दीपावली के दिन सिर्फ मां लक्ष्मी ही नहीं मां काली की भी होती है पूजा, नहीं जानते होंगे आप
दीपावली का त्यौहार विशेष रुप से लक्ष्मी और गणेश पूजा कर मनाया जाता है। दियों और रोशनी से सजा यह त्यौहार इसलिए मनाते हैं क्योंकि भगवान राम रावण का वध करके इसी दिन अयोध्या लौटे थे औऱ उनके आने की खुशी में दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं। साथ ही लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी की पूजा के साथ गणेश जी की पूजा इसलिए की जाती है व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट ना हो। हालांकि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में इस अवसर पर लोग काली मां की पूजा करते हैं। आपको बताते हैं क्यों होती है दीपावली की रात काली मां की पूजा। बंगाल में लक्ष्मी पूजा दशहरे के 6 दिन बाद की जाती है जबकि दीवाली के दिन काली पूजा की जाती है।
काली मां दुर्गा का ही क्रोधित रुप हैं। दरअसल राक्षसों का वध करने के बाद महाकाली का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। उन्हें शांत करने के सारे प्रयास विफल हो रहे थे। इसके बाद उनका क्रोध खत्म करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। क्रोध से तमतमाई मां शिव के ऊपर चढ़ गईं, लेकिन जैसे ही उन्हें शिव का स्पर्श हुआ उनका रुप शांत हुआ।
इसके बाद से वह शांत रुप में लक्ष्मी बन गईं और इसी के बाद से लक्ष्मी मां की पूजा की शुरुआत हुई। जहां हर कोई दीपावली के दिन उनके शांत रुप यानी लक्ष्मी मां की पूजा करता है तो वहीं कई राज्यों में इनके रौद्ररुप काली मां की पूजा होती है।
काली पूजा का महत्व
औरत को जब भी क्रोधित और प्रचंड रुप में देखा जाता है तो उसे काली का रुप कहा जाता है। मां काली ने दुष्टों और पापियों का नाश करने के लिए काली का रुप धारण किया था।मां काली की पूजा से जीवन में चली आ रही सारी परेशानियां दूर हो जाती है। अगर कुंडली में राहु केतु परेशान कर रहे हो तो काली मां की पूजा से वह भी शांत हो जाते हैं। कई जगह पर तंत्र साधना के लिए भी लोग काली मां की पूजा की जाती है।
कैसे करें काली पूजा
सामान्य रुप से काली पूजा करने लिए 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही आप मौसमी फल, मिठाई, खिचड़ी. खीर, तली हुई सब्जी या और भी कई व्यंजन काली मां को चढ़ा सकते हैं। सबसे पहले सुबह स्नान कर पूजा करें और फिर दिन भर व्रत रहकर रात में भोग करें। हवन करके पूजा खत्म करनी चाहिए।
काली मां के पूजा के चमत्कार
- लंबे समय से चली आ रही बीमारी ठीक हो जाती है।
- काली मां की पूजा करने से काले जादू या टोने टोटके का प्रभाव नहीं पड़ता है।
- अगर किसी बुरी आत्मा का साया महसूस हो तो काली मां की पूजा से दूर हो जाता है
- कर्ज से छुटकारा मिलता है।
- बिजनेस में हो रही परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- रोजगार, करियर, शिक्षा से जुड़ी सारी तकलीफे दूर हो जाती है
- जीवनसाथी या दोस्तों से हो रहा मनमुटाव दूर हो जाता है।
- बिजनेस और नौकरी में प्रमोशन मिलता है
- राहु केतु की महादशा . अंतरदशा , शनि की साढ़े साती, शनि की ढइया से काली मां की रक्षा करती है
काली पूजा का शुभ मुहूर्त
2018 की दीपावी में काली मां की पूजा 6 नवंबर को होगी।
पूजा का समय 11:38 से 12:31 तक रहेगा।
अमावस्या तिथि का आरंभ 6 नंवबर मंगलवार को 22:27 से प्रारंभ होगी
अमावस्या तिथि का समापन 7 नंवबर बुधवार को 21:31 पर होगा
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