वर्जिनिटी टेस्ट | सुहागरात वाली रात सफेद चादर के दाग पर टिका होता है लड़की का जीवन
भारत एक ऐसा देश हैं जहां पर अलग-अलग धर्म, समुदाय, संस्कृतियां एक साथ देखने को मिलती है। भारत में कई ऐसी पौराढ़िक रीति-रिवाज और रूढ़ी परंपराओं को माना जाता है जिनके बारे में आप सुनकर दंग रह जाएंगे, जिनमें से एक है शादी से पहले अपनी वर्जिनिटी खोना, भारत में यदि किसी स्त्री ने शादी से पहले अपनी वर्जिनिटी लूस कर दी तो उसे समाज में बहुत ही हीन भावना से देखा जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ और बढ़ती जागरूकता ने इस सोच को थोड़ा दबा दिया है लेकिन इसके बावजूद भी कुछ ऐसे समुदाएं हैं जो आज भी महिला की वर्जिनिटी टेस्ट के आधार पर उसके चरित्र को आकाते हैं, आज हम आपको एक ऐसे ही समुदाय ‘कंजरभाट’ के बारे में बताएंगे जो अपनी रूढ़ी-परंपराओं के कारण चर्चाओं में बना रहता है।
कंजरभाट एक ऐसा समुदाय जहां पर शादी के दूसरे दिन यानि सुहागरात वाले दिन लड़की की वर्जिनिटी टेस्ट होती है। यह सुमदाय भारत के कई प्रांतो में बिखरा हुआ है, जहां इनको अलग-अलग नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में कंजारभाट, गुजरात में छारा, पश्चिम बंगाल में कूचा, राजस्थान में कंजर या नट, मध्यप्रदेश में बांछडा या भान्तु और पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के क्षेत्र में सांसी आदि के आलावा जादूगर, बाजीगर, बेड़िया आदिनामों से भी यह समुदाय जाने जाते हैं।
कजंरभाट समुदाय का इतिहास
कंजरभाट समुदाय तब से भारत में है जब भारत अपनी आजादी की जंग लड़ रहा था। कंजरभाट सुमदाय का पारंपरिक व्यवसाय था नृत्य, कलाबाजी, नौटंकी, जादूगरी, करतब आदि करते थे और जगह-जगह घूमकर ये सब प्रदर्शन कर बदले में वो लोगों से अनाज, पैसा लेकर के अपना जीवन यापन करते थे। इनकी भाषा में गुजराती और मराठी का मिश्रण देखने को मिलता है। साल 1857 के वक्त स्वतंत्रता संग्राम के वक्त कंजरभाट समुदाय ने कांर्तिकारियों की मदद करी थी, इस समुदाय ने अंग्रेज़ों के खिलाफ अपनी चतुराई और बहादुरी दिखाकर उनका गोला-बारूद, बंदूकें, खज़ाना लूटा था और उसे स्वतंत्रता सेनानियों में देश की स्वतंत्रता में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
सन् 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन कंजरभाट समुदाय को स्वतंत्रता नहीं मिली, ना तो इस समुदाय को संविधान में शामिल किया गया, ना ही इनके विकास के लिए किसी भी प्रकार के बजट अथवा सरकारी या गैरसरकारी योजना का प्रावधान मिला। अंग्रजों से लूटपाट करने के कारण इस समुदाय के माथे का ‘अपराधी’ नाम का ठप्पा एक ऐसा ठप्पा लगा जो कभी मिट नहीं पाया।
समाज से आस्वीकारिता और जीवन यापन के लिए साधनों की कमी ने कंजरभाट समुदाय को अपराध की राह पर लाकर खड़ा कर दिया। चोरी अथवा गैरकानूनी शराब बेचने के आरोप में कंजारभाट समुदाय फिर से सामने आने लगा। कुछ समय बाद ऐसा हुआ कि बिना अपराध के इन लोगों पर इल्जाम लगने लगे और पुरूषों को जेल में भरा जाने लगा और इनके परिवार की महिलाओं के साथ हिंसा होती रही।
देखते-देखते वक्त गुजरता गया और इस जनजाति मे अलग-अलग स्वरूप ले लिए, इसी के साथ इनकी आजीविका के साधन भी बदलते गए और इन जनजाति की अनेक जनजातियों का निर्माण हुआ। जिसमें- कंजार, छारा और नट अनेक तरह की उपजातियां शामिल हैं। इनकी उपजातियों के अनुसार ही इनके काम भी बंट गए जिनमें कंजार समुदाय चोरी-चकारी करना, छारा समुदाय देशी शराब बनाकर बेचना, नट समुदाय नृत्य करना या जादूगरी-कलाकारी करना आदि इन सब के आलावा तीनों समुदायों की रूढ़ीवादी-परंपरा, रीती-रिवाज, पूजा-अनुष्ठान, जात पंचायत आदि एक जैसे दिखाई देते हैं।
