पहली बार करवाचौथ करने वाली महिलाएं यहां जानिए व्रत-विधि और चांद निकलने का समय
27 अक्टूबर को भारत में ज्यादातर जगह पर करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा. सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ का बहुत ही खास मतलब होता है और वह सभी इस दिन निराजल व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु के लिए दुआ मांगती हैं. भारतीय महिलाएं पति को परमेश्वर मानती हैं और ऐसे में इस व्रत के दिन भगवान की पूजा करने के बाद अपने पति की भी पूजा करती हैं. करवाचौथ जिसे संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है, इस पर्व का इंतजार महिलाएं साल भर करती हैं और विवाहित महिलाएं इस दिन की तैयारी में कुछ दिन पहले से ही लग जाती हैं. खुद को तैयार करना और पकवान बनाने की जिम्मेदारी उनके ऊपर होती है. करवाचौथ करने वाली महिलाएं यहां जानिए व्रत-विधि और चांद निकलने का समय, आज का आर्टिकल खास व्रत करने वाली महिलाओं के लिए हम लेकर आए हैं.
महिलाएं यहां जानिए व्रत-विधि और चांद निकलने का समय
करवाचौथ का पवित्र पर्व पति और पत्नी के मजबूत रिश्ते को दर्शाता है और उनके प्यार को गहरा भी करता है. इस पूजा के लिए महिलाएं इंतजार करती हैं फिर पूरी श्रद्धा भाव के साथ व्रत की पूजा करती हैं और व्रत खोलती हैं. कार्ति मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ का व्रत किया जाता है और इस बार पूजा का सही मुहूर्त शाम को 6.35 से 8.00 बजे तक का सबसे खास माना गया है. शाम को 7.38 पर चांद निकलेगा और चतुर्थी भी 27 अक्टूबर, 7.38 पर ही शुरु होगी. करवाचौथ वाले दिन महिलाएं सुबह उठकर सर्गी खाती हैं जिसे आमतौर पर सास ही बनाती है. इसे खाने के बाद महिलाएं स्नान और पूजा करती हैं. फिर उनका व्रत शुरु हो जाता है और पूरे दिन भूखे-प्यासे बिताना होता है. आज के समय की महिलाएं दिनभर खुद को सजाती रहती हैं इससे उनकी दिन भी कट जाता है और पूजा का समय भी हो जाता है. चंद्रमा दिखने के बाद महिलाएं पहले कथा करती हैं, पूजा पूरी करती हैं फिर छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं और पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत तुड़वाते हैं. इसके बाद पत्नी कुछ भी खा पी सकती हैं.
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करवाचौथ करने की पूजा विधि
व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर के काम निपटाकर स्नान करती हैं फिर आरती करके आचमन के बाद संकल्प लेकर कहती हैं कि मैंने अपने सौभाग्य से पुत्र पौत्रादि तथा अखंड सौभाग्य की अक्षय संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत किया है और ये निराहार था. इस व्रत में कार्तिकेय और गौरा पूजान का विधान खासतौर पर बताया गया है. चंद्रमा, शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा विधिवत करके एक तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री जैसे- सिंदूर, चूड़ियां, शीशा, कंघी, रिबन और कुछ रुपया रखकर किसी बड़ी सुहागिन महिला या अपनी सास के पांव को छूकर भेट देनी चाहिए. शाम के समय कुछ दान करें फिर रात की पूजा की तैयारी करें. ऐसा करने से पति की उम्र लंबी होती है और पति के हाथों पानी पीकर अपने इस व्रत अनुष्ठान को पूरा करें.
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