एक महिला के लिए क्यों जरूरी होता है करवाचौथ ? जानिए इस पर्व को मनाने का कारण
जब लड़कियां छोटी होती हैं और उनके घर में उनकी मां करवाचौथ का त्यौहार मनाती है तब इसे मनाने का कारण वो उनसे पूछती हैं और जब जवाब मिल जाता है तब उनके अंदर भी इसे मनाने की उत्सुकता आ जाती है. फिर बचपन से ही लड़कियां अपने पति के लिए करवाचौथ रहेंगी ये भावना आने लगती है, ऐसे में उनके अंदर बहुत सारे सपने बुनने लगते हैं जिसे वे शादी के बाद पूरे कर पाती हैं. एक महिला के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण इंसान उसका पति होता है और जिसके लिए वो अपना घर तक छोड़ देती हैं और शादी करके उनके घर चली जाती हैं. भारतीय महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए बहुत कुछ करती हैं इसके लिए उनके जीवन में करवाचौथ को लेकर बहुत से सपने और मान्यताएं उत्पन्न होने लगती हैं. एक महिला के लिए क्यों जरूरी होता है करवाचौथ ? इसके बारे में एक शादीशुदा महिला को जरूर जानना चाहिए और उन्हें अपने पति के लिए इस व्रत को जरूर करना चाहिए.
एक महिला के लिए क्यों जरूरी होता है करवाचौथ ?
इस साल करवाचौथ का पर्व 27 अक्टूबर (शनिवार) के दिन पड़ रहा है, जिस दिन का इंतजार महिलाएं अभी से करने लगी हैं. ऐसा करने के पीछे उनका पवित्र मन तो होता ही है जब वह अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रक रखती हैं इसके साथ ही उन्हें सजने और संवरने का मौका भी मिल जाता है. करवाचौथ से जुड़ी बहुत सी बातें होती हैं जो महिलाओं को जरूर करना चाहिए, ऐसे में पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता के साथ-साथ विश्वास भी बढ़ता है. करवाचौथ का व्रत करने वाली के पति उनके साथ रहते हैं और उनका साथ देते हुए वह अपना रिश्ता और मजबूत बना लेती हैं. करवाचौथ एक महिला के लिए अहम पर्व होता है और इसे हर शादीशुदा महिला को जरूर करना चाहिए, ऐसा इसलिए क्योंकि ये एक ऐसा व्रत है जिसे करने से ना सिर्फ उनका रिश्ता मजबूत होता है बल्कि उनके पति की आयु भी लंबी होती है. करवाचौथ का इंतजार हर महिला करती हैं और दो दिन पहले से उसकी तैयारी में जुट जाती हैं. (और पढ़ें – करवा चौथ व्रत की कहानी)
इसलिए मनाया जाता है करवाचौथ
महिला को शक्ति का रूप माना जाता है और उन्हें वरदान भी है कि महिला अगर किसी भी चीज के लिए तप करती है तो उस तप का फल उसे जरूर मिलता है. पौराणिक कथा के मुताबिक, सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से छीन लाई थी. अपने पति को वापस लाने के लिए सावित्री ने बहुत सारे तप किए और कई महीनों तक भूखी-प्यासी रही फिर अंत में वो सफल भी हुई. उसके बाद से हर महिला इसे करवाचौथ के रूप में मनाने लगी. अपने पति की लंबी आयु के लिए सभी महिलाएं व्रत रहने लगी और आज भी ये परम्परा कायम है. महिलाएं इस दिन निर्जाल रहती हैं और दिन भर सजना संवरना शुरु कर देती हैं. चौथ का चांद हमेशा ही देर में निकलता है और ये महिलाओं के लिए परिक्षा का दिन होता है.
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