कैसे होती है लड़की की वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity Test)
कंजरभाट समुदाय में लड़का-लड़की के विवाह की पद्धति बहुत ही अजीबो-गरीब होती है। इस समुदाय में लड़की की मर्जी नहीं रखी जाती है, यहां लड़का, लड़की को पसंद करता है। इसके बाद दोनों की सगाई की जाती है, सगाई के दिन लड़का पक्ष की ओर से पंचायत के सदस्यों को हर व्यक्ति को दस-दस रूपए देने पड़ते हैं। जिसके बाद तय होती है शादी की तारीख, जिसको तय करने के लिए दोनों पक्षों को बिरादरी को बुलाकर चाय-पानी की रस्म पूरी करनी पड़ती है। शादी के दिन लड़की के पिता को दहेज के तौर पर 525 रूपए देने पड़ते हैं ऐसा करने के बाद ही शादी को सम्पन्न माना जाता है। आज के समय में दहेज की राशी हजारों रूपए में हो गई है।
कंजरभाट समुदाय में शादी की रस्म दो दिनों तक चलती है, पहले दिन में लड़का और लड़की की हल्दी की रस्म होती है, दोनों को हल्दी लगाकर इनको स्नान कराया जाता है, शाम को बारात निकलती है और रात में बिरादरी को खाना खिलाया जाता है। बारातियों के पहुंचने के बाद ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलाया जाता है, इनके आगमन को शुभ माना जाता है जो वर-वधू को आर्शीवाद देते हैं। यदि ब्राह्मण नहीं मिलते तो ऐसे में जात पंचायत के सदस्य ही मंगलाष्टक दोहरा देते हैं। इस तरह से शादी सम्पन्न होती है और लड़की की विदाई कर दी जाती है।
लड़की के ‘चरित्र शुद्धि’ के नाम पर उसके ‘कौमार्य’ की परीक्षा ली जाती है
शादी के दूसरे दिन होता है लड़की का वर्जिनिटी टेस्ट यानी उसके चरित्र का परीक्षण, कंजरभाट समुदाय में इसे लड़की के ‘चरित्र शुद्धि’ के नाम पर उसके ‘कौमार्य’ की परीक्षा ली जाती है। सुहागरात किसी भी नए शादी-शुदा जोड़े के लिए एक बहुत ही खास समय होता है, लेकिन इस समुदाय में इस खास पल को जिस तरह से तार-तार किया जाता है उसे जानकर शायद आप सन्न रह जाएं, ये पूरी प्रक्रिया बहुत ही घिनौनी और शर्मनाक होती है। सुहागरात वाली रात लड़के को सफेद चादर दी जाती है और लड़की के साथ कमरे में भेजा जाता है, उनके कमरे के बाहर लड़की के घर वालों से लेकर सभी रिश्तेदार और बिरादरी के अन्य लोग खड़े होते हैं।
लड़की ‘खरी है या नहीं’
लड़का और लड़की को एक घंटे का समय दिया जाता है, इससे भी ज्यादा घिनौना काम होता है यदि वर-वधू को किसी तरह की परेशानी होती है तो बाहर खड़े लोग उनके कमरे में जाकर उनकी मदद करते हैं और उनको शारीरिक संबंध बनाने का तरीका बताते हैं। ये सब होने के बाद भरी पंचायत में लड़के से पूछा जाता है लड़की ‘खरी है या नहीं’, जिसका अर्थ होता है कि लड़की का चरित्र ठीक है कि नहीं, सफेद चादर में खून के दाग दिखाने पड़ते हैं। अगर चादर में खून के दाग नहीं मिलें मतलब लड़की वर्जिनिटी टेस्ट में फ़ैल हुई तो उसे जात पंचायत को सौंप दिया जाता है। जिसके बाद लड़की को दंड दिया जाता है।
जात पंचायत उस लड़की को दंड के रूप में उसके कपड़े उतारवाकर शरीर के अंगों को दागा जाता है, खौलते तेल में से सिक्का निकालने जैसे कई ऐसे दंड दिए जाते हैं जिन्हें सुनकर आपके रोएं खड़े हो जाएंगे, इसके बाद लड़की को ‘चरित्रहीन’ बतलाकर उसके मायके वापस भेज दिया जाता है, जिसके बाद इस लड़की की शादी कभी नहीं हो पाती है।
