अब आप इलाहाबादी नहीं रह गए, प्रयागराजी हो गए, जानें प्रयागराज का इतिहास और खासियत
प्रयागराज का इतिहास
ये दिल बर्बाद करके , इसमें क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो…
ध्यान से पढ़ लीजिए ये शायरी क्योंकि अब आपको किसी शायरी में शायद इलाहाबाद का जिक्र ना मिलें। इलाहाबाद का नाम बदलकर अब इसे प्रयागराज कर दिया गया है। यूपी के सीएम योगी ने इलाहाबाद को 443 साल बाद फिर से इसे प्रयागराज बना दिया है। कुछ लोगों में इस बात की की खुशी है तो कुछ लोगों का इसका गम क्योंकि अब वो खुद को इलाहाबादी नहीं कह पाएंगे। दूसरी तरफ विपक्ष इस बात को लेकर भी सीएम योगी पर निशाना साध रहा है। हालांकि यहां पर हम राजनीति की बात नहीं बल्कि इलाहाबाद के इतिहास और खूबसूरती और खासियत के बारे में जानेंगे जिसे अब बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है।
प्रयागराज का इतिहास (History of Prayagraj in hindi)
प्रयागराज हर लिहाज से खास है क्योंकि यहां ऐतिहासिक और पौराणिक दोनों का प्रमाण मिलता है। इसे ब्रह्मस्थली के रुप में जानते हैं क्योंकि यहां ब्रह्मा की यज्ञस्थली थी। हिंदू धर्म के हिसाब से ऐसी मान्यती है कि ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के बाद पहली यज्ञ प्रयाग में किया था। इसी यज्ञ के प्र और याग यानी यज्ञ के नाम से मिलकर बना है प्रयाग।प्रयागराज ऋषि भारद्वाज, दुर्वासा और ऋषि पन्ना की ज्ञानस्थली भी है। यहां तीन नदियों का मेल होता है और इसलिए इसे संगम नगरी के रुप में भी जानते हैं। इसके लगभग 500 साल पहले प्रयाग नाम ही था।
कैसे प्रयागराज हुआ था इलाहाबाद?
1575 के आसापस यहां मुगल शासन आया और सम्राट अकबर ने प्रयाग का नाम बदलकर इसे इलाहाबाद कर दिया। इलाहाबाद का अर्थ होता है- अल्लाह का शहर। अकबर ने यहां किले का निर्माण कराया जिसे सबसे बड़ा किला के नाम से जानते हैं।
गौरतलब है कि आजादी की लड़ाई का केंद्र भी इलाहाबाद ही था। महामना मदनमोहन मालविय चाहते थे कि इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज कर दिया जाए यहां तक की अंग्रेजी शासनकाल में बी उन्होंने ये मांग उठाई थी।हालांकि तब इसका नाम नहीं बदल पाया और वर्तमान समय में सीएम योगी ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया।
प्रयागराज में दर्शनीय स्थल( Places to visit in Prayagraj)
आनंद भवन
प्रयागराज गए तो जो जगह आपके रोंगटे खड़ी कर देगी वो है आनंद भवन जो देश के पहले प्रधानमंत्री का घर था। आनंद भवन को स्वराज भवन के नाम से भी जानते हैं। आजादी की लड़ाई का साक्षी रहा ये भवन आज भी पर्य़टकों और निवासियों को आकर्षित करता है।1930 में आनंद भवन को राष्ट्र को समर्पित कर दिया और इसका नाम स्वराज्य भवन नाम रख दिया गया।
चंद्रशेखर पार्क
आजादी की लड़ाई में इस पार्क में देश ने आजादी आजाद को खोकर पाई थी। अंग्रेजों के समय में इस पार्क का नाम अल्फ्रेड पार्क था जहां एक पेड़ के नीचे आजाद ने अंग्रेजों से लड़ते हुए खुद को गोली मार ली थी। उसके बाद से इस जगह का नाम चंद्रशेखर आजाद पार्क हो गया है।आज के समय में इस पार्क को और भी खूबसूरत बना दिया गया है।
खुसरो बाग
