए इसका अर्थ यह होता है कि यदि आपसे पूजन में किसी प्रकार की कोई गलती हो गई हो तो भगवान आपको क्षमा करें।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहुर्त
बता दें कि दीपावली पूजन का एक शुभ मुहुर्त भी होता है। यदि आप उस मुहुर्त में दीपावली पूजन करते हैं तो आपको फल की प्राप्ति जल्दी होती है। इस बार पूजन का समय कुछ इस प्रकार है।
शाम:18:44 से 20:14 तक
प्रदोष काल: शाम 17:40 से 20:14 तक.
वृषभ काल: 18:44 से 20:39 तक
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