अध्यात्म

दीपावली की पूजा में शामिल करें ये 12 चीजें, झट से प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी

हिंदू धर्म में दीपावली का विशेष स्थान है और इस दौरान लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं. इनकी पूजा करके वे अपने घर के लिए सुख-समृद्धि मांगते हैं और इस दौरान वे बहुत ही सतर्क रहकर पूजा करते हैं. दीपावली की पूजा में शामिल करें ये 12 चीजें, इस विधि के साथ पूजा करने वालों के घर में हमेशा लक्ष्मी जी का वास रहता है.

दीपावली की पूजा में शामिल करें ये 12 चीजें

दीपावली के लिए सामान्य पूजन सामग्री (दीपक, प्रसाद, कुमकुम, फल-फूल आदि) के अतिरिक्त ऐसी 12 चीजें और है जिन्हें पूजन में शामिल करनी चाहिए, जिनके बारे में आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे.

खीर

दीपावली पर लक्ष्मी पूजा में मिठाई के साथ ही घर पर बनी खीर भी रखनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसा,र खीर लक्ष्मी का प्रिय व्यंजन है. इसीलिए प्रसाद के रूप में खीर अवश्य रखनी चाहिए.

वंदनवार

आम, पीपल और अशोक के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है. इसे दीपावली पर मुख्य द्वार पर बांधना चाहिए. इस संबंध में मान्यता है कि सभी देवी-देवता इन पत्तियों की महक से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं.

ईख या गन्ना

महालक्ष्मी का एक रूप गजलक्ष्मी भी है और इस रूप में वे ऐरावत हाथी पर सवार दिखाई देती हैं. लक्ष्मी के ऐरावत हाथी की प्रिय खाद्य-सामग्री ईख यानी गन्ना है. दीपावली के दिन पूजा में गन्ना रखने से ऐरावत प्रसन्न रहते हैं और ऐरावत की प्रसन्नता से महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं.

पीली कौड़ी

लक्ष्मी पूजा की थाली में पीली कौड़ियां रखने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है. ये पीली कौड़ियां धन और श्री यानी लक्ष्मी की प्रतीक हैं. पूजा के बाद इन कौड़ियों को तिजोरी में रखने से लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है.

पान

ये भी दीपावली पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है. पान खाने पर जिस प्रकार हमारे पेट की शुद्धि होती है, पाचन तंत्र को मदद मिलती है, ठीक उसी प्रकार पूजा के समय पान रखने पर घर की शुद्धि होती है और वातावरण सकारात्मक और पवित्र बनता है.

ज्वार यानी जवारे का पोखरा

पुरानी मान्यता है कि दीपावली पर ज्वार का पोखरा रखने से धन में वृद्धि होती है, सभी देवी-देवताओं के साथ ही माता अन्नपूर्णा की कृपा भी प्राप्त होती है. अन्नपूर्णा और लक्ष्मी कृपा से घर में किसी भी तरह के अनाज की कमी नहीं होती है.

स्वस्तिक

किसी भी पूजा में स्वस्तिक अवश्य बनाया जाता है. स्वास्तिक की चार भुजाएं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम चारों दिशाओं को दर्शाती हैं. साथ ही, ये चार भुजाएं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रमों का प्रतीक भी मानी गई हैं.

तिलक

पूजा में तिलक लगाया जाता है ताकि मस्तिष्क में बुद्धि, ज्ञान और शांति का प्रसार हो. कोई भी पूजा तिलक के बिना पूरी नहीं होती है. माथे पर जहां तिलक लगाया जाता है, वहां आज्ञा चक्र होता है और इस स्थान पर तिलक लगाने से मन की एकाग्रता बढ़ती है.

चावल यानी अक्षत

पुराने समय से ही पूजा में चावल का काफी अधिक महत्व बताया गया है. चावल को अक्षत कहा जाता है यानी जो खंडित नहीं है. इस वजह से चावल को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक कार्यों में चावल एक धान के रूप में भी उपयोग किया जाता है. पूजा में चावल रखने के संबंध में एक मान्यता है यह हमारे घर पर कोई काला दाग भी नहीं लगने देता है यानी समाज में हमारी प्रतिष्ठा को बढ़ाता है.

बताशे या गुड़

ये भी दिवाली के लिए शुभ सामग्री है. लक्ष्मी-पूजन के बाद गुड़-बताशे का दान करने से धन में वृद्धि होती है. घर-परिवार में सुख और समृद्धि का विस्तार होता है, इसी वजह से प्रसाद के रूप में बताशे भगवान को अर्पित किए जाते हैं.

लच्छा या धागा

लच्छा कई धागों से मिलकर बनता है, इसीलिए यह संगठन की शक्ति का प्रतीक है, जिसे पूजा के समय कलाई पर बांधा जाता है. इस धागे को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, इसके प्रभाव से हम कई परेशानियों से बचे रहते हैं.

रंगोली

लक्ष्मी पूजा के स्थान, प्रवेश द्वार और आंगन में रंगों से धार्मिक चिह्न कमल, स्वास्तिक, कलश, फूलपत्ती आदि से रंगोली बनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी रंगोली की ओर जल्दी आकर्षित होती हैं.

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