मुगल सम्राट जहांगीर के बेटे खुसरो का मकबरा है। ये बाग 1605 में बनाया गया था। यहां पर लोग मकबरा देखने या मॉरनिंग वॉक के लिए भी आते हैं। अगर आप खूबसूरत फोटोग्राफ निकालना चाहते हैं तो खुसरो बाग जाना ना भूलें।
इलाहाबाद के संगम
या इलाहाबाद में रहिए जहां संगम भी हो
या बनारस में जहां हर घाट पर सैलाब है…
शायरी में अगर इलाहाबाद के संगम का जिक्र हो तो समझ जाइये की इसकी खूबसूरती क्या होगी। वो शहर जहां गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी तीन पवित्र नदियों का संगम होता है। संगम के किनारे श्राद्ध भी करते हैं और ये ही वो जगह हैं जहां लोग पिकनिक मनाते हैं। इस संगम किनारे एगर बोट की सवारी नहीं की तो फिर क्या किया। संगम जाइये तो दो बार जाइये एक बार अकेले और एक बार किसी के साथ।
अकबर का किला
यहां पर अकबर का किला बहुत ही प्रसिद्ध है और इसकी नींव 1583 में अकबर ने रखी थी।इस विशाल किले को बनाने में लगभग 45 साल का वक्त लगा था।ये किला चार हिस्सों में बटा है। पहले में अकबर, दूसरे में बेगम और शहजादे, तीसरा शाही परिवारों के लिए और चौथा स्थान सिपाहियों और सेवकों के लिए बनाया गया था।
बड़े या लेटे हनुमान जी का मंदिर
संगम बांध के ठीक नीचे हनुमान जी की विशाल मुर्ति हा। ये एक ऐसा अनोखा मंदर हैं जहां हनुमान जी लेटी हुई अवस्था में है। यहां पर ऐसी मान्यता है कि हर साल गंगा जी का जल किनारों को पार करता हुआ मंदिर तक आता है और हनुमान जी के चरण स्पर्श करते हुए वापस चली जाता है।
(प्रयागराज में और भी कई दर्शनीय स्थल हैं)
प्रयागराज की खासियत
कुंभ का मेला
कुंभ हिंदुओं धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। संगम नदी में सन्ना करने दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। 6 वर्षों के बीच में अर्धकुंभ होता है और 12 साल के अंतर पर महाकुंभ का आयोजन होता है। महाकुंभ की छटा बस देखने लायक होती है जहां पूरा संगम कैंप से टैंट सजा रहता है और मकर संक्रांति पर संगम पर लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए होते हैं।
देहाती रसगुल्ला और दही जेलबी
अपने मिठाइयां तो बहुत खाई होगी, लेकिन देहाती रसगुल्ले और दही जेलेबी का स्वाद आपको हर जगह नहीं मिलेगी।यहां की दही जेलबी का स्वाद तो पीएम मोदी भी ले चुके हैं और वो भी यहां का स्वाद नहीं भूलते।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इस विश्वविद्यालय को पूरब का ऑक्सफोर्ड कहते हैं। ये देश की सबसे पांचवी पूरानी यूनिवर्सिटी है।साथ ही उत्तर भारत की शिक्षा सबसे बड़ा केंद्र रहा विश्वविद्यालय अपने पढ़ाई के साथ साथ छात्रसंघ चुनाव के लिए भी मशहूर है।इस विश्वविद्यालय ने देश को ना जाने कितने ही IAS, PCS दिए हैं। आज भी यहां के खूबसूरत कैंपस में छात्र घूमते हैं और मस्ती करते हैं।
इलाहाबादी बोली
यहां की बोली इस शहर को और भी खास बना देती है। जाबो-खाबों, अमा यार, कस बे जैसे शब्द आपको सिर्फ इलाहाबाद मे सुनने को मिलेंगे। यहां अंग्रेजी बोलते हैं, लेकिन इन शब्दों को बोला तो आपको ज्यादा अपना समझा जाएगा। इस शहर की खासियत के चलते ही शो प्रतिज्ञा में इलाहाबाद की कहानी दिखाई गई थी जो टीआरपी में नंबर वन था।
प्रयागराज के बारे में और भी बाते हैं जिन्हें आप जान सकते हैं 444 सालों के बाद फिर बदला इलाहाबाद का नाम,