डायबिटीज की जांच करने के लिए आप अपना सकते हैं ये 4 तरीके, जानें क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया
हमारे रोज की अस्त व्यस्त दिनचर्या की वजह से आज हम अजीब अजीब तरह की बीमारियों से घिरते जा रहे है वो भी समय बे समय। कब किसे किस उम्र में कौन सी बीमारी हो जाए इस बात का किसी को ओई भी अंदाज़ा नही रहता है। काम का दबाव, बेसमय खाना खाना, उल्टा सीधा खा लेना और पाचन क्रिया का भी सुचारु रूप से काम नहीं करना, मोटापा बढ्ना और फिर तमाम तरह की बीमारियों से घिर जाना ये किसी भी व्यक्ति के जीवन की एक कड़ी बन चुकी है। आज इस तरह की समस्या से तकरीबन हर कोई जूझ रहा है और ऐसे में एक सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है डायबिटीज। जानिये कैसे करें डायबिटीज की जांच
बताते चलें की डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जिसके रोगियों की संख्या आज पूरे विश्व भर में लगातार बढ़ती ही जा रही है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे शुरुआती दौर में लक्षणों को देखकर पता लगा पाना काफी ज्यादा मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं। जैसे- बार-बार पेशाब लगना, थकान होना, आलस लगना जैसी तमाम तरह के लक्षण इसलिए डायबिटीज का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट बेहद ही आवश्यक है।
डायबिटीज की जांच के आसान तरीके
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
बताते चलें की फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट जिसे ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट भी कहते हैं। यह टेस्ट बिना कुछ खाये-पिए सुबह के समय किया जाता है। आपको बता दें की डायबिटीज का पता लगाने के लिए यह टेस्ट बहुत ही सटीक, सस्ता और सुविधाजनक होता है। ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट प्री डायबिटीज की जांच का सबसे लोकप्रिय टेस्ट है।
ए1सी टेस्ट से भी होता है डायबिटीज की जांच
आमतौर पर प्री डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज की जांच के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि टाइप 1 डायबिटीज या गर्भावधि मधुमेह के लिए ए1सी टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ए1सी टेस्ट ब्लड शुगर में होने वाले रोज-रोज के उतार-चढ़ाव को नहीं बताता बल्कि पिछले 2-3 महीने में होने वाले उतार-चढ़ाव को बताता है। यह हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़े ग्लूकोज की मात्रा को भी नापता है। यह ट्रेडिशनल ग्लूकोज टेस्ट की तुलना में रोगियों के लिए अधिक सुविधाजनक होता है क्योंकि इसमें फास्टिंग की जरूरत नही होती है। इस टेस्ट को दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज (आरपीजी)
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज (आरपीजी) टेस्ट का प्रयोग कभी कभी एक नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान पूर्व मधुमेह या मधुमेह का निदान करने के लिए किया जाता है। अगर आरपीजी 200 लिटर का दशमांश प्रति माइक्रोग्राम या उससे ऊपर दिखाता है तो व्यक्ति में मधुमेह के लक्षणों का पता चलता है, तो चिकित्सक डायबिटीज की जांच के लिए अन्य टेस्ट करता है।
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट – डायबिटीज की जांच
यह टेस्ट ऐसे व्यक्ति को करने के लिए कहा जाता है जिसको डायबिटीज का संदेह तो होता है परन्तु उसका एफपीजी टेस्ट ब्लड शुगर के स्तर को नॉर्मल दर्शाता है। ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट को (ओजीटीटी) भी कहा जाता है। इस टेस्ट से करीब 2 घंटे पहले लगभग 75 ग्राम एनहाइड्रस ग्लुकोज़ को पानी में मिला कर पीना होता है तभी शुगर के सही लेवल की जांच की जा सकती है। ओजीटीटी टेस्ट करने के लिए कम से कम 8 से 12 घंटे पहले कुछ नही खाना होता है।
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