जापान सरकार का अजीबो-गरीब फैसला, नागरिकों को रूलाने पर दिया जोर
न्यूज़ट्रेंड हेल्थ डेस्क: हंसना अच्छी सेहत का एक अचूक मंत्र हैं, अगर आप दिल खोलकर हंसते हैं तो आप तनाव मुक्त हो सकते हैं, आजकल योगा क्लासेस में भी एक क्लास ऐसी लगती है जिसमें सबको दिल खोल कर हंसने को कहा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस तरह से हंसना सेहत के लिए फायदेमंद होता उसी तरह से रोना भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। अगर आपको स्वस्थ्य और तनाव पूर्ण रहना है तो आप भी फूट-फूटकर रोने की आदल डाल लीजिए। सुनने में भले ही आपको ये थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन यह बात सौ दफा सच है कि आपकी अच्छी सेहत के लिए रोना भी उतना ही आवश्यक है जितना हंसना।
दुनिया में जापान एक ऐसा देश हैं जो दिन बा दिन प्रगति करता जा रहा है और उसकी वजह है वहां के लोगों की जी जान से की जाने वाली मेहनत। बता दें कि जापान एक ऐसा देश हैं जहां पर काम करने वाले लोग सबसे कम छुट्टियां लेते हैं और सबसे ज्यादा काम करते हैं। अब ज्यादा काम मतलब ज्यादा तनाव, ऐसे में जापान की सरकार नें अपने नागरिकों को तनाव मुक्त रखने के लिए एक नया तरीका निकाला है, जिसके चलते वो अपने नागरिकों को रोने के लिए मजबूर करते हैं। यहां तक की यहां पर स्कूलों में भी बच्चों को एक दिन जमकर रोने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कंपनियां और स्कूल अपने कर्मचारियों और छात्रों को हफ्ते में एक दिन जमकर रोने के लिए कहते हैं जिससे वो तनाव मुक्त हो जाएं, बच्चों और क्र्मचारियों को रूलाने के लिए कंपनिया और स्कूल ‘टीयर्स टीचर’ यानी आंसू लाने वाले ट्रेनर को भी हायर करते हैं , जो लोगों को रूलाने का काम करते हैं।
रोने के फायदों पर शोध
हंसने से ज्यादा रोनातनाव को दूर करता है इसका शोध जापान की एक हाई स्कूल टीचर ने शुरू किया था। 43 साल की हीदेफूमी योशिदा ने पांच से छह साल तक रोने से होने वाले फायदों पर शोध शुरू किया और तभी से वो अपने शोध पर प्रयोग करती आ रही हैं। हीदेफूमा को अब जापान में नामिदा सेंसेई यानी टीयर टीचर्स के तौर पर जाना जाता है। हीदेफूमा बड़ी-बड़ी कंपनियों और स्कूलों में जाकर लोगों को रोने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और लोगों को रोने से होने वाले फायदों के बारे में भी बताती हैं। जापानी की कंपनियों और स्कूलों में हीदेफूमा की भारी मांग है।
जापान सरकार ने भी दिया रूलाने पर जोर
हीदेफूमा के इस शोध पर तोहो यूनिवर्सिटी की मेडिसिन फैकल्टी के प्रमुख प्रफेसर हिदेहो अरिटा ने भी शोध किया। जिसके बाद उन्होंने भी हीदेफूमा के शोध को सही ठहराया जिसके बाद इन दोनों के प्रयोग और रिसर्च से ये बात साबित हो गई कि हंसने और रोने के मुकाबले रोने से तनाव ज्यादा जल्दी खत्म होता है। हफ्ते में एक बार रोने से स्ट्रेस फ्री लाइफ जीने में काफी मदद मिलती है। हीदेफूमा और हिदेहो के शोध में मिली सफलता के बाद जापान सरकार ने साल 2015 में कंपनियों के लिए एक नया नियम लागू किया जिसके चलते जो कंपनियां 50 से ज्यादा कर्मचारी रखती हैं उन कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए तनाव मुक्त कदम उठाना अनिवार्य कर दिया। जिसके बाद कंपनियों को अपने कर्मचारियों को महीने में एक बार रूलाना था, जिससे वो तनावमुक्त होकर काम कर सकें।
मनोचिकित्सक ने भी शोध को बताया सही
बता दे कि ऐसा नहीं है कि ये शोध सिर्फ जापान तक ही सीमित रहा, इस शोद को लेकर 16 साल पहले भी 30 देशों में सर्वे हुआ था। जिसमें लोगों के तनावपूर्ण होने पर हंसना और रोना दोनों कार्य कराये गए थे। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 60 फीसदी से ज्यादा लोगों ने इस बात को माना था कि तनाव से लड़ने में रोना उनके लिए ज्यादा असरदार साबित रहा है। बता दें कि दुनिया के 70 फीसदी मनोचिकित्सक तनाव दूर करने के लिए लोगों को रोने की सलाह देते हैं।
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