क्या है जात पंचायत
कंजरभाट समुदाय में इनकी पंचायत द्वारा सुनाया गया फैसला ही माना जाता है, इसके अलावा वो किसी कानून को नहीं मानते हैं। इस सुमदाय में महिलाओं को ना चाहते हुए भी यौन कर्म से जुड़ना पड़ता है। इस समुदाय में जिस तरह से महिलाओं के साथ व्यवहार किया जाता है उसे देखकर एक बात तो साफ है कि कंजरभाट समुदाय की पंचायत में महिला सदस्यों की भागीदारी ना के बराबर होती है और अपनी बात रखने का अधिकार भी नहीं होता है। इसलिए सबसे ज़्यादा शोषण उन्हीं का होता है। यहां तक की यदि किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ है तो इस तरह के मामलों में भी पंचायत स्त्री विरोध में ही फैसला सुनाती है। साथ ही कुछ अन्य मामलों में ये लोगों को सामाजिक बहिष्कार दे देती है।
इस क्षेत्र में काम कर रहे एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि- “वर्जिनिटी टेस्ट(virginity test) बहुत गलत प्रथा है लेकिन पंचायतों के डर की वजह से कोई इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाता। ये पंचायतें तो हत्या और बलात्कार तक के मामलों में स्त्री के विरोध में फैसला सुना देती हैं और सबको उन्हें मानना पड़ता है।”
वर्जिनिटी टेस्ट जैसी प्रथा को रोकने के लिए लागू किए गए नियम
साल 2013 में महाराष्ट्र के गृहमंत्रालय ने इस तरह की जात पंचायतों और उनके द्वारा दिए गए सामाजिक बहिष्कार देने संबंधी आदेशों को रोकने के लिए एक नोटीफिकेशन जारी किया था। इसके मुताबिक-“इस तरह की घटनाओं पर भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं के तहत जात पंचायत पर मुकदमा दर्ज किये जाने का प्रावधान था लेकिन राज्य में यह इसलिए अप्रभावी है क्योंकि जात पंचायतों से जुड़ी घटनाएं बमुश्किल ही उजागर हो पाती हैं।”
जात पंचायत का विरोध
महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अनिस) के सदस्य कृष्णा चान्दगुडे ने 2013 से जात पंचायतों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर के वर्जिनिटी टेस्ट जैसी प्रथाओं को रोकने की मुहिम चलाई, लेकिन इसका कोई खासा असर देखने को नहीं मिला। आज भी जात पंचायतों का आतंक कायम है। 28.01.2018 ‘Mumbai Mirror’ समाचार पत्र के अनुसार महाराष्ट्र के पुणे (पिंपरी चिंचवड) में कंजारभाट समुदाय के युवाओं ने एक नई सोच को अपनाया है। उन्होंने अपने समाज में जागरूकता लाने के लिए मुहिम चलाइ। इस मुहिम का मकसद कंजारभाट समाज में शादी की पहली रात लड़की की कौमार्य (Virginity) को चेक(Virginity test)करने की कुप्रथा को ख़त्म करना था।
वर्जिनिटी टेस्ट जैसी कुप्रथा के खिलाफ युवाओं ने व्हाट्सअपके ज़रिए stop the ‘v’ ritual नाम से ग्रुप बनाया है, जिसेक जरिए वो समुदाय के और लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ लोगों द्वारा चलाई गई ये मुहिम कुछ हद तर कारगर साबित हुई लेकिन इस समाज की मानसिकता रुढीवादी-परंपरा और स्त्रियों को गुलाम बनाकर रखने वाले कुप्रथाओं में उलझी हुई दिखाई देती है।
किन्तु इनके सामने सबसे बड़ी समस्या जात प्रमाणपत्र का ना होना है। इस समुदाय में शिक्षा का अभाव भी कहीं ना कहीं इनके पिछड़ेपन का एक कारण हैं। शिक्षा में आरक्षण होने के बावजूद भी कंजारभाट समुदाय का अधिकांश तबका अनपढ़ है।
कंजरभाट समुदाय में शिक्षा का अभाव भी कहीं ना कहीं इनके पिछड़ेपन और इस तरह की रूढ़ी परंपराओं को मानने की एक मुख्य वजह है।
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