भारत की इन 8 जगहों पर रावण जलाए नहीं पूजे जाते है, कुछ ऐसी है मान्यताएं
19 अक्टूबर के दिन दशहरा का उत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है. पूरे भारत के कोने-कोने में रावण का पुतला जलाकर लोग कहते हैं कि बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है लेकिन क्या ये सच होता है ? दशहरा के दिन पूरा देश रावण द्वारा किए हुए बुरे कामों की बात होती है और लोग ये प्रक्रिया हर साल रखते हैं मगर क्या वे जानते हैं कि रावण जैसा महाज्ञानी कोई भी नहीं था इसलिए भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण से उसके मरने से पहले ज्ञान लेने के लिए भेजा. उसके मरने के दिन से लेकर आज भी रावण का पुतला बनाकर देशभर में दशहरा का उत्सव मनाते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि इस दिन भारत की इन 8 जगहों पर रावण जलाए नहीं पूजे जाते है, इसके पीछे कुछ धार्मिक मान्यताएं भी हैं जो हिंदू धर्म के लोगों को जरूर जाननी चाहिए.
भारत की इन 8 जगहों पर रावण जलाए नहीं पूजे जाते है
1. मंदसौर (मध्यप्रदेश)
ऐसा कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यहां रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था. ऐसे में मंदसौर रावण का ससुराल हुआ और इस कारण यहां दामाद के पुतले को जलाया नहीं बल्कि पूजा जाता है. दरअसल यहां पर दामाद की इज्जत करने की परंपरे है.
2. कोलार (कनार्टक)
कनार्टक के कोलार में रावण की पूजा की जाती है क्यों कि यहां की ऐसी धार्मिक मान्यता है कि रावण भगवान शिव का भक्त था, जिसकी वजब से यहां के लोग रावण की पूजा करते हैं और इसके अलावा कर्नाटक के मंडया जिले के मालवली नाम की जगह पर रावण का मंदिर भी बना है, जहां लोग उसे महान शिव भक्त के रूप में बहुत मानते हैं
3. जोधपुर (राजस्थान)
राजस्थान के जोधपुर में रावण का मंदिर बना है, जहां पर कुछ समाज के लोग रावण की विशेष रूप पूजा करते हैं और खुद को रावण का वंशज भी बताते हैं. यही कारण है कि यहां के लोग दशहरा वाले दिन रावण को जलाते नहीं बल्कि पूजते हैं.
4. काकिनाड (आंध्रप्रदेश)
आंध्रप्रदेश के काकिनाड में रावण का मंदिर बनाया गया है. इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी मूर्ति को पूजा जात है.
5. बैजनाथ (हिमाचल प्रदेश)
कांगड़ा जिले के इस कस्बे में भी रावण की पूजा होती है. यहां कि ऐसी मान्यता है कि रावण ने इस जगह पर भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया था. यहां के लोगों की ये मान्यता भी है कि अगर उन्होंने रावण का पुतला जलाया तो उनकी ही मौत हो सकती है, इस डर से कोई रावण नहीं जलाता.
6. बिसरख (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में भी रावण का मंदिर बनाया गया है जहां दशहरा वाले दिन रावण की उस मूर्ति की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि रावण का ननिहाल यहीं पर था.
7. अमरावती (महाराष्ट्र)
अमरावती के गढ़चिरौली नाम की इस जगह पर आदिवासी समुदाय रावण की पूजा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ये समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं इसलिए उनकी पूजा करते हैं.
8. उज्जैन (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के चिखली गांव में भी रावण का दहन आज तक नहीं किया गया. यहां की ऐसी मान्यताएं हैं कि रावण अगर रावण जलाया तो उनका घर भी जल जाएगा. इसलिए यहां गांव में रावण की एक बड़ी सी मूर्ति स्थापित है.